सुरेश की मौत मामले में दोेस्तों के खिलाफ एफआईआर का आदेश

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रामलीला देखने गए युवक की पिटाई कर नहर में फेंकने का आरोप
सोनभद्र । घोरावल थाना क्षेत्र के बरबसपुर में रामलीला देखने गए युवक का संदिग्ध हाल में अमिलौधा स्थित धोवा पंप नहर में संदिग्ध हाल में मिले शव मामले में नया मोड़ आया गया है। परिवार की तरफ से रामलीला के दौरान स्टेज पर चढ़कर मनसंद गाने की फरमाइश पर सुरेश की बेरहमी से पिटाई और उसे ले जाकर बाइक सहित धोवा पंप नहर में फेंके जाने का आरोप लगाया गया है। प्रकरण में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी आलोक यादव की अदालत की तरफ से घोरावल थानाध्यक्ष को प्राथमिकी दर्ज कर विधि अनुरूप विवेचना के आदेश दिए गए हैं।

यह है पूरा मामला, जिस पर कोर्ट ने लिया संज्ञान:
घोरावल थाना क्षेत्र के बसही गांव निवासी खरपत मौर्या ने अधिवक्ता हेमनाथ द्विवेदी और ओमप्रकाश दूबे के जरिए धारा 175 (3) बीएनएसएस के तहत न्यायालय मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल कर आरोप लगाया था कि सात अक्टूबर 2024 यानी सोमवार की रात को अनूप सिंह निवासी सिरसाई, सूरज पटेल निवासी तेंदुआ और शिव कुमार यादव निवासी बसही और उसके बेटे सुरेश को रामलीला दिखाने के लिए बरबसपुर ले गए। इस दौरान सुरेश अपनी बाइक साथ ले गया था। आरोप है कि रामलीला के दौरान उसने स्टेज पर चढ़कर, अपनी पसंद का माना बजाने को कहा इससे सूरज, शिवकुमार सहित तीन-चार अन्य लोग नाराज हो गए और उसे स्टेज से खींचकर उसकी बेरहमी से पिटाई की। लात मुक्के से पिटाई के बाद ईंट से मारा। घायलावस्था में उसे जबरिया बाइक पर बैठाकर धोवा पम्प नहर ले गए। वहां भी उसके साथ मारपीट की और उठाकर नहर में फेंक दिया। उसकी बाइक भी पुलिया से उठाकर नहर में फेंक दी।

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तीसरे दोस्त के जरिए परिवार वालों को मिली पूरी जानकारी
बताया गया है कि जब पूरी रात सुरेश घर नहीं पहुंचा तो परिवार वालों ने उसकी तलाश शुरू कर दी। रामलीला देखने गए उसके ही एक दोस्त अनूप ने उसके साथ मारपीट और धोवा पंप नहर की तरफ ले जाने की जानकारी दी। तब परिवार वालों ने प्रकरण से 112 नंबर डायल कर पुलिस को अवगत कराया। आठ अक्टूबर 2024 यानी मंगलवार की शाम सुरेश की बाइक धोवा पंप नजर की पहली पुलिया और उसका शव वहां से 700 मीटर दूर दूसरी पुलिया के पास पाया गया। पीएम रिपोर्ट में प्यूबिक बोन में गहरी चोट के साथ ही, मुंह से झांक और खून निकलने की बात सामने आई। मामले की जानकारी पुलिस को दी गई। मदद न मिलने पर न्यायालय की शरण ली गई।

कोर्ट ने माना: प्रकट हो रहे संज्ञेय अपराध के तथ्य:
प्रकरण की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने माना कि पत्रावली में उपलब्ध कराए गए साक्ष्य, दाखिल की गई पीएम रिपोर्ट और अधिवक्ता की तरफ से दी गई दलीलों से अपराध के तथ्य प्रकट हो रहे हैं। पुलिस से विवेचना कराने पर ही मामले की सत्यता सामने आ सकती है। इसको दृष्टिगत रखते हुए सीजेएम आलोक यादव की अदालत ने थानाध्यक्ष घोरावल को आदेशित किया है कि उल्लिखित घटना के बाबत उचित धाराओं में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करते हुए विवेचना की/कराई जाए।


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