आदिवासी किसान के साथ फर्जीवाड़ा, लोन माफी के नाम पर ऐंठे 1.61 लाख,जेल जाने का डर दिखा लिखवा ली कई बीघे जमीन
सोनभद्र । सरकार की तरफ से आदिवासी समाज के लाभ के लिए कई योजनाएं चलाए जाने के बावजूद, दलालों का गिरोह, आदिवासी किसानों के भोलेपन का फायदा उठाकर उनकी जमा-पूंजी हथियाने में लगा हुआ है। एक ऐसा ही मामला दुद्धी कोतवाली क्षेत्र के कटौंधी गांव से सामने आया है। यहां एक आदिवासी किसान को उसकी जमीन पर कम ब्याज वाला लोन दिलाने और बाद में उसे पूरा माफ करा देने का झांसा दिलाकर, 1.61 लाख का चूना लगा दिया गया। बैंक से लोन के वसूली की नोटिस पहुंची तो उसे जेल जाने का डर दिखाकर सड़क किनारे स्थित पांच बीघे से अधिक जमीन लिखवा ली गई। लोन और वसूली नोटिस दोनों के नाम पर जब उसे ठगे की जानकारी हुई तो दो साल तक अधिकारियों को यहां चक्कर लगाया। मदद नहीं मिल पाई, तब पिछले वर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया। अब इस मामले में न्यायालय सिविल जज जूनियर डिवीजन की तरफ से दुद्धी कोतवाली का मामला दर्ज कर विवेचना करने के निर्देश दिए गए हैं।
यह बताया जा रहा पूरा मामला
कटौंधी निवासी महावीर पुत्र राजाराम ने न्यायालय सिविल जज जूनियर डिवीजन में अधिवक्ता प्रभु सिंह कुशवाहा और आशीष गुप्ता के जरिए धारा 156 (3) सीआरपीसी के तहत प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया था। इसके जरिए अदालत को अवगत कराया गया था कि पीड़ित को कोई पुत्र नहीं है। केवल तीन तीन पुत्रियां है जिनकी भी शादी हो चुकी है। कुछ वर्ष पूर्व गांव के ही लक्षुमन और उसके साथियों को किसानों के लिए काफी कम ब्याज पर लोन मिलने और बाद में पूरा लोन माफ हो जाने की बात कहते हुए, इलाहाबाद बैंक की शाखा अमवार से किसान क्रेडिट कार्ड के नाम पर डेढ़ लाख और आर्यावर्त बैंक की झारोकला शाखा से 1.11 लाख का लोन करवाया। लोन के उपरांत विथड्राल के जरिए खाते से धन की निकासी कराकर पीड़ित को एक लाख थमाए गए। शेष रकम, लोन दिलाने में व्यय होने की बात कहते हुए डकार लिया गया। लोन कितने का हुआ इसके बारे में भी पूरी जानकारी नहीं दी गई।
पहुंची वसूली नोटिस तब 2.61 लाख के लोन की हुई जानकारी
पीडित को बैंक से वसूली नोटिस पहुंची तब जाकर उसे पता चला कि उसके नाम पर डेढ़ लाख नहीं बल्कि 2.61 लाख का लोन निकाल लिया गया है। इस पर वह घबड़ाकर संबंधित व्यक्तियों के पास पहुंचा तो वहां से जेल का डर दिखाते हुए कहा गया कि जल्दी से लोन चुकता कर दो नही तो जेल चले जाओगे। इससे घबड़ाए पीड़ित ने आरोपियों से कोई रास्ता निकालने की गुहार लगाई तो उन्होंने उसे छह लाख में छह विश्वा जमीन बेचने के लिए कहा। लोन रिकवरी की नोटिस सिर पर लटकती देख किसान ने इसके लिए हामी भर दी ।
रजिस्ट्री दफ्तर ले जाकर लिखवा ली पांच बीघे आठ कट्ठा जमीन
बातचीत तय होने केबाद उसे जमीन की बिक्री के लिए सब रजिस्ट्रार कार्यालय दुद्धी ले जाया गया जहां उसके भोलेपन का फायदा उठाकर, उससे छह विश्वा की जगह पांच बीघा आठ कट्ठा जमीन शिवबालक पुत्र जगेश्वर के नाम, 10 ििदव्यांग प्रमाणपत्र में फर्जीवाड़ा: सोनभद्र से वाराणसी तक फैला रैकेट, बुजुर्ग दिव्यांग की तरफ से दर्ज कराए गए केस ने मचाई खलबली, सीएमओ कार्यालय के तीन कर्मियों का सामने आया नाम
सोनभद्र। अपात्र को दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी करने को लेकर पूर्व में सुर्खियों में रह चुका सोनभद्र का स्वास्थ्य महकमा इन दिनों दिव्यांग प्रमाण पत्र से जुड़े एक अजीबोगरीब मामले को लेकर सुर्खियों में है। आरोप है कि न केवल बुजुर्ग का दूसरे के नाम डुप्लीकेट दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया बल्कि पीड़ित की शिकायत पर उसका ही प्रमाणपत्र निरस्त करा दिया गया। इससे क्षुब्ध 73 वर्षीय दिव्यांग ने अगस्त 2023 में सीजेएम न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर हस्तक्षेप की गुहार लगाई। कोर्ट के