पिता ने भाई के हाथ में चाकू दिया और बोला-तुम मार दो मैं देख नहीं पाऊंगा

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पीलीभीत। पीलीभीत में एक 10 साल की बच्ची अनम की चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई। 3 दिसंबर को यह बच्ची तड़पती हुई एक खेत में मिली थी। उसके पेट पर चोट का गहरा निशान था और आंतें बाहर थीं। चेहरे और हाथ पर भी चोट के निशान थे। बच्ची करीब आधे घंटे तड़पने के बाद परिवार के सामने ही दम तोड़ देती है। सूचना पर पहुंची पुलिस बच्ची के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज देती है। बच्ची का परिवार अपने शकील नाम के रिश्तेदार पर हत्या का आरोप लगाते हैं। लेकिन पुलिस की जांच में हुआ खुलासा चौंकाने वाला है।

अपनी ही बेटी को मार डाला
पुलिस जांच में पता चलता है कि बच्ची अनम के अब्बू अनीस,चाचा शादाब और दादा शहजादे ने रंजिश का बदला लेने के लिए उसकी हत्या की। अनीस ने अपने भाई शादाब को रेप के आरोप से बचाने के लिए बेरहमी से मार डाला। पुलिस ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। पुलिस ने इस हत्या में शामिल बच्ची के पिता अनीस, उसके 3 भाइयों शादाब, सलीम, नसीम और दादा शहजादे को गिरफ्तार कर लिया है। 3 दिसबंर की इस वारदात में पुलिस ने आरोपियों को 5 दिसंबर को गिरफ्तार किया है। पूरी घटना पीलीभीत के अमरिया थाना क्षेत्र के माधोपुर गांव की है।

बच्ची के कत्ल की साजिश की वजह
साल 2019, मृतका अनम के चाचा शादाब को गांव के पास रहने वाली एक लड़की से प्यार हो गया। बात शादी तक पहुंची तो लड़की का परिवार तैयार नहीं हुआ। बहुत कहने के बाद भी जब परिवार नहीं माना तो शादाब ने उस लड़की के साथ भाग कर शादी कर ली। लड़की पारसी समाज की थी। इसलिए लड़की के भाई शकील ने शादी का विरोध किया। उस दिन से दोनों परिवारों में दुश्मनी हो गई। इसी बीच शकील की पत्नी के साथ दुष्कर्म करने के मामले में न्यायालय में तहरीर के आधार पर शादाब के खिलाफ कंप्लेंट केस दर्ज कर लिया।

इसमें हाल ही के दिनों में न्यायालय से वारंट भी जारी किया गया था। वारंट जारी होने के बाद परिवार वाले बेटे को बचाने के लिए परेशान होने लगे। चाचा शादाब और दादा शहजादे को जब कुछ नहीं समझ आया तो वह लोग बच्ची अनम को मारने की साजिश रचने लगे। फिर उसकी हत्या के केस में शकील को फंसाने की तैयारी थी। उन्होंने इस घिनौनी वारदात में अनम के पिता अनीस को भी शामिल कर लिया। अब ये तीनों बस वो मौका तलाश रहे थे जिसमें वो अनम को मार सकें।

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बच्ची की हत्या की साजिश
अनम को मारने का प्लान पिता अनीस, चाचा शादाब और दादा शहजादे ने 1 महीने पहले से ही बनाना शुरू कर दी थी। बच्ची की हत्या का मास्टरमाइंड उसका चाचा शादाब और दादा था। पिता भी भाई को बचाने के लिए उसमें शामिल हो गया था। बच्ची के हत्यारों का मानना था, बेटी तो बाद में फिर पैदा हो जाएगी लेकिन अगर भाई जेल गया तो परिवार बिखर जाएगा। इसलिए तीनों ने मिलकर 10 साल की मासूम को बेरहमी से मार दिया।” यह खुलासा हत्यारोपियों ने पुलिस की पूछताछ में किया है।

पेट में चाकू डाला
आरोपी चाचा शादाब ने पुलिस को बताया, “1 महीने पहले जब बड़े भाई इस घटना के लिए तैयार हुए तो हम लोगों ने अनम को मारने का प्लान बनाना शुरू कर दिया। हम लोगों ने पहले भी कोशिश की लेकिन तब वो बच गई थी। इसीलिए इस बार मजबूत प्लान बनाया था। अनम को मेला देखना बहुत पसंद था। गांव में मेला लगा हुआ है। मेरे बड़े भाई ने इस बार मेले में दुकान लगाई थी। घर में मेरे पिता शहजादे सब देख रहे थे। हम लोग लगातार एक दूसरे से फोन पर बात कर रहे थे। जिससे कोई गड़बड़ न हो।”

“शाम को मैंने अनम को मेला जाने के लिए पूछा तो वो खुश हो गई। मैंने उसको मना किया अपने भाई को मत बताना हम लोग चोरी से मेला चलेंगे। वो इस बात के लिए राजी हो गई। उसके बाद मैंने उसको घर से बाहर बुला लिया। हम लोग पैदल ही मेला गए। मुझे पता था मैं अपनी भतीजी को मारने वाला हूं। इसलिए उसकी पसंद की हर चीज उसको खिलाई। झूला भी झुलाया। वो कुछ खिलौने भी लेने के लिए बोल रही थी लेकिन वो मैंने उसको नहीं दिलाए। मुझे पता था ये खिलौने वो कभी खेल नहीं पाएगी।”

