मां की डेडबॉडी को तीन महीने तक घर के अंदर रखा,पुलिस आई तो मचा बवाल
नई दिल्ली। अगर आपने अल्फ्रेड हिचकॉक की क्लासिक फिल्म “पसाइको” देखी है तो आपको नॉर्मन बेट्स याद होगा, जिसने अपनी मृत मां को सालों तक संरक्षित रखा। असम के गुवाहाटी में एक युवक ने उसी तरह की एक अजीब घटना को अंजाम दिया है। यहां एक युवक जयदीप देव ने अपनी मृत मां का शव तीन महीने तक अपने घर में रखा और अंतिम संस्कार नहीं किया। जयदीप की मां पुर्निमा देव की मृत्यु के बाद उसने न केवल अंतिम संस्कार की व्यवस्था नहीं की, बल्कि अपने रोजमर्रा के काम जारी रखे। वह रोज खाना लाता रहा, जैसे कि वह अभी भी जिंदा हों।
साथ ही वह रेगुलर बैंक जाकर पैसे निकालता रहा। इस अजीब व्यवहार ने उसके पड़ोसियों को संदेह में डाल दिया, जिन्होंने अंततः पुलिस को सूचित किया। जब पुलिस जयतीकुची में जयदीप के घर पहुंची तो उन्हें एक बिस्तर पर एक महिला की हड्डियां मिलीं। मृतक महिला को 40 वर्षीय पुर्निमा देव के रूप में पहचाना गया। जांच में पता चला कि पुर्निमा अपने पति की मृत्यु के बाद जयदीप के साथ रह रही थीं, जो एक रिटायर्ड रेलवे अधिकारी थे। पुर्निमा का पड़ोसियों के साथ अच्छा रिश्ता था, लेकिन जब वह कई दिनों तक नजर नहीं आईं, तो पड़ोसी चिंतित हो गए।
पुलिस से शिकायत
पड़ोसियों की चिंता और बढ़ गई जब घर बंद था और उसके आसपास कचरा जमा हो गया था। जब पड़ोसियों ने जयदीप से उसकी मां के बारे में पूछा और घर की सफाई करने को कहा तो उसने चौंकाते हुए बताया कि उसके पिता और मां दोनों की मृत्यु हो चुकी है। हालांकि, उसने घर साफ करने से इंकार कर दिया जब तक कि उसे मदद नहीं मिली। उसकी इस अजीब प्रतिक्रिया ने पड़ोसियों को तुरंत अधिकारियों को सूचित करने के लिए प्रेरित किया।
पुलिस की जांच में पता चला कि जयदीप मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रस्त हो सकता है। उसने अपनी मां पुर्निमा देव को कई सालों तक घर में कैद रखा और उन्हें बाहर नहीं जाने दिया। उनकी मृत्यु के बाद जयदीप ने उनका अंतिम संस्कार नहीं किया और उनके शव के साथ रहना जारी रखा, संभवतः उसे विश्वास था कि वह किसी तरह से वापस आ सकती हैं। जयदीप के पास कोई काम नहीं था और वह अपनी मां की पेंशन पर निर्भर था। पड़ोसी शुरू में समझते थे कि वह खुद और अपनी मां के लिए खाना ला रहा है, जबकि सच्चाई कुछ और थी।
पुलिस की जांच में घर के पास धार्मिक वस्तुएं मिलीं, जिसमें भगवान शिव की तस्वीर, दूर्वा, एक दीपक और भोग के लिए खाना शामिल था। जयदीप ने यह भी बताया कि वह रोज़ “ॐ नमः शिवाय” का जाप करता था। अधिकारियों का अनुमान है कि उसने मृत्युंजय मंत्र के जाप के माध्यम से विश्वास किया कि उसकी मां को पुनर्जीवित किया जा सकता है या वह हमेशा जीवित रह सकती हैं। इस मामले ने न केवल गुवाहाटी बल्कि पूरे देश में हड़कंप मचा दिया है, और इससे मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर चर्चा फिर से शुरू हो गई।