समय रहते पहचानें कैंसर के शुरूआती लक्षण, तो इस बीमारी को दे सकते हैं मात!
नई दिल्ली । कैंसर की वजह से दुनिया भर में मौतें बहुत ज्यादा होती है इसलिए इसके बारे में जागरूकता फैलाना इस समय बहुत ज़रूरी हो गया है। कैंसर की रोकथाम तभी हो सकती है जब इसके बारे मे लोगों को विधिवत जानकारी हो और यह पता हो कि कैंसर से पीड़ित होने पर कौन से कदम उठाने चाहिए। कैंसर की रोकथाम, इसके डायग्नोसिस और इलाज़ के बारे में जागरूक रहना बेहद जरूरी है।
हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक किया जाता है। लोगों को पता होना चाहिए कि तम्बाकू और शराब के सेवन से कैंसर की स्थिति पैदा होती है। इसके अलावा कार्सिनोजेन्स जैसे केमिकल के संपर्क में आना और सूरज की रोशनी से यूवी किरणों सहित हानिकारक रेडियेशन, मोटापा और कैंसर का पारिवारिक इतिहास विभिन्न प्रकार के कैंसर का ख़तरा बढ़ाता है। भारत में सबसे ज्यादा होने वाले कैंसर में ब्रेस्ट कैंसर, ओरल कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, गैस्ट्रिक, कोलोरेक्टल और फेफड़ों के कैंसर हैं।
कैंसर के लक्षण
कुछ लक्षणों से कैंसर के शुरूआती चेतावनी भरे संकेत देखने को मिल सकते हैं। जब भी ऐसे संकेत दिखे तो डॉक्टर को बिना देरी किये दिखाना चाहिए। इन चेतावनी भरे संकेतों में कोई वृद्धि होने पर कैंसर को लेकर सतर्क हो जाना चाहिए और लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। कुछ संकेतों के बारे में नीचे बताया गया है:
- उदाहरण के लिए स्तन में गांठ सिस्ट के कारण हो सकती है। यह गांठ आमतौर पर अपने आप गायब हो जाती है। ऐसी प्रबल सम्भावना होती है कि यह गांठ ब्रेस्ट कैंसर का संकेत हो सकती है। अगर आपको अपने शरीर में कोई चीज़ आसामान्य लगती है तो इंटरनेट पर समाधान खोजने के बजाए डॉक्टर को दिखाएं।
- ज्यादातर समय जब कोई आसमान्य चीज होनी शुरू होती है, तो हमारा शरीर आसामान्य लक्षणों और संकेतों को दर्शाता है। हमें इन लक्षणों को और संकेतों को गंभीरता से लेना चाहिए।
- इन दिनों जेनेटिक टेस्टिंग भी उपलब्ध है। इसकी मदद से लोग यह पता लगा सकते हैं कि उन्हें आगे चलकर जिंदगी में कैंसर हो सकता है या नहीं। जेनेटिक टेस्टिंग की मदद से जीन में होने वाले म्यूटेशन का पता लगाया जा सकता है।
कैंसर का क्या है इलाज
एक चीज जिस पर हम सभी सहमति व्यक्त कर सकते हैं, वह यह है कि समय से इलाज कराने से कैंसर से लड़ाई को जीता जा सकता है। कैंसर के शुरूआती स्टेज में ही इलाज शुरू कर देना न केवल इलाज के खर्चे को कम करता है बल्कि इससे कैंसर से लड़ाई जीतने और मृत्यु दर को कम करने में मदद मिलती है। इलाज के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। कैंसर का पता जिस स्टेज में चलता है, उसी के अनुसार इलाज की योजना बनाई जाती है। इसके अलावा कोमोर्बिडिटी, उम्र, लिंग और अन्य फैक्टरों को भी ध्यान में रखकर इलाज की योजना तैयार की जाती है। कभी-कभी कैंसर जब एडवांस स्टेज में पहुंच जाता है तो इलाज से कुछ ख़ास फायदा नहीं होता है। ऐसे केस में हेल्थ प्रोफेसनल्स द्वारा पैलियाटिव केयर प्रदान करने, जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने और लम्बे समय तक जीवन जीने के लिए उपाय किए जाते हैं। जब कोई मरीज किसी अनुभवी और प्रतिष्ठित ऑन्कोलॉजिस्ट से कंसल्ट करता है, तो उसे इस बात का संतोष होना चाहिए कि वह सुरक्षित हाथों में है और उसे इलाज से फायदा हो सकता है।