“हम लोग मेला घूमते-घूमते उसके पिता के पास पहुंचे। मेरे बड़े भाई ने पहले से ही नींद की गोली खरीदकर रखी हुई थी। बच्ची अनम को बिना बेहोश किए मारना मुमकिन नहीं था। साथ ही हम लोगों को उसको मेले से गायब हुआ भी दिखाना था। मैं उसको उसके पिता के पास छोड़कर घर चला आया और खाना खाने लगा। मुझसे भाभी ने पूछा भी, अनम कहां है तो मैंने भाई के पास होने की बात कह दी। वहां मेले में मेरे भाई ने उसको नींद की गोली मिलाकर जूस पिला दिया। फिर उसको घर की ओर लाने लगे। रास्ते में जब मेरी भतीजी पूरी तरह से बेहोश हो गई तो भाई ने उसको एक खेत में रखे पुवाल के नीचे छिपा दिया। उसके बाद वो फिर से दुकान चले गए।”

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“इधर घर में अनम के बहुत देर तक वापस नहीं आने पर हम लोगों ने उसके किडनैप होने का नाटक किया। भाई को फोन किया तो वो भी बोल दिए अनम उनके पास नहीं है। इसके बाद हम लोग मिलकर उसको ढूंढने का नाटक करते हैं। मस्जिद से भी ऐलान करवाते हैं। मैं और अब्बू उस जगह पर गांव के और परिवार के लोगों को नहीं जाने दे रहे जहां पर अनम को छुपाया गया था। मैंने और भाई ने ही वो जगह तय की थी।”

“इस बीच हम लोगों ने पुलिस को भी जानकारी देने की बात कही। फोन करने का नाटक भी किया। हम लोगों ने तब भी झूठ बोला कि पुलिस सुबह अनम को ढूंढने के लिए बोल रही है। जब अनम को ढूंढते-ढूंढते सुबह के 4 बज गए तो हम लोग सभी को लेकर घर वापस आ गए। हमने कहा, पुलिस के आने के बाद फिर से हम लोग उसका पता लगाएंगे। हम लोगों ने परिवार को समझाया अनम कहीं होगी वो मिल जाएगी। जब सब घर में चले गए तो कुछ देर बाद हम तीनों उसको देखने के बहाने घर से निकले।”

“अनम को मारने के लिए चाकू पहले से ही घर से कुछ दूरी पर छुपा दिया था। भाई जाकर अनम को बाहर निकालते हैं तो वो बेहोश ही मिलती है। मैं और अब्बू पहले अनम को पत्थर से मारते हैं। बड़े भाई अनीस भी बेटी के शरीर पर पत्थर से वार करते हैं। उसके बाद हम लोग उसकी जैकेट खोल देते हैं जिससे चाकू सही से अंदर चला जाए। पहले उसको अनीस ही मारने वाले होते हैं लेकिन फिर उनका दिल पसीज जाता है।”

“वो मुझे चाकू दे देते हैं। उसके बाद कहते हैं, मैं उधर मुंह घुमा लेता हूं फिर तुम चाकू मारना। भाई के मुंह घुमाते ही मैं उसके पेट में चाकू मारता हूं फिर घुमा कर बाहर निकाल लेता हूं। उसकी आंतें बाहर आ जाती हैं। करीब आधे घंटे तक हम लोग उसको मारता हुआ देखते हैं। वो चिल्लाए न इसलिए अब्बू उसका गला दबाए हुए थे।”

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“अनम बेहोश होती है लेकिन हमें लगता है वो मर गई। हम लोग उसको उठाकर गेहूं के खेत में डाल देते हैं। मैं उसका जूता उठाकर लाता हूं और उसको खेत के बाहर डाल देता हैं। उसके बाद हम लोग रोते हुए घर पहुंचते हैं और कहते हैं अनम कहीं नहीं मिल रही। फिर से उसकी तलाश करने निकल जाते हैं।”

“उसके बाद ढूंढते हुए वहीं पहुंचते हैं जहां उसका जूता हम डालकर आते हैं। जूता देखकर मैं जोर से चिल्लाता हूं अनम का जूता मिला है। मेरी आवाज सुनकर बड़े भाई और अब्बू आ जाते हैं। गांव के लोग भी आते हैं। हम लोग खेत के अंदर जाते हैं तो अनम जिंदा मिलती है। ये देखकर हम लोग डर जाते हैं।”

“मेरे अब्बू उसके पास दौड़कर जाते हैं। वो उससे बार-बार पूछते हैं तुमको किसने मारा, तुमको किसने मारा। वो रोते भी हैं। गांव के लोग लगातार पुलिस को सूचना देने की बात बोलते हैं लेकिन हम लोग फोन नहीं करते। हम लोग वेट करते हैं अनम के मरने का। कुछ देर तड़पने के बाद वो मर जाती है। उसके बाद पुलिस को सूचना देते हैं। पुलिस के आते ही शकील को फंसाने के लिए उसका नाम ले लेते हैं। लेकिन उसके बाद भी पुलिस जांच में हम लोग पकड़े गए।”

आरोपी चाचा शादाब का ये भी कहना है, “इस मामले में परिवार के बाकी लोगों को कुछ नहीं पता था। वो इस बात से अनजान थे। भाभी को भी इस बात की जानकारी नहीं थी। वो तो अनम की मौत के बाद से सदमे में हैं। उनको लगता है अनम वापस आ जाएगी। भाभी की ये हालत देखकर बुरा लगा लेकिन हम लोग भी मजबूर थे। पर हमें ये नहीं पता था हम लोग जिस परिवार को बचाने की कोशिश कर रहे थे वो अब पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है। हमारी गिरफ्तारी के बाद घर में सबको सच पचा चल गया है।”


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