अंधेरे में डूबा बनारस:विद्युत विभाग की हड़ताल का असर
पेयजल के लिए त्राहि-त्राहि ,इंटरनेट सेवाएं भी प्रभावित
वाराणसी (जनवार्ता)। प्रदेश के साथ ही वाराणसी में भी बिजली का संकट गहरा गया है। 90 प्रतिशत क्षेत्र अंधेरे में डूब गए हैं। पानी के लिए लोग त्राहि-त्राहि कर रहे है। हड़ताल का असर बारिश ने और बढ़ा दिया। अनेक इलाकों में फॉल्ट के कारण बिजली चली गई। जिला प्रशासन द्वारा बनाया गया कंट्रोल रूम सिर्फ नाम का कंट्रोल रूम बनकर रह गया है।जहां बिजली जा रही है घंटों लग जा रहे हैं उसे ठीक करने में।
शिवपुर,गिलट बाजार, अर्दली बाजार, पुलिस लाइन, पांडेपुर,सारनाथ,नदेसर,मलदहिया,अंधरापूल तेलियाबाग,चेतगंज,सिगरा,लक्सा,लंका, चितईपुर,डीएलडब्ल्यू,महमूरगंज तथा ग्रामीण अंचलों में बिजली न रहने से लोगों को शौच तक के लिए बाहर जाना पड़ रहा है। तीर्थ नगरी बनारस में पर्यटकों को भी विद्युत संकट ने प्रभावित किया है। कई होटलों में पानी खत्म हो गया है, जिससे उनके समक्ष दिक्कतें उत्पन्न हो रही हैं।घनी आबादी वाले क्षेत्रों में सबसे ज्यादा स्थिति खराब है। पानी के लिए लोग टैंकर की मांग कर रहे हैं, लेकिन पर्याप्त संख्या में टैंकर ना होने से लोगों की समस्या बनी हुई है।
वाराणसी में व्यापार पर भी असर पड़ा है। ज्यादातर दुकानों में बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है और लगातार दो दिनों से विद्युत सप्लाई ठप होने की वजह से इनवर्टर भी डिस्चार्ज हो गए हैं । ऐसे में चौक,ठठेरी बाजार,राजा दरवाजा, बांस फाटक, मैदागिन, विशेश्वरगंज, गोला दीनानाथ आदि क्षेत्रों में दुकानों के व्यापारी दुकान के बाहर बैठे दिखे।कई क्षेत्रों में गलियां होने की वजह से दुकानों में अंधेरा रहता है और कंप्यूटर भी नहीं चल पा रहे हैं, जिससे व्यापार प्रभावित हो रहा है। व्यापारियों ने चौक थाने पर प्रदर्शन भी किया।
बिजली ना होने की वजह से कई क्षेत्रों में संचार सेवा सेवाएं भी प्रभावित हो गई हैं।
ज्ञातव्य है कि विद्युत विभाग के कर्मचारी 72 घंटे के कार्य बहिष्कार पर रहते हुए आंदोलन कर रहे हैं।उन पर आरोप है कि कई क्षेत्रों में वे जानबूझकर विद्युत व्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं। ऊर्जा मंत्री के कड़े रुख और भारी संख्या में कर्मचारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही से कर्मचारी संघ आक्रोशित हो उठे हैं तथा सहयोग नहीं कर रहे हैं। वे जेल भरने तक को तैयार हैं।
कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में बोनस तथा पेंशन शामिल है। प्रदेश सरकार का कहना है कि विद्युत कंपनियां पहले से ही लगभग एक लाख करोड रुपए के घाटे में चल रही हैं। बैंक का भारी लोन है। ऐसे में तत्काल बोनस दिया जाना संभव नहीं है।
ऊर्जा मंत्री के कड़े तेवर के बाद समस्या के शीघ्र निस्तारण की आशंका नहीं दिख रही है। ऐसे में लोगों के समक्ष बिजली के बिना जीवन यापन करने का घोर संकट बना हुआ है। विद्युत और पेयजल संकट के बीच लोगों को हैंडपंप और कुओं की याद आ रही है। लेकिन लगातार बिजली रहने की वजह से हैंडपंप खराब हो गए हैं और कुओं के पानी से दुर्गंध आ रहे हैं। ऐसे में ज्यादातर क्षेत्रों में उनका उपयोग भी नहीं हो पा रहा है।
कांग्रेस ने किया प्रदर्शन:
विद्युत कर्मियों की हड़ताल से उत्पन्न विद्युत संकट के खिलाफ कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष अजय राय के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं ने लहुराबीर स्थित आजाद पार्क पर धरना दिया इस अवसर पर अजय राय ने कहा कि प्रदेश सरकार हर मामले पर विफल है कर्मचारियों की लंबित मांगों को पूर्ण नहीं कर पा रही है वार्तालाप में जो आश्वासन दिए गए थे वह भी लंबित हैं उन्होंने कर्मचारियों की हड़ताल का समर्थन करते हुए जनता को शीघ्र विद्युत व्यवस्था उपलब्ध कराने की मांग की।