यूक्रेन के लिए लड़ने गए 3 विदेशियों को सजा-ए-मौत
मॉस्को। रूस के खिलाफ जंग में यूक्रेन की मदद के लिए गए 3 लोगों को रूस की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई है। यूक्रेन में रूस समर्थित डोनबास इलाके की इस अदालत ने यह फैसला सुनाया। हालांकि, जिस अदालत ने यह सजा सुनाई है उसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं दी गई है। ब्रिटेन और यूक्रेन ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है।
यह अदालत डोनेट्स्क में है,जिसे जंग की शुरूआत में रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने आजाद घोषित किया था। ब्रिटेन के नागरिकों एडन आसलिन और शॉन पिनर के साथ मोरक्को में रहने वाले ब्राहिम सौदून पर पेशेवर कातिल होने के आरोप लगाए गए। इसके अलावा तीनों को सैन्य गतिविधि और आतंकवाद का भी दोषी ठहराया गया।
रिहाई की कोशिश जारी
कोर्ट का फैसला आने के बाद इन लोगों के वकीलों ने कहा कि वे फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। वहीं, ब्रिटिश सरकार ने कहा- दोनों लोगों को रिहा कराने के लिए यूक्रेन के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रस ने भी अदालत के फैसले की निंदा की। उन्होंने कहा कि इस फैसले की कोई वैधता नहीं है। एडेन आसलिन और शॉन पिनर के परिवारों ने कहा कि दोनों 2018 से ही यूक्रेन में रह रहे हैं और यूक्रेन की सेना में सेवा दे रहे हैं।
रूसी समर्थक बलों के सामने किया था सरेंडर
पिनर और आसलिन ने अप्रैल के बीच में यूक्रेन के मारियुपोल में रूसी समर्थक बलों के सामने सरेंडर कर दिया था। वहीं, ब्राहिम ने इस साल मार्च में यूक्रेन के पूर्वी शहर वोलनोवखा में सरेंडर किया था। इससे पहले रूस की सेना ने कहा था कि यूक्रेन के लिए लड़ रहे विदेशी, सैनिक नहीं हैं और पकड़े जाने पर उन्हें सजा दी जा सकती है।
पुतिन ने रूस के पहले राजा से की अपनी तुलना
पीटर द ग्रेट ने 18वीं सदी में बाल्टिक तट पर स्वीडन के खिलाफ जंग जीती थी। जीत के बाद रूस बाल्टिक समुद्र में प्रमुख ताकत और यूरोपीय मामलों में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनकर उभरा था।
पीटर द ग्रेट ने 18वीं सदी में बाल्टिक तट पर स्वीडन के खिलाफ जंग जीती थी। जीत के बाद रूस बाल्टिक समुद्र में प्रमुख ताकत और यूरोपीय मामलों में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनकर उभरा था।
इधर, यूक्रेन में तबाही मचाने के आदेश देने वाले पुतिन ने अपनी तुलना रूस के महान राजा पीटर से की है। पुतिन ने कहा- जब पीटर द ग्रेट ने रूस के सेंट पीटरर्सबर्ग शहर की स्थापना की और उसे रूसी राजधानी घोषित किया तब यूरोप के किसी भी देश ने इस क्षेत्र को रूसी क्षेत्र के रूप में मान्यता नहीं दी थी। रूस को अपने क्षेत्रों को वापस लेने और अपनी रक्षा करने की जरूरत है। उनका इशारा यूक्रेन की ओर था।