बिहार के पश्चिम चम्पारण में आदमखोर बाघ का हुआ अंत
बिहार के पश्चिम चंपारण में आदमखोर बाघ का अंत हो गया। आठ शूटरों की टीम ने उसे मार गिराया। हर दिन वह किसी न किसी ग्रामीण को अपना शिकार बना रहा था। शनिवार की सुबह भी मां-बेटे को मार डाला। शुक्रवार को उसे मारने की अनुमति मिलने के बाद शनिवार को सफलता मिली। आज सुबह से उसकाे मारने की कोशिश जारी थी। इसके तहत एसटीएफ व बिहार पुलिस के आठ तेज तर्रार जवानों को उसके छुपे होने की संभावित जगह पर भेजा गया था। जिस गन्ने के खेत में उसके छुपे होने की बात की जा रही थी उसमें जाल लगाया गया था। नौ लोगों को अपना शिकार बना चुका है।
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के रघिया रेंज में शनिवार की सुबह हुई घटना के बाद जहां एक ओर लोगों में आक्रोश था वहीं बाघ का दहशत भी, बाघ को मारे जाने की सूचना पर स्थानीय लोगों को राहत जरूर मिली है। उसके शव को स्थानीय लोगों को भी दिखाया गया। बताते चलें कि लोग अपने बच्चों को बाहर नहीं भेज रहे थे। गांव के लोगों ने खेत जाना बंद कर रखा था। बड़े भी संभल कर घर से निकल रहे थे। इस नरभक्षी को मारने के लिए जिस सात सदस्यीय टीम का गठन किया गया है उसमें बगहा, बेतिया व मोतिहारी एसटीएफ तथा जिला पुलिस के तेज तर्रार जवानों को शामिल किया गया था। उन्हें अत्याधुनिक असलहे दिए गए थे। वीटीआर की गाड़ी के सवार होकर वे मौके पर पहुंचकर अपना काम कर रहे थे।
वन विभाग की रणनीति थी कि यदि उस जगह से बाघ भागने की कोशिश करता है तो वह लगाए गए जाल में उलझ जाएगा। इतने में ही पहले से मोर्चा ले चुके जवान उसे शूट कर देंगे। वन विभाग की कार्रवाई को देखते हुए काफी संख्या में ग्रामीण भी वहां पहुंच गए थे। विदित हो कि बिहार के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन पीके गुप्ता ने इस बाघ के शिकार की अनुमति प्रदान की थी। इस बारे में वीटीआर के क्षेत्र निदेशक ने अब तक मारे गए लोगों का हवाला देते हुए इस आशय का आदेश मांगा था। उन्होंने इसको रेस्क्यू करने की कोशिश और उसमें मिली असफलता का उल्लेख भी किया था। इसके बाद ही इसक प्रकार की अनुमति प्रदान की गई थी। इसकी सूचना राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकार को भी देनीं होती है।