महाकुंभ भगदड़ के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला,याचिका दाखिल

महाकुंभ भगदड़ के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला,याचिका दाखिल
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नई दिल्ली। महाकुंभ में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक गाइडलाइंस जारी करने और नियमों के अमल की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। प्रयागराज में मंगलवार-बुधवार की रात भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई थी और 60 लोग घायल हो गए थे। याचिकाकर्ता ने भगदड़ की घटना के लिए जिन भी संबंधित अथॉरिटी और अधिकारियों की लापरवाही हुई है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।

इसके एक दिन बाद गुरुवार को एडवोकेट विशाल तिवारी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद-32 के तहत रिट दाखिल किया गया और भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकने और लोगों के जीवन की रक्षा की मांग की गई है। अनुच्छेद-21 के तहत लोगों को संविधान में जीवन व स्वच्छंदता का अधिकार मिला हुआ है, जिसके प्रोटेक्शन की गुहार लगाई गई है।

केंद्र और राज्य सरकार को प्रतिवादी बनाया
याचिकाकर्ता ने इस मामले में दाखिल याचिका में केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों को प्रतिवादी बनाया है और गुहार लगाई है कि महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित हो इसके लिए निर्देश दिया जाए। याची ने यह भी गुहार लगाई है कि सभी राज्यों को अपने सुविधा केंद्रों पर तीर्थ यात्रियों और श्रद्धालुओं को सुरक्षा उपाय और गाइडलाइंस के बारे में बेसिक जानकारी देने का निर्देश दिया जाए।

साथ ही वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर की गई इस जनहित याचिका में सभी राज्यों को प्रयागराज में अपने सुविधा केंद्रों पर तीर्थयात्रियों को सुरक्षा उपायों और दिशा-निर्देशों के बारे में बुनियादी जानकारी देने के निर्देश देने की मांग की गई है। यूपी सरकार के साथ कोऑर्डिनेशन करके तमाम राज्य कुंभ में डॉक्टर, नर्स और मेडिकल टीम भी तैनात करें ताकि मेडिकल इमरजेंसी के समय किसी भी तरह से स्टाफ की कमी न हो पाए।

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याचिका में अन्य भाषाओं में घोषणाएं, दिशा दिखाने वाले डिस्प्ले बोर्ड, सड़कें आदि की व्यवस्था करने की भी मांग की गई है ताकि दूसरे राज्यों के लोगों को परेशानी का सामना न करना पड़े और उन्हें आसानी से मदद मिल सके।

याचिकाकर्ता ने यह भी गुहार लगाई है कि उत्तर प्रदेश सरकार के समन्वय से सभी राज्य सरकारें प्रयागराज महाकुंभ में डॉक्टरों और नर्सों वाली अपनी छोटी मेडिकल टीम भी तैनात करें ताकि मेडिकल इमरजेंसी के समय मेडिकल स्टाफ की कमी न हो। याचिका में कहा गया है कि यूपी सरकार के इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा जाए।


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