अजित पवार को ‘मनाने’ की कोशिश,संरक्षक मंत्रियों की जारी हुई नई लिस्ट,NCP गुट के नेताओं के नाम सबसे ज्यादा

अजित पवार को ‘मनाने’ की कोशिश,संरक्षक मंत्रियों की जारी हुई नई लिस्ट,NCP गुट के नेताओं के नाम सबसे ज्यादा
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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने संरक्षक मंत्रियों की संशोधित सूची का ऐलान किया है। ये सूची ऐसे समय पर जारी की जा रही है, जब उपमुख्यमंत्री अजित पवार की सरकार के साथ कथित तौर पर नाराजगी की खबरें सामने आ रही हैं। अजित पवार ने मंगलवार को कैबिनेट बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया था। सीएम की तरफ से जारी की गई संशोधित सूची के मुताबिक उपमुख्यमंत्री अजित पवार को पुणे जिले के संरक्षक मंत्री का पद दिया गया है।

महाराष्ट्र के जिन 12 जिलों में संरक्षक मंत्रियों की नियुक्ति की गई है। उनमें से ज्यादातर एनसीपी (अजित गुट) के मंत्री हैं। माना जा रहा है कि इस संशोधित सूची के जरिए कहीं न कहीं कथित तौर पर नाराजगी की जो खबरें चल रही हैं, उन्हें खत्म करने की कोशिश की गई है। वहीं, कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं होने के अलावा अजित दिल्ली में बीजेपी की केंद्रीय नेतृत्व की बैठक में भी शामिल नहीं हुए, जहां हिस्सा लेने के लिए सीएम शिंदे के अलावा डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी पहुंचे थे।

किन जिलों की किसे मिली जिम्मेदारी?
पुणे जिले के संरक्षक मंत्री के तौर पर डिप्टी सीएम अजित पवार को नियुक्त किया गया है. अकोला के लिए राधाकृष्ण विखे-पाटील, सोलापुर के लिए चंद्रकांत दादा पाटील, अमरावती के लिए भी चंद्रकांत दादा पाटील को संरक्षक मंत्री बनाया गया है। भंडारा के लिए विजयकुमार गावित, बुलढाणा के लिए दिलीप वळसे-पाटील, कोल्हापुर के लिए हसन मुश्रीफ को संरक्षक मंत्री नियुक्त किया गया है।

गोंदिया जिले के लिए धर्मरावबाबा आत्राम, बीड के लिए धनंजय मुंडे,परभणी के लिए संजय बनसोडे, नंदूरबार के लिए अनिल भा। पाटील और वर्धा के लिए सुधीर मुनगंटीवार को संरक्षक मंत्री के तौर पर जिम्मेदारी मिली है।

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सरकार से नाराज चल रहे हैं अजित पवार!
डिप्टी सीएम अजित पवार सत्ता में हुए बंटवारे से नाखुश नजर आ रहे हैं। जुलाई में एनसीपी से अलग होने के बाद सरकार बनाने वाले अजित पवार ने मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में हिस्सा नहीं लिया। कहा गया कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है। महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार में हो रही देरी भी उनकी नाराजगी की एक वजह है। हालांकि,बीजेपी किसी भी सूरत में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में सत्ता नहीं गंवाना चाहती है। इसलिए किसी भी तरह अजित पवार को मनाने की कोशिश जरूर की जाएगी।


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