राम नहीं राम का चरित्र पूजते हैं हम, मित्रता निभाने वाले मित्र पूजते हैं हम..

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लगातार 39वें साल दुद्धी में जली कौमी एकता की मशाल
देर रात तक चले कवि सम्मेलन व मुशायरे में आती रही गुदगुदी, तो छूती रही कशिश
साहित्यिक मंचों से समाज को मिलती है दिशा-राज्य मंत्री

सोनभद्र। कौमी एकता समिति के तत्वावधान में स्थानीय तहसील प्रांगण में सोमवार की रात अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आयुष मंत्रालय उत्तर प्रदेश सरकार दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’, विशिष्ट अतिथि के रूप में भाजपा जिलाध्यक्ष नंदलाल जी, काशी प्रान्त के पूर्व उपाध्यक्ष रमेश मिश्रा, हरिदत्त मिश्रा, ब्लाक प्रमुख दुद्धी रंजना चौधरी व नगर पंचायत अध्यक्ष कमलेश मोहन रहे। अध्यक्षता वरिष्ठ भाजपा नेता श्रवण सिंह गोंड ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सहित अन्य अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र का अनावरण, पुष्पअर्पण व दीप प्रज्वलन कर किया गया। तत्पश्चात समिति द्वारा मुख्य अतिथि, समारोह अध्यक्ष, विशिष्ट अतिथि के रुप में पधारे अतिथियों सहित आमंत्रित कविगण को माल्यार्पण, बैच अलंकरण व अंगवस्त्रम से सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि दया शंकर दयालु ने कौमी एकता सप्ताह के अंतर्गत तहसील मुख्यालय पर आपसी सौहार्द के उद्देश्य आयोजित की जाने वाली इस परंपरा का निर्वहन करने वाली कमेटी को बधाई देते हुए कहा कि राष्ट्रीय चेतना के ऐसे ही साहित्यिक मंचों से समाज को सही दिशा मिलती है। इसे निरंतर जारी रखने की आवश्यकता है। एसडीएम निखिल यादव ने कहा कि समाज को सही दिशा देने वाले ऐसे कार्यक्रमों की बहुत सार्थकता है।

विधायक प्रत्याशी श्रवण सिंह गोंड ने कहा कि दुद्धी जैसे अति पिछड़े क्षेत्र में इस स्तर का आयोजन सराहनीय है। उन्होंने मुख्य अतिथि सहित कार्यक्रम में शिरकत करने वाले श्रोताओं के प्रति आभार प्रकट किया।

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मुख्य अतिथि द्वारा चिकित्सा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने वाले सीएचसी अधीक्षक डॉ शाह आलम अंसारी को सम्मान पत्र व अंगवस्त्रम से नवाजा गया। प्रतापगढ़ से पधारी कवित्री प्रीति पांडेय ने स्वरताल छंद लेके प्रखर तमसो ज्ञान दो जैसे सरस्वती वंदना से काव्य पाठ की शुरुआत की। इसके बाद इटावा से पधारे वीर रस के कवि गौरव चौहान ने कौमी एकता के जो खिलाफ बोलते हैं सदा, ये अवाम उनके विरुद्ध होके जाएगी, काशी से पधारे हास्य व्यंग्य के कवि दमदार बनारसी ने राम नहीं राम का चरित्र पूजते हैं हम, मित्रता निभाने वाला मित्र पूजते हैं हम, मां पिता का मान रख काट लिया बनवास, ऐसे संस्कारियों का चित्र पूजते हैं, कटनी मप्र से पधारीं श्रृंगार रस कवियत्री प्रियंका मिश्रा ने मुस्कुराते गुलाब लगते हैं, मुश्किलों का जवाब लगते हैं, आगरा से पधारे ओज रस के कवि एलेश अवस्थी ने वर्दी पहने, सीना ताने, हाथों में संगीन लिए, संत रविदास नगर के शायर कैशर परवेज ने अब तो बस सावन बरसे, वर्षों से नैना तरसे, प्रतापगढ़ से पधारीं श्रृंगार रस की कवियत्रि प्रीति पांडेय ने अधूरी बात में तुम साथ दो तो और बेहतर हो, रूप के आवरण है तुम्हारे नयन, अब लड़ाई को छोड़ बैठे हैं, कभी जब नींद न आये तो मुझको याद कर लेना, हवा जब भी गजल गाए तो मुझको याद कर लेना, नहीं कहती मुझे चाहो मगर इतनी मेहर करना, किसी पर दिल अगर आ जाए तो मुझको याद कर लेना, प्रयागराज से पधारे हास्य व्यंग्य के कवि बिहारी लाल अम्बर ने चलते-चलते सड़क पर मैं जाम न हो जाऊं, कोई खास बात कहके मैं आम न हो जाऊं जैसी कई रचनाएँ सुनाकर लोगों की वाहवाही लूटी। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार मु.शमीम अंसारी व काव्य संध्या का संचालन कमलेश राजहंस ने किया। कार्यक्रम में मुख्य संरक्षक रविन्द्र जायसवाल, अध्यक्ष रामलोचन तिवारी, डॉ केके चौरसिया, मदन मोहन तिवारी, सिबाए अध्यक्ष विष्णुकांत तिवारी, प्रभु सिंह एड, कुलभूषण पांडेय, अमरनाथ जायसवाल, देवेश मोहन, भीम जायसवाल, सुमित सोनी, संजू तिवारी, फतेहमुहम्मद खान, बालकृष्ण जायसवाल, नीरज जायसवाल, अभिनव बिट्टू, कौनन अली, रामपाल जौहरी सहित भारी संख्या में श्रोतागण उपस्थित थे। कार्यक्रम में प्रभारी निरीक्षक मनोज सिंह अपने अधीनस्थ पुलिसकर्मियों के साथ मुस्तैद थे।

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