99 आबादी खराब हवा में सांस ले रही : डब्ल्यूएचओ

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विश्व स्वास्थ्य दिवस से पूर्व एक रिपोर्ट के हवाले से खुलासा

जेनेवा। लगभग पूरी वैश्विक आबादी (99 फीसदी) बेहद खराब गुणवत्ता वाली हवा में सांस ले रही है और यह उसकी सेहत के लिए खतरा है। यह दावा विश्व स्वास्थ्य दिवस से पूर्व एक रिपोर्ट में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने किया है।

हर साल 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इस साल इसे ‘अवर प्लानेट, अवर हेल्थ’ थीम के साथ मनाया जा रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के 117 देशों में रिकॉर्ड 6,000 से अधिक शहरों में हवा की गुणवत्ता की निगरानी की गई। इनमें से उच्च आय वाले देशों के 17 फीसदी शहरों में हवा की गुणवत्ता पार्टिक्युलेट मैटर (पीएम) पीएम2.5 या पीएम10 और नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओ2) के लिए तय की गई डब्ल्यूएचओ की एयर क्वालिटी गाइडलाइंस से कम थी।

अल्प और मध्य आय वाले देशों के शहरों में हवा की गुणवत्ता एक फीसदी से भी कम थी। 74 देशों में करीब 4,000 शहरों/मानव बस्तियों में जमीनी स्तर पर एनओ2 का डेटा एकत्र किया गया। इनके निष्कर्ष दिखाते हैं कि इन जगहों पर केवल 23 फीसदी लोग नाइट्रोजन ऑक्साइड की वार्षिक औसत सांद्रता में सांस लेते हैं, जो स्वीकार्य गुणवत्ता स्तर को पूरा करती है।

जीवाश्म ईंधन का उपयोग घटाना होगा:

रिपोर्ट के निष्कर्षों ने डब्ल्यूएचओ को जीवाश्म ईंधन के उपयोग पर अंकुश लगाने के महत्व को उजागर करने और वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए अन्य ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है।

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डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने एक बयान में कहा कि वर्तमान ऊर्जा चिंताएं इन्हें तेजी से स्वच्छ, स्वस्थ ऊर्जा प्रणालियों में परिवर्तित करने के महत्व पर रोशनी डालती हैं।


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