क्या सच में नहीं चल पाएगी मोदी सरकार? कर्नाटक में JDS तो बिहार में JDU बढ़ा रही टेंशन

क्या सच में नहीं चल पाएगी मोदी सरकार? कर्नाटक में JDS तो बिहार में JDU बढ़ा रही टेंशन
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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के 2 महीने बाद ही एनडीए में खटपट दिखने लगी है। बीजेपी और उसकी पार्टनर जेडीएस के बीच खटास का पहला लक्षण दिखने लगा है। एचडी कुमारस्वामी ने कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार के खिलाफ एनडीए की प्रस्तावित पदयात्रा से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। अब बीजेपी उन्हें मनाने में जुटी है। गुरुवार को कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष विजयेंद्र और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने मुलाकात की। दूसरी तरफ, नीतीश कुमार की जेडीयू को लेकर भी जब-तब अटकलें लगती ही रहती हैं। बिहार से कांग्रेस के एक विधायक तो नीतीश के जल्द पाला बदलने की भविष्यवाणी भी कर दी है। सुशासन बाबू ने जिस तरह पिछले कुछ सालों में अपनी छवि ‘अनप्रेडिक्टेबल कुमार’ की बना ली है,उसे देखते हुए पाला बदल की अटकलों को सिरे से खारिज भी नहीं किया जा सकता। तो क्या सच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना तीसरा कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे? यह सवाल तो वाजिब है ही।

सबसे पहले बात, बीजेपी-जेडीएस खटपट की। कर्नाटक में कथित घोटाले को लेकर एनडीए ने कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार के खिलाफ पदयात्रा निकालने का प्लान बनाया था। मैसूर अर्बन डिवेलपमेंट अथॉरिटी (मुदा) में कथित घोटाले को लेकर सीएम सिद्धारमैया पर इस्तीफा देने का दबाव बनाने के लिए बीजेपी ने प्लान बनाया था कि एनडीए 3 अगस्त से 7 दिनों के लिए पदयात्रा निकालेगी। अब जेडीएस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने ऐलान किया है प्रस्तावित पदयात्रा से उनकी पार्टी दूर रहेगी। उनके इस तेवर से अब पदयात्रा होगी या नहीं, इसी पर सवालिया निशान लग गया है।

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क्यों नाराज हुए कुमारस्वामी?
दरअसल, एचडी कुमारस्वामी इस बात से भड़के हुए हैं कि बीजेपी हासन से विधायक प्रीतम गौड़ा को ज्यादा तवज्जो क्यों दे रही है। इस बात को लेकर उनका दर्द बुधवार को खुलकर सामने आ गया जब उन्होंने कहा, ‘क्या हम किसी ऐसे व्यक्ति (प्रीतम गौड़ा) के साथ मंच साझा कर सकते हैं जिसने देवगौड़ा परिवार में जहर बोने की कोशिश की? क्या हमें नहीं पता कि किसने पेन ड्राइव बंटवाए थे?’ कुमारस्वामी ने बीजेपी पर बिना चर्चा किए पदयात्रा का कार्यक्रम बनाने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘बेंगलुरु से मैसुरु तक, जेडीएस ही है जो मजबूत है। आप हमें कैसे नजरअंदाज कर सकते हैं या इस तरह का फैसला हमसे बिना चर्चा किए ले सकते हैं?’

कुमारस्वामी अपने भतीजे प्रज्वल रेवन्ना के सीडी कांड में प्रीतम गौड़ा की भूमिका बताते हैं। वह लोकसभा चुनाव के दौरान रेवन्ना के सेक्स सीडी कांड से जुड़े वीडियो क्लिप से भरे पेन ड्राइव बांटे जाने के लिए हासन विधायक गौड़ा को जिम्मेदार मानते हैं। हासन लोकसभा सीट पर चुनाव से पहले रेवन्ना के वीडियो क्लिप बड़े पैमाने पर बांटे गए थे। इससे देवगौड़ा परिवार की बहुत बदनामी हुई। चुनाव नतीजे आए तो रेवन्ना हासन लोकसभा सीट कांग्रेस के हाथों हार चुके थे। फिलहाल वह महिलाओं के यौनशोषण से जुड़े मामले में जेल के भीतर हैं।

नीतीश या ‘अनप्रेडिक्टेबल’ कुमार?
बिहार के बक्सर से कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने भविष्यवाणी की है कि सूबे को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने से नाराज नीतीश कुमार जल्द ही एनडीए का दामन छोड़ने वाले हैं। कांग्रेस विधायक ने दावा किया कि मुख्यमंत्री इतने नाराज हैं कि वह पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की बैठक तक में नहीं गए। वैसे कांग्रेस विधायक के दावे को बहुत ज्यादा तवज्जो तो नहीं दी जा सकती क्योंकि सियासत में हवा-हवाई दावे भी होते ही रहते हैं। लेकिन नीतीश कुमार की ‘अनप्रेडिक्टेबल कुमार’ की छवि इतनी मजबूत हो चुकी है कि उनसे जुड़ीं अटकलों को एकदम से खारिज भी नहीं किया जा सकता। वह एनडीए से अपनी राह जुदा करेंगे या नहीं, लेकिन विपक्ष शिगूफा फैलाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा।

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विपक्ष को ऐसे शिगूफों से फायदा भी मिल रहा है। इसका एक बड़ा उदाहरण योगी को लेकर अरविंद केजरीवाल के दिए बयान के कुछ ही दिन बाद यूपी बीजेपी में मची खींचतान है। लोकसभा चुनाव के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी थी। आम आदमी पार्टी सुप्रीमो ने जेल से आते ही एक बड़ा शिगूफा छोड़ दिया। शिगूफा मोदी-योगी मतभेद की। शिगूफा मोदी के उत्तराधिकारी के लिए अमित शाह बनाम योगी अदित्यनाथ की कथित जंग की। शिगूफा बीजेपी में योगी आदित्यनाथ को हाशिए पर भेजने के कथित षडयंत्र का। संयोग से लोकसभा चुनाव के नतीजों के महीने-दो महीने बाद यूपी में योगी आदित्यनाथ और डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच खटपट की खबरें आए दिन अखबारों की सुर्खियां बटोर रही हैं। ऐसे में हो सकता है कि नीतीश कुमार को लेकर शिगूफा विपक्ष की उस रणनीति का हिस्सा हो जिसमें जेडीयू प्रमुख को खुलकर संकेत दिया जाए कि उनके लिए इंडिया गठबंधन के रास्ते खुले हुए हैं। वही गठबंधन जिसकी नींव उनकी ही पहल पर पड़ी थी।


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