दिल्ली चुनाव 2025 : AAP vs बीजेपी vs कांग्रेस,त्रिकोणीय मुकाबले में किसे होगा फायदा

दिल्ली चुनाव 2025 : AAP vs बीजेपी vs कांग्रेस,त्रिकोणीय मुकाबले में किसे होगा फायदा
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नई दिल्ली। दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी के साथ ही बीजेपी और कांग्रेस चुनाव प्रचार में उतर चुके हैं। आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने हाल में कहा कि उनकी पार्टी दिल्ली में किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। केजरीवाल के इस बयान से साफ है कि दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव एक बार फिर त्रिकोणीय मुकाबला होना लगभग तय हो चुका है।

आप का लगातार बढ़ता वोट शेयर
इस वर्ष की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनावों को छोड़कर, जब आप और कांग्रेस ने हाथ मिलाया था और दोनों को मिलकर वोटर शेयर 43.1% था। दोनों पार्टियों ने समान वोट बैंक होने के बावजूद हमेशा अलग-अलग विधानसभा चुनाव लड़ा है। हालांकि, 2013 में अपने पहले चुनाव के बाद से आप का वोट शेयर लगातार बढ़ता रहा। जबकि पिछले दशक में कांग्रेस को वोट देने वालों की संख्या में काफी कमी आई है।

बीजेपी को को हमेशा मिडिल और हाई मिडिल क्लास के लोगों की पार्टी माना जाता है। इसमें व्यापारिक समुदाय इसके कट्टर समर्थक हैं। दिल्ली में कांग्रेस ने 2008 के विधानसभा चुनावों तक जब इसने शहर में आखिरी बार सरकार बनाई थी। कांग्रेस गरीबों, दलितों और मुस्लिम समुदायों का प्रतिनिधित्व करने के लिए जानी जाती थी।


आम आदमी पार्टी ने 2013 में अपने आश्चर्यजनक प्रदर्शन के साथ, कुल मतदान का 29% वोट प्राप्त किया था। पार्टी को 70 में से 28 सीटों पर जीत मिली थी। आप ने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई थी। इससे कांग्रेस का वोट शेयर घटकर 24.5% और सिर्फ आठ सीटों के साथ तीसरे स्थान पर आ गई थी। इसके बाद 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का वोट शेयर क्रमशः 9.7% और 4.3% तक गिर गया। वहीं, आप ने 54.6% और 53.6% वोट शेयर के साथ भारी जनादेश हासिल किया।

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2024 चुनाव में 52 सीट पर बीजेपी को बढ़त
वैसे तो आप और कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनावों में भी गठबंधन बनाने के बारे में सोचा था, लेकिन दोनों पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत नहीं हो पाई। 2024 के लोकसभा चुनावों में, बीजेपी के उम्मीदवार सात संसदीय क्षेत्रों के 70 विधानसभा क्षेत्रों में से 52 पर आगे रहे हैं। वहीं, आप-कांग्रेस संयुक्त रूप से शेष 18 पर आगे हैं।

हालांकि बीजेपी ने 2020 के विधानसभा चुनावों के अपने प्रदर्शन में सुधार किया है,लेकिन अगर 2019 के लोकसभा चुनावों से तुलना की जाए तो यह इंडिया गठबंधन के सामने बहुत पीछे रह गई है। उस समय भगवा पार्टी ने त्रिकोणीय मुकाबले में 65 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल की थी।

सीटों पर कांग्रेस को बढ़त
जिन पांच विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को बढ़त मिली थी, उनमें अल्पसंख्यक समुदायों की अच्छी खासी आबादी थी। हालांकि, आप किसी भी विधानसभा क्षेत्र में बढ़त हासिल करने में विफल रही, लेकिन इसके उम्मीदवार 22 सीटों पर दूसरे स्थान पर रहे। हालांकि, एक साल बाद कहानी पूरी तरह बदल गई जब आप ने 2020 के राज्य विधानसभा चुनाव में 62 सीटें जीतकर भारी बहुमत हासिल किया। बीजेपी आठ सीटों पर विजयी हुई, जबकि कांग्रेस अपना खाता खोलने में विफल रही।

किसी और पार्टी को क्यों देंगे जगह?
आप के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि विधानसभा चुनावों में हाथ मिलाने का विचार कभी भी पार्टी के विचार-विमर्श मंच पर नहीं था। नाम न बताने की शर्त पर आप के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा अरविंद केजरीवाल का जवाब अचानक आया, लेकिन सच्चाई यह है कि हमारी पार्टी ने राज्य चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने की कभी कोई योजना नहीं बनाई थी।

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उन्होंने कहा कि हमने पिछले दो विधानसभा चुनावों में भारी अंतर से जीत हासिल की है। हमारे आंतरिक सर्वेक्षणों से पता चलता है कि हम इस चुनाव में भी आसानी से जीत की ओर बढ़ रहे हैं। हम किसी अन्य पार्टी को जगह क्यों देंगे?

पदाधिकारी ने कहा कि लोकसभा चुनावों के विपरीत, जहां वोटों के बंटवारे को रोकने के लिए गठबंधन समय की जरूरत थी, आप को विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से किसी समर्थन की जरूरत नहीं है। कांग्रेस का शहर में अपना वोट आधार बरकरार नहीं है। हम अपने दम पर भाजपा को हराने में सक्षम हैं। कांग्रेस का समर्थन करके, हमें पार्टी को अपना आधार फिर से बनाने में मदद क्यों करनी चाहिए?

राजनीतिक एक्सपर्ट AAP से सहमत
राजनीति के जानकार भी आप के तर्क से सहमत हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर रवि रंजन ने कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन से आप को कोई फायदा नहीं होने वाला है। रंजन ने कहा कि अब राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते आप उन राज्यों पर गठबंधन नहीं करना चाहेगी जहां वे राजनीतिक रूप से मजबूत हैं।

रवि रंजन के अनुसार अगर कांग्रेस और आप साथ नहीं भी होते हैं, तो भी बीजेपी के लिए यह चुनाव मुश्किल होगा, क्योंकि आप अभी भी निम्न-मध्यम वर्ग और झुग्गी-झोपड़ियों वाले इलाकों में काफी लोकप्रिय है।

कांग्रेस के वोट बैंक पर AAP की जमीन
राजनीतिक एक्सपर्ट के अनुसार AAP ने खुद को मुख्य रूप से कांग्रेस और आंशिक रूप से बीजेपी के वोट बैंक पर खड़ा किया है। अगर कांग्रेस और कमजोर होती है, तो इससे बीजेपी और आप दोनों को ही फायदा होगा। हालांकि, कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि पिछले कुछ चुनावों की तुलना में दिल्ली में कांग्रेस अधिक मजबूत थी।

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आप के साथ गठजोड़ करने से वह बिहार और उत्तर प्रदेश की तरह गठबंधन में जूनियर पार्टनर बन जाती। पार्टी पदाधिकारी ने कहा कि एक स्वतंत्र राजनीतिक खिलाड़ी के रूप में, कांग्रेस के फिर से उभरने और कुछ सीटें जीतने की संभावना अधिक है। गठबंधन ने दिल्ली में हमें पूरी तरह से खत्म कर दिया होता।


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