नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले में एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया है। दरअसल इस समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश एएम सप्रे होंगे। वहीं उनके साथ इस कमेटी में पूर्व जस्टिस ओपी भट,जस्टिस जेपी देवदत्त, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल रहेंगे। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने गुरुवार को आदेश पारित किया।
अदालत ने भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) को स्टॉक की कीमतों में कथित हेरफेर की जांच करने का भी निर्देश दिया। सेबी को यह रिपोर्ट 2 महीने में सौंपनी है।
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी दो पहलुओं पर काम करेंगी। पहला ये शेयर बाजार के नियामक ढांचे को मजबूत करने के उपाय सुझाएगा, जिससे बाजार कारोबार की निगरानी मजबूत होगी। वहीं हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद समूह के शेयरों में गिरावट आई है।
कोर्ट ने इस मामले में साफ कर दिया है कि कमेटी के गठन से बाजार नियामक सेबी की स्वतंत्रता और उसकी जांच प्रक्रिया में कोई बाधा नहीं आएगी।
सेबी भी 2 पहलुओं पर जांच करेगा
क्या सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स के नियम 19(ए) का उल्लंघन हुआ था?
क्या मौजूदा कानूनों के उल्लंघन में स्टॉक की कीमतों में हेरफेर किया गया है?
जानकारी के मुताबिक इससे पहले अदालत ने 17 फरवरी को अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए विशेषज्ञों की प्रस्तावित समिति पर सीलबंद लिफाफे में केंद्र के सुझावों को लेने से इनकार कर दिया था। अभी तक इस मामले में न्यायालय में चार जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं।
वहीं हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद से अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में जोरदार गिरावट आई है। रिपोर्ट में अडाणी समूह पर शेयरों में हेराफेरी का आरोप लगाया गया है। हालांकि, समूह ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।