इस देश में भरना पड़ता था कायरों को Tax,तब जाकर मिलती थी युद्ध में न जाने की छूट
नई दिल्ली। युद्ध न लड़ना पड़े इसलिए ब्रिटेन में अय्याश लोग बुजदिल लोग टैक्स भरा करते थे। यह बात है 12वीं से 13वीं सदी की। तब युद्ध से घबराए अमीर लोगों को बुजदिली का टैक्स भर युद्ध से दूर रहने का विकल्प मिलता था। इस टैक्स के जरिये बड़े-बड़े लोग और जागीरदारों को इससे लड़ाई में विकलांग होने के डर से छुटकारा मिल जाता था।
वैसे तो आपने एक से बढ़कर एक टैक्स के बारे में सुना होगा लेकिन बुजदिली के टैक्स के बारे में शायद ही कभी सुना होगा। मध्यकालीन समय में ये टैक्स देकर अय्याश लोग युद्ध से बच जाते थे। जिससे उनके पास अय्याशियों के लिए भरपूर मौका मिल पाता था। साथ ही वे इस डर से भी बचे रहते थे कि लड़ाई में कहीं उन्हें कोई चोट न आ जाए। ये टैक्स किंग हैनरी 1 (1100–1135) से लेकर स्टीफन (1135–1154) के कार्यकाल के दौरान चलता रहा।
बता दें कि मध्यकालीन समय में देशों के बीच युद्ध आम बात हुआ करता था। कोई भी देश दूसरे देश पर हमला कर उसपर कब्ज़ा किया करते थे। उस दौर में हर युवा का सेना में जाना जरूरी हुआ करता था। लेकिन अमीर युवाओं ने इसका भी तोड़ खोज निकाला।
शील्ड मनी भी कहा जाता था
बताते चलें कि इस टैक्स को स्कूटेज या शील्ड मनी भी कहा जाता था। दिलचस्प बात यह है कि यह टैक्स न सिर्फ युद्ध के दिनों में देना पड़ता था जबकि इसे आम दिनों में भी भरना पड़ता था. जिससे युवा अमीर की जगह किसी और को सेना में भर्ती कर उसे ट्रेनिंग दी जा सके।
उस दौरान में इस टैक्स का जबरदस्त चलन हुआ करता था। आलम यह था कि ब्रिटेन के बाद 12वीं, 13वीं सदी में इसे अन्य देशों ने भी अपना लिया। फ्रांस और जर्मनी में भी इस टैक्स को अपना लिया था। इस टैक्स का प्रयोग रेवेन्यू बढ़ाने के लिए किया जाने लगा. हालांकि 14वीं सदी में इस टैक्स पर रोक लग गई। इसके बाद राजस्व बढ़ाने के लिए अलग अलग विकल्प ढूढ़े गए।
लगते थे अजीबोगरीब टैक्स
उस दौर में एक टैक्स खिड़कियों पर लगने लगा था। इसकी शुरुआत साल 1696 में ब्रिटिश राजा विलियम तृतीय ने की थी। तब बड़े महलनुमा घर होते थे, जिनमें खूब सारी खिड़कियां भी होतीं। 6 खिड़कियों के बाद ये टैक्स लागू हो जाता.. ये कर वसूलना आसान था, क्योंकि तब अपार्टमेंट तो होते नहीं थे और हर घर की खिड़कियां दूर से ही नजर आ जातीं।