इजरायल के लिए जासूसी करने पर 4 को मिली मौत,भारत में क्या है इस अपराध की सजा

इजरायल के लिए जासूसी करने पर 4 को मिली मौत,भारत में क्या है इस अपराध की सजा
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ईरान। खुफिया जानकारी दूसरे दुश्मन देश इजरायल तक तक पहुंचाने वाले 4 जासूसों को ईरान की सरकार ने सजा-ए-मौत दी है। ये जासूस इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के लिए काम करते थे। ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी इरना की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक चारों आरोपियों को ईरान के सर्वोच्च न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई थी जिसके बाद रविवार को सभी जासूसों को फांसी पर लटका दिया गया।

भारत में क्या है जासूसी का सजा?
लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में जासूसी के अपराध की क्या सजा है। क्या यहां भी जासूसी करने पर मौत की सजा होती है ? सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि हमारे देश में किसी भी देश के लिए भारत में जासूसी करने वाले जासूस के लिए कोई कड़ी सजा का प्रावधान नहीं है। यहां तक की उम्रकैद तक की भी सजा नहीं दी जाती। बल्कि केवल 7 साल की सजा होती है वो भी बेहद की गंभीर मामलों में ये सजा दी जाती है।

अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि भारत में आज तक कई जासूस पकड़े जा चुके हैं। लेकिन किसी भी जासूस को फांसी जैसी कड़ी सजा नहीं दी गई। बल्कि देश में जासूस के लिए कोई कड़ी सजा का कोई प्रावधान ही नहीं है। उन्होंने कहा कि अधिकतर जासूस पैसों के लिए जासूसी करते हैं और अपने नाम से रकम या प्रॉपर्टी न लेकर वो किसी और के नाम से लेते हैं जैसे कि अपने किसी अन्य परिवार के सदस्य के नाम से या फिर नौकर, ड्राइवर आदि के नाम से ताकि पकड़ जाने पर उसके खिलाफ कोई सबूत ना मिले।

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उपाध्याय ने बताया कि इतना ही नहीं जासूस को पेमेंट भी सीधे कैश या ब्लैक मनी के तौर पर पहुंचती है उनके अकाउंट में पैसे का कोई लेन-देन नहीं होता बल्कि क्रिप्टोंकरेंसी या हवाला जैसे माध्यमों से रकम मिलती है।

जासूसी को ब्लैकमनी के तौर पर पैसा मिलता है जिससे कि कभी उनकी आय का कोई रिकॉड ना रहे और उनके खिलाफ बेनामी संपत्ति या आय से अधिक संपत्ति का कोई केस न हो सके। एडवोकेट उपाध्याय ने कहा कि हमारे देश में जासूसों के लिए कोई कड़ी सजा का प्रावधान नहीं है। लेकिन देश के खिलाफ जासूसी करना एक गंभीर मुद्दा है इसके लिए कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यहां तक की किसी को आज तक 10 साल की सजा या उम्र कैद तक नहीं हुई है।

50 साल की उम्रकैद का हो प्रावधान !
बातचीत में उपाध्याय ने कहा कि जो लोग भी देश से गद्दारी करते हैं या दूसरे देश के लिए जासूसी करते हैं उन्हें कम से कम 50 साल की सजा और कठोर कारावास होना होना चाहिए और इसमें शामिल सभी लोगों के लिए कड़ी सजा होनी चाहिए।

दिल्ली में पकड़ी गई चीनी महिला जासूस
बता दें कि देश में आए दिन खुफिया जासूस पकड़े जाते हैं हाल ही में देश की राजधानी में भी एक चीनी महिला जासूस को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया। चीनी महिला जासूस को दिल्ली के मजनू के टीला इलाके से गिरफ्तार किया गया है।

जानकारी के मुताबिक आरोपी महिला दिल्ली में रहकर दलाई लामा की जासूसी करने की कोशिश कर रही थी। जांच ऐजेंसियों को महिला के देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के सबूत मिले हैं।

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सुरक्षा एजेंसिया ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर चीनी महिला जासूस को फंडिंग कहा से मिल रही थी। साथ ही उसके सहयोगियों की पहचान लगाने की कोशिश भी की जा रही है। महिला जासूस के चीनी नागरिक होने के भी सबूत मिले हैं। फिलहाल चीनी महिला जासूस दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है।

एक वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं कि भारत में आए दिन कई जासूस पकड़े जाते हैं लेकिन किसी भी जासूस को मौत की सजा देने का प्रावधान नहीं हैं। पकड़े जाने पर उसके खिलाफ अलग-अलग धाराओं को जोड़ते हुए केस चलाए जाते हैं और उसके मुताबिक सजा होती है।

ईरान ने 4 इजरायली जासूसी को फांसी पर लटकाया
बता दें कि बीते रविवार ईरान ने इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के लिए काम करने वाले 4 जासूसों को फांसी दे दी। ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी इरना के मुताबिक देश के रिवोल्यूशनरी गार्ड ने इन 4 इजरायली जासूसों को गिरफ्तार किया था। ये चारो आरोपी लोगों की निजी और देश की सरकारी एजेंसी की चोरी कर रहे थे, इतना ही लोगों को अगवा कर उनसे खुफिया जानकारी हासिल करते थे। जिसकी जानकारी मिलने के बाद इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

ईरान को चारों जासूसों के पास से हथियार भी बरामद हुए हैं साथ ही जानकारी मिली है कि इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद की तरफ से इन्हें क्रिप्टोकरेंसी के तौर पर पैसा भी पहुंचाया जा रहा था। चारों आरोपियों को जून में गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद इनको लेकर छानबीन और पूरी कार्रवाई की गई और फिर ईरान के सर्वोच्च न्यायालय ने चारों जासूसों को मौत की सजा सुना दी। जिसके बाद रविवार को इजरायली 4 जासूसों शाहीन इमानी मोहमुदाबादी, मिलाद अशरफी,हुसैन ओरदोखानजादा और मनौचेहर शाहबंदी को फांसी पर लटकी दिया गया।

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इन चारों जासूसों पर ईरान के सर्वोच्च न्यायालय ने इजरायली सरकार की खुफिया सेवाओं के साथ सहयोग करने और लोगों के अपहरण कर उनकी संपत्ति जब्त करने जैसे आरोपो को लेकर मौत की सजा सुनाई गई। इसके साथ ही 4 चोरों को मौत की सजा के साथ 3 अन्य आरोपियों को देश के हितों के खिलाफ काम करने,अवैध हथियार रखने और लोगों के अपहरण में मदद करने जैसे अपराध को लेकर 5 से 10 साल कैद की सजा सुनाई गई है।

बता दें की मौजूदा समय में ईरान और इजरायल दोनों कड़े दुश्मन देश हैं. इस्लामिक देश सालों से यहूदी देश इजरायल पर अपने देश में गुप्त अधियान चलाने को लेकर लगातार आरोप भी लगाते आया है। दोनों देशों के बीच कट्टर दुश्मनी का सच किसी से छिपी नहीं हैं। ईरान में आई इस्लामिक क्रांति के बाद दोनों देशों के बीच संबध खराब हो गए जबकि प्राचीन काल में दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध थे।


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