दुबई से श्रीलंका लौटे पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, विशेष जगहों का किया था दौरा

दुबई से श्रीलंका लौटे पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, विशेष जगहों का किया था दौरा
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कोलंबो । श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे अपनी दुबई यात्रा से वापस लौट आए हैं। श्रीलंका की बिगड़ी अर्थव्यवस्था को न संभाल पाने के कारण पिछले साल राजपक्षे को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। इसके साथ ही उन्हें देश छोड़कर भी जाना पड़ा था। स्थिति को काबू में आता देख वो वापस श्रीलंका आ गए थे। आपको बता दें, श्रीलंका वापस आने के बाद दुबई यात्रा उनकी पहली विदेशी यात्रा थी।

डेली मिरर लंका अखबार ने एयरपोर्ट ड्यूटी मैनेजर और एयरपोर्ट इमिग्रेशन डिपार्टमेंट के प्रवक्ता के हवाले से बताया कि राजपक्षे और उनकी पत्नी आयोमा गुरुवार को दुबई से यहां बंदरानाइक इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचे हैं। खबरों के मुताबिक वो दुबई से अमीरात की उड़ान ईके-650 से आए हैं। अपने दुबई दौरे के समय राजपक्षे ने “फेम पार्क” नाम के एक पशु फार्म पर गए थे।

देश छोड़कर भाग गए थे राजपक्षे
जुलाई में राजपक्षे श्रीलंकाई एयरफोर्स के विमान से मालदीव भाग गए थे। उस समय श्रीलंका 1948 में ग्रेट ब्रिटेन से मिली आजादी के बाद सबसे खराब आर्थिक और मानवीय संकट से जुझ रहा था। इतना ही नहीं मालदीव से राजपक्षे सिंगापुर भाग गए और वहीं से उन्होंने 14 जुलाई को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। इसके बाद वह कुछ समय रहने के लिए थाईलैंड चले गए थे।

उस दौरान थाईलैंड की ओर से कहा गया था कि राजपक्षे वहां केवल 90 दिनों तक वहां रह सकते हैं क्योंकि उनके पास एक राजनयिक पासपोर्ट है। साथ ही उन्हें थाइलैंड की किसी भी राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति नहीं थी। थाईलैंड में वो एक होटल में थे जहां उन्हें कुछ सुरक्षाकर्मी भी दिए गए थे। सितंबर 2022 में, उन्हें थाईलैंड से श्रीलंका लौटने पर विशेष सुरक्षा और एक राजकीय बंगला भी दिया गया था।

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राष्ट्रपति चुनाव के दौरान छोड़नी पड़ी थी अमेरिकी नागरिकता
राजपक्षे पहले श्रीलंका और अमेरिका दोनों के नागरिक थे लेकिन 2019 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए उन्हें अपनी अमेरिकी नागरिकता खोनी पड़ी थी। दरअसल, श्रीलंका के संविधान के अनुसार, दोहरी नागरिकता वाले लोग वहां कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। हालांकि, उनकी इओमा, बेटा मनोज, बहू सेवंडी और पोता सभी के पास अमेरिकी नागरिकता है। 2019 के चुनाव में चुने जाने के बाद उनके खिलाफ दर्ज किया भ्रष्टाचार का मामला भी वापस ले लिया गया था जो कि उनके शीर्ष रक्षा अधिकारी के रूप में कार्य करने के दौरान दर्ज किया गया था।

नागरिकता वापस पाने का आवेदन
द संडे टाइम्स अखबार के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में राजपक्षे ने अपनी अमेरिकी नागरिकता को वापस पाने के लिए आवेदन दिया था जब उन्हें किसी अन्य देश में शरण नहीं मिल पा रहा था। लेकिन अमेरिकी सरकार ने अभी तक इस आवेदन पर कोई विचार नहीं किया है।

राजपक्षे परिवार का श्रीलंका की राजनीति में पिछले दो दशकों से अधिक समय से शासन कर रहा था। महिंदा राजपक्षे, 76 साल के हैं और उनके बड़े भाई गोटाबाया राजपक्षे देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री रह चुके हैं। उनके 71 वर्षीय छोटे भाई बासिल राजपक्षे पहले वित्त मंत्री थे। श्रीलंका, 1948 में मिली आजादी के बाद से अब तक की सबसे खराब आर्थिक स्थिति से जुझ रहा था। ऐसा विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी के कारण हुआ था।

आईएमएफ ने की आर्थिक मदद
सितंबर में, आईएमएफ ने घोषणा की कि वह दिवालिया हुए द्वीप को उसके सबसे खराब आर्थिक संकट से उबारने और लोगों की आजीविका की रक्षा करने में मदद करने के लिए एक समझौते के तहत श्रीलंका को चार वर्षों में लगभग 2.9 बिलियन अमरीकी डॉलर का ऋण प्रदान करेगा।

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देश को उम्मीद थी कि वो जापान और चीन समेत अन्य देशों के समन्वय के साथ देश को 29 बिलियन अमरीकी डॉलर के अपने आप को पुनर्गठित कर लेगा। अप्रैल में विदेशी मुद्रा संकट के कारण श्रीलंका ने अपने अंतरराष्ट्रीय ऋण से जुड़ी घोषणा की। देश पर 51 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी कर्ज बकाया है, जिसमें से 28 अरब अमेरिकी डॉलर का भुगतान 2027 तक किया जाना है।

अप्रैल में भारी मुश्किलों से जूझ रहा था श्रीलंका
अप्रैल की शुरुआत से ही श्रीलंका में आर्थिक संकट से ठीक से संभाल पाने के कारण श्रीलंका के नागरिकों ने अपनी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया था। विदेशी भंडार की भारी कमी के कारण ईंधन, रसोई गैस और अन्य आवश्यक चीजों के लिए लंबी कतारें लग गई हैं। वहीं, बिजली कटौती और खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण लोगों पर दुखों का पहाड़ सा टूट गया था।


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