शाहबाज के आने से सुधरेंगे भारत-पाकिस्तान के रिश्ते? क्या कहते हैं एक्सपर्ट
नई दिल्ली। शाहबाज शरीफ के पाकिस्तान के नए पीएम बनने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी है और कहा है कि भारत आतंक मुक्त क्षेत्र,शांति और स्थिरता चाहता है ताकि हम अपनी विकास चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित कर सकें। पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन और नरेंद्र मोदी के बधाई मेसेज को एक्सपर्ट कैसे देख रहे हैं? अविनाश पालीवाल दुनियावी मामलों के एक्सपर्ट हैं। उन्होंने मामले को लेकर विस्तार से अपनी बात रखी है।
नवाज और मोदी ने जहां छोड़ा था…
अविनाश ने कहा है कि नई दिल्ली को शरीफ भाइयों और जनरल बाजवा के इरादों पर इमरान खान सरकार से अधिक भरोसा है। शरीफ भाई और बाजवा चीन से संबंध को लेकर संबंधों में विविधता लाना चाहते हैं। मोदी ने शाहबाज के पीएम बनने के मिनटों बाद उन्हें बधाई दी। यह उस पॉइंट को फिर से जोड़ सकता है जब मोदी और नवाज के बीच बातचीत अटक गई थी।
‘भारत और पाकिस्तान को जोड़ सकते हैं आर्थिक संबंध’
अविनाश ने बताया है कि जियो पॉलिटिकल हालात को देखते हुए दोनों देशों को संबंध सामान्य करने की जरूरत है। भारत का विरोधी चीन अभी भी पाकिस्तान के बेहतर सहयोगी होने से बहुत दूर है। यूक्रेन पर रूसी हमलों के बाद पाकिस्तान के पास गिने-चुने विकल्प हैं। पाकिस्तान में चीन के बढ़ते असर को देखते हुए रावलपिंडी और इस्लामाबाद गंभीर है और आर्थिक संबंधों में विविधता लाना चाहता है। इस पर दोनों देश बिना किसी विवाद से आगे बढ़ सकते हैं।
कश्मीर है टेढ़ी खीर
अविनाश ने कहा है कि कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान की अलग-अलग धारणाएं हैं और यही कारण है कि दोनों देश अपने मूल हितों को ध्यान में रखते हैं। ऐसे में बहुत उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। पाकिस्तान अगर आर्टिकल 370 पर बात करना चाहता है तो भारत के नजरिए से संबंध सामान्य नहीं हो सकते हैं। हालांकि घाटी में डेमोग्राफी चेंज जैसी बातों पर भारत पाकिस्तान को भरोसा दे सकता है लेकिन बदले में भारत पाक के कब्जे वाले इलाके में आतंकी शिविरों आदि पर पूरी तरह से रोक चाहेगा।
गलवान में हुए हिंसक संघर्ष के बाद से पाकिस्तान सेना प्रमुख ने जनरल कमर जावेद बाजवा ने संयम दिखाया है। अविनाश का मानना है कि रावलपिंडी इस मौके का फायदा उठाने का कोशिश कर सकता था किन ऐसा कुछ नहीं हुआ और नई दिल्ली ने इस पॉइंट को नोट किया है।
भारत-पाक संबंधों को लेकर बहुत आशावादी होना ठीक नहीं!
शाहबाज शरीफ कई दलों को लेकर साथ चल रहे हैं ऐसे में वह अगले चुनाव तक पीएम बने रहें यह उनके लिए आसान नहीं रहने वाला। इसके साथ ही काबुल में तालिबान, पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान के बढ़ते असर, इमरान खान का सड़क पर विरोध-प्रदर्शन, भारत में ध्रुवीकरण आदि को देखते हुए बहुत आशावादी होना ठीक नहीं है। एक छोटे से हमले से सभी कूटनीति बैक टू जीरो पर आ सकती है।