राज्यपाल से महागठबंधन के नेताओं की मुलाकात जारी,थोड़ी देर में कैबिनेट मीटिंग

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रांची। झारखंड में सियासी संकट के बीच UPA प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल रमेश बैस से मिलने राजभवन पहुंचा है। कांग्रेस से कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की,सांसद गीता कोड़ा, राज्य सभा सांसद धीरज साहू, JMM से विजय हंसदा और महुआ मांझी राज्यपाल से मुलाकात कर रहे हैं। प्रतिनिधिमंडल ने आज ही राज्यपाल से मुलाकात का समय मांगा था। राजभवन से शाम 4 बजे मुलाकात का समय दिया गया था।

इधर,दूसरी तरफ सोरेन कैबिनेट की बैठक भी थोड़ी देर में शुरू होने वाली है। राजभवन पर दबाव बनाने के लिए सरकार विधानसभा का विशेष सत्र भी बुला सकती है। इसके जरिए सरकार दिल्ली की केजरीवाल सरकार की तरह खुद से विधानसभा में विश्वास मत पारित कर सकती है। विधानसभा के विशेष सत्र की घोषणा भी कैबिनेट की बैठक के बाद की जा सकती है। कैबिनेट की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी।

वहीं दूसरी तरफ कैबिनेट की बैठक के लिए सभी मंत्रियों को रायपुर से रांची बुला लिया गया है। जेएमएम कोटे के मंत्री जहां पहले से ही रांची में थे तो कांग्रेस कोटे के 4 मंत्री जिन्हें रायपुर शिफ्ट किया गया था, उन्हें भी बुधवार की शाम स्पेशल विमान से रांची बुला लिया गया है।

सभी मंत्री रायपुर जा सकते हैं
वहीं राज्य में सियासी संकट के मद्देनजर झारखंड की पूरी सरकार शुक्रवार को रायपुर शिफ्ट होने की संभावना है। प्रस्तावित कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुआई में सभी देर शाम रायपुर के मेफेयर गोफ्ल रिसॉर्ट रायपुर पहुंच सकते हैं।

झारखंड में भी दिल्ली जैसी स्थिति
3 दिन पहले ही केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में भी अपना विश्वास मत पेश किया है। वहां भी झारखंड जैसी ही स्थिति बन रही थी। चार विधायकों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि उन्हें भाजपा के लोग खरीदने की कोशिश कर रहे हैं। विधायकों ने दावा किया कि इसके लिए 20-20 करोड़ रुपए देने की पेशकश कर रहे हैं।

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विधायकों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अरविंद केजरीवाल ने अपने आवास पर बैठक बुलाई थी, जिसमें 9 विधायक नहीं पहुंचे थे। 9 विधायकों के नहीं पहुंचने के बाद कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थी। ऐसें में केजरीवाल ने विश्वासमत प्रस्ताव लाकर सदन में AAP के भीतर एकजुटता का संदेश दिया था। अब यही एकजुटता का संदेश हेमंत सोरेन झारखंड में देना चाहते हैं।

झारखंड में सियासी संकट के बीच UPA के विधायकों को रायपुर एयरलिफ्ट किया गया है। कांग्रेस-JMM और राजद के विधायकों को रांची से इंडिगो के विशेष विमान से रायपुर लाया गया है। विधायकों को 3 बसों में बैठाकर नवा रायपुर के मेफेयर रिसॉर्ट ले जाया गया। रिसॉर्ट के बाहर चप्पे-चप्पे पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी विधायकों से रिसॉर्ट में मुलाकात की।

विधायकों के लिए मेफेयर रिसॉर्ट को ही क्यों चुना गया?
मेफेयर अभी तक कांग्रेस विधायकों के लिए सबसे अभेद रहा है। पिछले साल जब असम में विधानसभा चुनाव हुए थे और वहां विपक्ष के विधायकों की खरीद-फरोख्त शुरू हुई थी, तब वहां विपक्ष के लगभग एक दर्जन से ज्यादा विधायकों को रायपुर के इसी मेफेयर रिसॉर्ट में लाया गया था।

वहीं जब हरियाणा में राज्यसभा चुनाव होना था, तो वहां भी बीजेपी की तरफ से खरीद-फरोख्त की बात सामने आई, इस पर हरियाणा के विधायकों को मेफेयर में ही ठहराया गया था। अब जब झारखंड सरकार के सामने संकट आया है तो विधायकों को यहां लाया गया है। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को क्राइसिस मैनेजमेंट का मास्टर माना जाता है।

