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हिजाब मामले पर सरकार की दलील, ‘यह इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं,ईरान में भी लड़ रही हैं महिलाएं’

नई दिल्ली। कर्नाटक हाई कोर्ट के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत में सुनवाई के 8वें दिन कर्नाटक सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें दीं। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अब कल यानी बुधवार को सुनवाई करेगी।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कर्नाटक सरकार के उस आदेश को प्रस्तुत किया जिसमें सिफारिश की गई थी कि सभी छात्र निर्धारित ड्रेस पहनेंगे। उन्होंने कहा कि ये सर्कुलर धर्म-तटस्थ दिशा में है, वर्दी सभी धर्मों के छात्रों द्वारा लागू की जानी चाहिए। मेहता ने कहा कि 2021 तक सभी छात्र आराम से ड्रेस कोड मान रहे थे। सोशल मीडिया पर पीएफआई (PFI) ने अभियान चला कर लोगों को उकसाया है।

“यह इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं”
उन्होंने कहा कि कई मुस्लिम लड़कियां हिजाब पहनने लगीं। जवाब में हिंदू छात्र भगवा गमछा पहनने लगे। राज्य सरकार ने अनुशासन के मद्देनजर शिक्षण संस्थानों को ड्रेस कोड लागू करने को कहा है। हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। ईरान समेत कई इस्लामिक देश में महिलाएं हिजाब के खिलाफ लड़ रही हैं। कुरान में हिजाब का जिक्र होने भर से वह इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं हो जाता।

कर्नाटक हाई कोर्ट ने लगाया था बैन
बता दें कि, कर्नाटक हाई कोर्ट ने मार्च में इस मामले पर कहा था कि हिजाब पहनना आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है। कोर्ट ने उडुपी के गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग द्वारा कक्षा के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति मांगने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इसी फैसले के खिलाफ कई व्यक्ति और संगठन सुप्रीम कोर्ट गए।

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ये है पूरा मामला
हिजाब को लेकर ये विवाद जनवरी में शुरू हुआ था जब उडुपी के गवर्नमेंट पीयू कॉलेज ने हिजाब पहनने वाली छह छात्राओं को कैंपस में प्रवेश करने से रोक दिया था। इसमें यूनिफॉर्म कोड का हवाला दिया गया था। जिसके बाद युवतियों ने कॉलेज के गेट पर धरना दे दिया था। इसके बाद बड़ा विरोध देखने को मिला था। उडुपी के कई कॉलेजों के कुछ हिंदू छात्रों ने भगवा स्कार्फ पहनकर कक्षाओं में आना शुरू कर दिया था।

ये विवाद फिर कर्नाटक के अन्य हिस्सों में भी फैल गया। कई मुस्लिम समूहों ने इसे अपनी स्वतंत्रता के उल्लंघन के रूप में देखा। जिसके बाद राज्य सरकार ने मामले में हस्तक्षेप किया और कहा कि सभी छात्रों को वर्दी का पालन करना चाहिए। 5 फरवरी को, शिक्षा बोर्ड ने एक परिपत्र जारी किया कि छात्र केवल संस्थान द्वारा अनुमोदित वर्दी पहन सकते हैं और कॉलेजों में किसी अन्य धार्मिक पोशाक की अनुमति नहीं होगी। ये मामला फिर कर्नाटक हाई कोर्ट पहुंचा था। कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर बैन लगा दिया था।

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