समुद्र के अंदर रूस-चीन के साथ युद्ध को तैयार अमेरिका,सीक्रेट मिशन के लिए बना रहा घातक पनडुब्बी
वॉशिंगटन। पिछले करीब एक साल से अमेरिका उस पनडुब्बी को तैयार करने की योजना बना रहा है, जो उसका सबसे सीक्रेट हथियार होगा। अब उसने इसे बनाने की शुरुआत कर डाली है। अभी तक अमेरिकी नौसेना के पास यूएसस जिमी कार्टर जैसी सीक्रेट पनडुब्बी थी लेकिन अब उसने वर्जिनिया क्लास की एक पनडुब्बी के निर्माण का काम शुरू करने की तरफ कदम बढ़ाया है। यह नई पनडुब्बी खासतौर पर समुद्री युद्ध को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए तैयार की जा रही है। जिमी कार्टर की ही तरह यह पनडुब्बी भी समुद्र की गहराई में सीक्रेट मिशन को पूरा करने में सक्षम होगी।
तेजी से चल रहा है काम
यूएस नेवी के पास अभी तक सिर्फ जिमी कार्टर ही ऐसी पनडुब्बी है जिसे सीक्रेट मिशन के प्रयोग किया जाता है। इस पनडुब्बी को ऐसे उपकरणों से लैस किया गया है कि ये आसानी से सीक्रेट मिशन को पूरा कर सके। अब नई पनडुब्बी ज्यादा क्षमतावान और स्पेशल स्पाई मिशन के लिए तैयार होगी। यह नई पनडुब्बी भी वर्जिनिया क्लास की पनडुब्बी का नया वर्जन होगी। इस पनडुब्बी पर कनेक्टिकट के ग्रोटन में मशहूर इलेक्ट्रिक बोट शिपयार्ड में पहले से ही काम चल रहा है।
कई अरब डॉलर की एक पनडुब्बी
जनवरी 2022 में 2022 में कनेक्टिकट आर्थिक शिखर सम्मेलन में जनरल डायनेमिक्स इलेक्ट्रिक बोट के अध्यक्ष केविन ग्रैनी द्वारा डिजाइन की गई एक पनडुब्बी के बारे में बताया गया था। तब से ही नई पनडुब्बी की डिजाइन के बारे में कुछ जानकारियां धीरे-धीरे सामने आई हैं। कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस के मुताबिक, अमेरिकी नौसेना के 2024 के बजट में एक ही पनडुब्बी खरीदी जाएगी। बताया जा रहा है कि नई पनडुब्बी पर अनुमानित लागत 5.1 अरब डॉलर आएगी। यह रकम बेसलाइन वर्जीनिया क्लास से लगभग एक अरब डॉलर ज्यादा है।
रूस की हर हरकत पर नजर
रूस की तरफ से समुद्र के नीचे कई तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम चल रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए ही इस नई पनडुब्बी को डिजाइन किया गया है ताकि रूस की हर हरकत पर नजर रखी जाए। सितंबर 2022 तक बाल्टिक में नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइनों पर हमले के बाद से ही अमेरिका अलर्ट है। इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं है कि इस हमले में यूएसएस जिमी कार्टर पनडुब्बी शामिल थी। लेकिन इस हमले ने समुद्र के अंदर क्षमताओं को मजबूत करने पर जोर दिया है। अमेरिकी विशेषज्ञों का मानना है कि नॉर्ड स्ट्रीम की घटना जासूसी का नतीजा थी।
ताकि रूस न करे कोई हरकत
समुद्र के अंदर इंफ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ ऑपरेशन काफी पुराना है। अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका के अलावा रूस की सेनाएं भी काफी मजबूत हैं। सन 1970 के दशक में ऑपरेशन आइवी बेल्स में अमेरिकी नौसेना ने गहरे समुद्र में सोवियत संचार नेटवर्क का पता लगाया था। इजिन केबलों को सोवियत संघ सुरक्षित समझता था, अमेरिका ने उन्हें ही टैप कर लिया था।