RPN सिंह के कंधे पर है कांग्रेस को तोड़ने की जिम्मेदारी
BJP में जाने से पहले RPN सिंह झारखंड कांग्रेस के प्रभारी थे। राज्य में कांग्रेस को खड़ा करने और सत्ता में साझीदार बनाने में उनकी अहम भूमिका मानी जाती है। टिकट बंटवारे से लेकर मंत्री तय करने तक का सार काम खुद RPN सिंह ने संभाला था। माना जाता है कि उन्हें झारखंड कांग्रेस की मजबूती और कमजोरी दोनों की बखूबी जानकारी है। इसलिए अब कांग्रेस को तोड़ने की जिम्मेदारी बीजेपी ने उन्हें ही दी है।

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कई विधायक अभी भी सीधे RPN के संपर्क हैं
झारखंड कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो अभी भी झारखंड कांग्रेस के कई विधायक सीधे RPN सिंह के संपर्क में हैं। लगातार इनकी दिल्ली में RPN सिंह से मुलाकात हो रही है। यही कारण है कि अविनाश पांडे कांग्रेस को बचाने की मुहिम में खुद फ्रंट से लीड कर रहे हैं। हालांकि ऑफ द रिकॉर्ड वे भी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि ये एक जटिल काम है।


झारखंड कांग्रेस के एक बड़े नेता ने दैनिक भास्कर को बताया कि RPN सिंह ने कांग्रेस में टूट कराने की जिम्मेदारी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता को दी है। इसकी पूरी प्लानिंग भी हो गई थी। कांग्रेस के लगभग 12 विधायकों को तोड़ कर एक दल बनाने की तैयारी थी, जिनका नेता उस वरिष्ठ सदस्य को चुना जाना था।

कोलकाता कैश कांड के बाद बिगड़ा खेल
RPN सिंह की प्लानिंग लगभग पूरी तरह लागू भी हो गई थी, लेकिन इससे ठीक पहले कांग्रेस के तीन विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी कैश के साथ कोलकाता में धरे गए। इसके बाद टूट का खेल बिगड़ गया। कांग्रेस के प्रभारी ने उन्हें इस पूरे खेल का खुलासा करने के लिए कहा, लेकिन जब उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया तो अब पार्टी उनके खिलाफ एक्शन लेने के मोड में है। उनकी विधायकी पर भी तलवार लटक सकती है।

हेमंत इस बार पूरी तरह अलर्ट
सीनियर जर्नलिस्ट रवि प्रकाश कहते हैं कि इस बार हेमंत पूरी तरह अलर्ट हैं। उन्हें पता है कि इतनी सीट पहली बार उन्हें हासिल हुई है और वे किसी भी तरह से इस मौके को खोना नहीं चाहते हैं। यही कारण है कि वे खरीद-फरोख्त और टूट के मामले में BJP को पूरी तरह चेज करते हुए दिखाई दे रहे हैं।

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चुनाव आयोग को राज‌‌भवन के पत्र का इंतजार
चुनाव आयोग के एक बड़े पदाधिकारी की मानें तो गेंद अभी भी राजभवन के पाले में हैं। चुनाव आयोग ने पहले ही मामले की पूरी जांच-पड़ताल के बाद अपना निर्णय सुना दिया है। आदेश राज्यपाल को जारी करना है। राजभवन के निर्देश के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। राजभवन इस संबंध में गैजेट जारी करेंगे, जिसे राज्य निर्वाचन आयोग विधानसभा स्पीकर को देगा। इसके बाद आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

सोरेन की पत्नी का नाम सबसे आगे
अगर सोरेन की मुख्यमंत्री की कुर्सी जाती है तो इस पद के लिए सबसे पहला नाम सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का है। दूसरे और तीसरे नंबर पर जोबा मांझी और चंपई सोरेन हैं। दोनों सोरेन परिवार के काफी करीबी और विश्वस्त हैं। कांग्रेस ने भी इन नामों पर अभी तक किसी तरह की आपत्ति नहीं जताई है।

क्या है खनन पट्टे का मामला?
10 फरवरी को पूर्व CM रघुवर दास के नेतृत्व में BJP के एक डेलिगेशन ने गवर्नर से मुलाकात की थी। BJP ने राज्यपाल से CM सोरेन की सदस्यता रद्द करने कि मांग की थी। BJP ने आरोप लगाया था कि CM सोरेन ने पद पर रहते हुए रांची के अनगड़ा में 88 डिसमिल पत्थर माइनिंग लीज लिया है। BJP का आरोप है कि यह लोक जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RP) 1951 की धारा 9A का उल्लंघन है। गवर्नर ने BJP की यह शिकायत चुनाव आयोग को भेजी।


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