Updated on 12/May/2022 5:10:21 PM
नई दिल्ली। फिनलैंड के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने एक साझा प्रेस रिलीज में जानकारी दी है कि फिनलैंड को बिना देर किए नाटो सदस्यता के लिए आवेदन करना चाहिए। फिनलैंड के इस बयान के बाद से रूस भड़क गया है। न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट क्रेमलिन ने मामले को लेकर कहा है कि फिनलैंड का नाटो में शामिल होना निश्चित तौर पर रूस के लिए खतरे का प्रतिनिधित्व करेगा। वहीं नाटो प्रमुख स्टोल्टेनबर्ग का कहना है कि गठबंधन में फिनलैंड का प्रवेश ‘सुचारू और तेज’ होगा।
परमाणु हथियार तैनात करेगा रूस?
हाल ही में रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने अमेरिका और यूरोपीय यूनियन को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर फिनलैंड या स्वीडन नाटो में शामिल होने का फैसला करते हैं तो रूस बाल्टिक देशों और स्कैंडिनेविया के करीब परमाणु हथियार तैनात करेगा। उन्होंने कहा था कि फिनलैंड या स्वीडन के इस कदम से रू क्षेत्र में परमाणु हथियार तैनात करने का हकदार होगा। रूस अपने जमीनी बलों और हवाई सुरक्षा के समूह को गंभीरता से मजबूत करेगा और फिनलैंड की खाड़ी में महत्वपूर्ण नौसैनिक बलों को तैनात करेगा।
फिनलैंड और स्वीडन जल्द लेंगे फैसला
नाटो की सदस्यता पर फिनलैंड और स्वीडन इस हफ्ते अहम फैसला ले सकते हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूक्रेन पर रूसी हमलों के बाद से दोनों ही देशों को समझ आ गया है कि ताकतवर पड़ोसी देश से टकराव टालने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि वे किसी भी सैन्य संगठन से बाहर रहें।
दोनों देशों की सत्ताधारी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी अगर अगले कुछ दिनों के में नाटो में शामिल होने का समर्थन करती है तो नाटो रूस की दहलीज तक पहुंच जाएगा। स्वीडन 200 से अधिक सालों से सैन्य गठजोड़ में शामिल होने से बचता रहा है,तो द्वितीय विश्व युद्ध में रूस के हाथों पराजय के बाद से फिनलैंड ने भी तटस्थ रुख अख्तियार कर रखा है।