जीवन में गीता का होना आवश्यक: स्वामी कृष्णकांत का तुलसी घाट पर युवाओं को संदेश
वाराणसी(जनवार्ता)। तुलसी घाट स्थित वीरभद्र मिश्र सभागार में आज एक विशेष गीता प्रवचन कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त गीता मर्मज्ञ एवं प्रेरक वक्ता स्वामी कृष्णकांत ने युवाओं को श्रीमद्भगवद्गीता के सार को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “बिना गीता ज्ञान के जीवन अधूरा है।”
स्वामी जी ने अपने उद्बोधन में बताया कि आज की पीढ़ी साधनों की दौड़ में संबंधों और आत्मिक संतुलन को खो रही है। गीता हमें सिखाती है कि कार्य करते समय फल की चिंता न करें और अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा से निभाएं। उन्होंने कहा, “साधनों के पीछे नहीं, संबंधों और धर्म के अनुसार कर्म करने में ही सच्चा जीवन है।”
उपस्थित गणमान्यजन
इस व्याख्यान में शहर के अनेक प्रबुद्धजन, शिक्षाविद और शोधार्थी उपस्थित रहे। प्रमुख रूप से प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल, प्रो. अरविंद जोशी, प्रो. अभिषेक पाठक, प्रो. विंध्याचल यादव, प्रो. अमित द्विवेदी, प्रो. पवन दुबे, डॉ. वरुण सिंह, अनिल शर्मा, मानती शर्मा और अभय शंकर तिवारी कार्यक्रम में शामिल हुए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. राजेश्वर आचार्य ने की, जिन्होंने स्वामी कृष्णकांत जी के विचारों की सराहना करते हुए कहा कि गीता न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि जीवन को दिशा देने वाली अनमोल धरोहर भी है।
विशेष अतिथि
विशेष उपस्थिति वरिष्ठ चिंतक सतीश चंद्र मिश्र एवं चिंता मानी गणेश जी के महंत, चेल्ला स्वामी जी की रही। दोनों ही अतिथियों ने स्वामी जी के वक्तव्य को आज के समय के लिए अत्यंत प्रासंगिक बताया।
संयोजन,संचालन और समापन
कार्यक्रम का संयोजन ,संचालन और धन्यवाद ज्ञापन प्रो विजयनाथ मिश्र ने किया , उन्होंने सभी प्रतिभागियों एवं श्रोताओं का आभार प्रकट किया।
#गीता प्रवचन वाराणसी
#स्वामी कृष्णकांत
#तुलसी घाट कार्यक्रम
#श्रीमद्भगवद्गीता संदेश
#युवाओं के लिए गीता
#वाराणसी धर्मिक कार्यक्रम
#गीता ज्ञान
#प्रेरक वक्ता वाराणसी