आदेश पर राबटर्सगंज कोतवाली पुलिस ने सीएमओ कार्यालय में तैनात तीन कथित संविदा कर्मियों समेत पांच के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचना, साजिश रचने और धमकी देने के आरोप में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। दो दिन पूर्व दर्ज इस मामले को लेकर जहां स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। वहीं, पीड़ित की तरफ से सोनभद्र से वाराणसी तक फर्जी-डुप्लीकेट दिव्यांग प्रमाणपत्र जारी करने को लेकर बड़ा रैकेट संचालन के लगाए गए आरोपों, की गहनता से छानबीन की मांग उठाई जाने लगी है।
ऐसे सामने आया पूरा मामला
राबटर्सगंज कोतवाली क्षेत्र के घुवास कला गांव निवासी धर्मशंकर त्रिपाठी ने धारा 156 (3) सीआरपीसी के तहत मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर अवगत कराया कि वर्ष 23 वर्ष का बहरा व्यक्ति है। इसके लिए सोनभद्र और वाराणसी में जांच के बाद, 53 प्रतिशत दिव्यांग का सर्टीफिकेट 27 नवंबर 2007 को जारी किया गया था। समय-समय पर बीएचयू वाराणसी में जांच के बाद प्रमाण पत्र के नवीनीकरण का भी सिलसिला बना रहा। आरोप है कि इस बीच उसका पूर्व परिचित 30 वर्षीय राजू मौर्य निवासी बट पुलिस चौकी सुकृत वर्ष 2018 में उसके घर आया और उसके दिव्यांग प्रमाण पत्र की अपने मोबाइल में तस्वीर उतार ली।
73 वर्षीय व्यक्ति का प्रमाण पत्र 30 वर्षीय युवक को हो गया आवंटित
इसके बाद गत 22 फरवरी 2018 और चार अक्टूबर 2021 को राजू कुमार मौर्य की तरफ से ऑनलाइन आवेदन के साथ खुद की जांच कराते हुए, उसके क्रमांक के नाम पर अपने नाम दिव्यांग प्रमाणपत्र जारी करा लिया गया। वर्ष 2021 में उसे इस बात की तब जानकारी हुई जब उसे वाराणसी से राबटर्सगंज लौटते वक्त, बस कंडक्टर ने इसी क्रमांक का दिव्यांग प्रमाणपत्र दूसरे व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किए जाने की बात कहते हुए रास्ते में उतार दिया।
फरियाद लगाने पहुंचा सीएमओ कार्यालय तो हो गया बडा खेल
आरोपों के मुताबिक पीड़ित जब इसकी फरियाद लगाने सीएमओ कार्यालय पहुंचा तो आरोप है कि सीएमओ कार्यालय में संविदा पर काम करने वाले कथित चंचल यादव और उसके सहयोगी आयुष और अजय ने उसका प्रमाणपत्र दुरूस्त कराने के नाम पर जमा करा लिया गया। बाद में उसे गायब कर, राजू के नाम वाले प्रमाणपत्र को पूर्ण रूप से बहाल करा दिया गया। आरोप है कि विभागीय प्रक्रिया अपनाते हुए, उसके ही प्रमाणपत्र को गलत ठहराते हुए, निरस्त करवा दिया गया।
न्यायालय में प्रार्थनापत्र दाखिल करते हुए पीड़ित ने इस बात को दवा किया कि दिव्यांग प्रमाणपत्र को जारी करने में पात्र को अपात्र और अपात्र को पात्र बनाने का एक बड़ा रैकेट सोनभद्र से वाराणसी तक संचालित हो रही है। इस रैकेट में स्वास्थ्य महकमे से लेकर बीएचयू तक के लोगों को शामिल होने का बड़ा आरोप भी लगाया गया है। प्रकरण का संज्ञान लेते हुए जहां अदालत ने राबटर्सगंज कोतवाली ने नामजद एवं अन्य व्यक्तियों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश पारित किया। वहीं राबटर्सगंज कोतवाली पुलिस ने धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120बी, 504 और 506 आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर लिया। प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि मामले की छानबीन कराई जा रही है। वहीं, लगाए गए आरोपों को लेकर, विभागीय स्तर पर भी छानबीन की आवाज उठाई जाने लगी है।
2021 को लिखवा ली गई और उसे पेशगी के नाम पर महज एक लाख थमाकर गायब हो गए। जब लोन और जमीन बिक्री, दोनों में ठगी की जानकारी हुई तो पीड़ित और उसकी पुत्रियों ने पहले अधिकारियों के दफ्तर और तहसील दिवस का चक्कर लगाया। कोई हल निकलता देख न्यायालय की शरण ली। वहां से पुलिस से आख्या तलब करने के बाद, प्रथमदृष्ट्या संज्ञेय अपराध पाते हुए, दुद्धी कोतवाली पुलिस को मामले की एफआईआर दर्ज कर विवेचना का आदेश पारित कर दिया।