गणेश चतुर्थी 2024: आस्था, उत्सव और पर्यावरण संरक्षण का संगम

गणेश चतुर्थी 2024: आस्था, उत्सव और पर्यावरण संरक्षण का संगम
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गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख और लोकप्रिय त्योहार है। जिसे भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें विघ्नहर्ता और शुभता का प्रतीक भी माना जाता है। 2024 में गणेश चतुर्थी का पर्व 7 सितंबर को मनाया जाएगा और इस बार का यह उत्सव अत्यधिक खास होने जा रहा है।

गणेश चतुर्थी 2024: शुभ मुहूर्त और तिथियां

गणेश चतुर्थी का पर्व 7 सितंबर 2024, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन भक्तगण भगवान गणेश की मूर्तियों को घरों और पंडालों में स्थापित करेंगे और 10 दिनों तक भक्ति -भाव और श्रद्धा के साथ उनकी पूजा-अर्चना करेंगे।

शुभ मुहूर्त

  • मूर्ति स्थापना: सुबह 11:20 से दोपहर 1:55 बजे तक।
  • गणपति पूजा: दोपहर 12:30 से 2:45 बजे तक।
  • विसर्जन: 16 सितंबर 2024, सुबह 8:00 से 10:30 बजे तक।

गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी का धार्मिक महत्व अत्यंत प्रभावी है। भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता के रूप में माना जाता है, जिन्हें किसी भी कार्य को आरम्भ करने के दौरान पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी बाधाएं एवं कष्ट दूर हो जाती हैं और सफलता प्राप्त होती है। इस दिन लोग अपने घरों और पंडालों में गणेश जी की मूर्तियों को स्थापित कर गणेश चतुर्थी सांग के साथ धूम -धाम से विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

पूजा विधि

प्रत्येक वर्ष गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा मुख्य विधि के अनुसार ही किया जाता है। पूजा के दौरान भगवान गणेश की मूर्ति को लाल या पीले वस्त्र में सजाकर पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित किया जाता है। पूजा करते समय गणेश जी को दूर्वा, मोदक, लड्डू और अन्य मिठाई का भोग लगाया जाता है। साथ ही, भक्तगण जय गणेश आरती को गाते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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पर्यावरण संरक्षण के प्रयास

गणेश चतुर्थी के दौरान बड़ी संख्या में मूर्तियों का विसर्जन जल स्रोतों में किया जाता है, जिससे प्रदूषण की समस्या बढ़ जाती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए अब पर्यावरण के प्रति जागरूक लोग और संगठन मिट्टी, गन्ने और अन्य बायोडिग्रेडेबल सामग्री से बनी गणेश मूर्तियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके अलावा, कई लोग अब छोटी मूर्तियों का घर में ही विसर्जन कर रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण को कम किया जा सके।

गणेश विसर्जन: विदाई के साथ नई शुरुआत

गणेश चतुर्थी का अंतिम दिन ‘अनंत चतुर्दशी’ के नाम से जाना जाता है, जब गणपति बप्पा का विसर्जन किया जाता है। इस दिन भक्तजन गणेश जी की मूर्ति को गणेश विसर्जन मंत्र के साथ जलाशयों में विसर्जित करते हैं और अगले वर्ष पुनः आगमन की कामना करते हैं। यह भगवान गणेश की विदाई का समय होता है, लेकिन इसके साथ ही यह जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार भी करता है।

निष्कर्ष

गणेश चतुर्थी का यह पर्व न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भी प्रतीक बन रहा है। इस बार के गणेश उत्सव में जहां एक ओर भक्ति और आस्था की लहर दौड़ रही है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजगता भी अधिक मात्रा में देखी जा रही है।

इस गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की कृपा से आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास हो। गणपति बप्पा मोरया!


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