Homeपॉलिटिक्सVHP ने की सपा और राजद की मान्यता रद्द करने की मांग

VHP ने की सपा और राजद की मान्यता रद्द करने की मांग

नई दिल्ली । विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने गुरुवार को रामचरितमानस विवाद को लेकर चुनाव आयोग से समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की मान्यता रद्द करने की मांग की है। इस संबंध में विश्व हिंदू परिषद ने चुनाव आयोग से मिलने का समय मांगा है। विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि चुनाव आयोग को सपा और राजद की मान्यता रद्द कर देनी चाहिए।

सपा और राजद की मान्यता रद्द करने की मांग
वीएचपी ने कहा कि इन दोनों पार्टियों ने रामचरितमानस के खिलाफ हालिया टिप्पणी के लिए अपने-अपने नेताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं की, जिससे नियमों का उल्लंघन हुआ है, जिसके तहत उन्हें राजनीतिक दलों के रूप में पंजीकृत किया गया था। वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने इस मुद्दे पर मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार से मिलने का समय मांगा है।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिया था विवादित बयान
विश्व हिंदू परिषद ने आरोप लगाया कि सपा के स्वामी प्रसाद मौर्य के हाल के बयानों में ‘रामचरितमानस’ का अपमान करना और इसके पन्नों को जलाना देश के नागरिकों के एक बड़े वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य है। उन्होंने दावा किया कि मौर्य को उनकी टिप्पणी के तुरंत बाद सपा द्वारा महासचिव के पद पर पदोन्नत किया गया था, जिससे यह साबित होता है कि उनके बयान को उनकी पार्टी का समर्थन प्राप्त था।

चंद्रशेखर ने रामचरितमानस पर दिया था विवादित बयान
वहीं, राजद को लेकर वीएचपी ने कहा कि इसी तरह, राजद नेता चंद्रशेखर ने भी रामचरितमानस और अन्य पवित्र ग्रंथों की जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण आलोचना की, जिससे हिंदू समाज में आक्रोश पैदा हुआ और अविश्वास पैदा हुआ। उन्होंने दावा किया कि राजद ने चंद्रशेखर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है, जो यह साबित करता है कि उनके बयान को पार्टी का समर्थन प्राप्त था।

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वीएचपी ने चुनाव आयोग से की मांग
वीएचपी ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के अनुसार प्रत्येक पंजीकृत राजनीतिक पार्टी के लिए प्रावधान है कि पार्टी धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के सिद्धांतों के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखेगी। उन्होंने कहा, ‘सपा और राजद दोनों ने उन बुनियादी शर्तों का उल्लंघन किया है, जिन पर पार्टियों का पंजीकरण किया गया था और वे अपने पंजीकरण को वापस लेने के लिए उत्तरदायी हैं।’

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