भारत में टिकाऊ धान–आलू खेती को मिलेगा यंत्रीकरण का सहारा

भारत में टिकाऊ धान–आलू खेती को मिलेगा यंत्रीकरण का सहारा

वाराणसी  (जनवार्ता)। आईसीएआर-आइसार्क और इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर (CIP) ने वाराणसी में एक संयुक्त बैठक कर ‘पोटैटो ज़ीरो टिलेज विद राइस स्ट्रॉ मल्च (PZTM)’ तकनीक को बढ़ावा देने पर मंथन किया। इस तकनीक के माध्यम से धान की कटाई के बाद खेत में बचे भूसे का उपयोग कर बिना जुताई के आलू की बुवाई संभव हो सकेगी। इससे न केवल लागत, श्रम और पानी की बचत होगी, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।

बैठक में कृषि वैज्ञानिकों, मशीन कंपनियों, किसानों और सरकारी प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक का केंद्र बिंदु एक नया मशीनरी प्रोटोटाइप रहा, जिसमें कॉम्बाइन हार्वेस्टर को ज़ीरो-टिल आलू प्लांटर से जोड़ा गया है। यह मशीन धान की कटाई के तुरंत बाद ही उसी खेत में आलू की बुवाई कर सकती है।

उत्तर प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव (उद्यान) बी.एल. मीणा ने इस तकनीक को राज्य की योजनाओं से जोड़ने की आवश्यकता जताई। आइसार्क निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह और सिप के कंट्री हेड डॉ. नीरज शर्मा ने महिला किसानों की भूमिका, फसल अवशेषों के बेहतर प्रबंधन और कृषि यंत्रीकरण की आवश्यकता को रेखांकित किया।

बैठक में यह सहमति बनी कि मशीन के डिज़ाइन में फील्ड स्तर से प्राप्त सुझावों के आधार पर सुधार किया जाएगा और आगामी रबी सीजन में इसका परीक्षण किया जाएगा। पूर्वी और उत्तरी भारत के चयनित जिलों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए जाएंगे और इन प्रयासों को MIDH, RKVY जैसी सरकारी योजनाओं से जोड़ने के रास्ते तलाशे जाएंगे।

यह पहल कृषि क्षेत्र में यंत्रीकरण को बढ़ावा देने, संसाधनों के संरक्षण और किसानों की आय में वृद्धि लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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