कार्बन डेटिंग के लिए हिन्दू पक्ष के वकील ने कहा,खून के आखिरी कतरे तक लड़ेंगे

कार्बन डेटिंग के लिए हिन्दू पक्ष के वकील ने कहा,खून के आखिरी कतरे तक लड़ेंगे
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की जांच कराने से मना करने का वाराणसी अदालत का फैसला अब सुप्रीम कोर्ट में ही सुलझाने की तैयारी हिंदू पक्ष की ओर से की जा रही है। इस मामले में वादी पक्ष के अधिवक्‍ता विष्‍णु शंकर जैन ने ट्वीट कर स्थिति स्‍पष्‍ट की है। उन्‍होंने लिखा है कि – ‘आप सबको मैं यकीन दिलाना चाहता हूं कि हम लड़ेंगे और अच्‍छे से लड़ेंगे। हम पीछे नहीं हटेंगे और अपने खून के आखिरी कतरे तक लड़ाई को जारी रखेंगे। ज्ञानवापी में कोर्ट का आर्डर गलत है। हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।’


दरअसल अदालत के फैसले में यह साफ कहा गया है कि प्राप्‍त कथित शिवलिंग को सुरक्षित रखने का आदेश उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा दिया गया है। ऐसे में फैसला हिंदू पक्ष के विपरीत आने के बाद अब उच्‍चतम न्‍यायालय में ही इस प्रकरण का हल अधिवक्‍ता देख रहे हैं। लिहाजा हिंदू पक्ष के वकील विष्‍णु शंकर जैन ने अदालत के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करने की बात कही है

वहीं दूसरी ओर अदालत के फैसले की वह प्रति भी वायरल हो रही है जिसमें अदालत ने तमाम वजहों का हवाला देकर कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग या उसके वैज्ञानिक परीक्षण की मांग को खारिज किया है। अदालत ने कहा है कि – प्रार्थना पत्र 250 ग में मुख्‍य रूप से वादी गण 2 और 5 ने मांग कार्बन डेटिंग अथवा वै‍ज्ञानिक तकनीक जैसे ग्राउंड पैनीट्रेटिंग राडार का प्रयोग करते हुए 16-5-22 को अधिवक्‍ता कमिश्‍नर द्वारा की गई कार्यवाही के दौरान पाए गए शिवलिंगम की संरचना, प्रकृति और आयु का निर्धारण कराया जाए। उल्‍लेखनीय है कि माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय ने इस प्रकरण में 17-5-22 को निर्देशित किया है कि अधिवक्‍ता कमिश्‍नर की कार्यवाही के दौरान जो शिवलिंगम पाया गया है उसे सुरक्षित रखा जाए। ऐसी स्थिति में कार्बन डेटिंग अथवा वै‍ज्ञानिक तकनीक जैसे ग्राउंड पैनीट्रेटिंग का प्रयोग करने पर उच्‍चतम न्‍यायालय के आदेश का उल्‍लंघन होगा। ऐसा होने पर आम जनता की धार्मिक भावनाओं को भी चोट पहुंच सकती है। ऐसे में एएसआइ को जांच का निर्देश दिया जाना उचित नहीं होगा। लिहाजा प्रार्थना पत्र 250 ग निरस्‍त होने योग्‍य है। 

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वादी पक्ष द्वारा अदालत से मांग की गई थी कि शिवलिंग की भूमि की खोदाई की जाए ताकि उसकी प्र‍कृति, आयु और संरचना के बारे में कार्बन डेटिंग से जानकारी प्राप्‍त की जा सके। शिवलिंगम को किसी अन्‍य साक्ष्‍य की आवयश्‍यकता नहीं है जिससे कि उसकी प्रकृति और संरचना प्रमाणित हो सके। इसके लिए कार्बन डेटिंग अथवा वै‍ज्ञानिक तकनीक जैसे ग्राउंड पैनीट्रेटिंग राडार का प्रयोग कर उसकी जांच रिपोर्ट सामने लाई जाए। 


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