Taiwan के खिलाफ चीनी मिलिट्री ड्रिल से बढ़ा तनाव,40 से ज्यादा विमानों ने पार की हदें

Taiwan के खिलाफ चीनी मिलिट्री ड्रिल से बढ़ा तनाव,40 से ज्यादा विमानों ने पार की हदें
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नई दिल्ली। चीन ताइवान फिर आमने-सामने हैं। ड्रैगन अपनी भड़ास ताइवान के खिलाफ सैन्य अभ्यास के जरिए निकाल रहा है। जल से आसमान तक चीन अपने बल का प्रदर्शन कर रहा है। इससे पहले चीनी सेना PLA यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के ईस्टर्न थिएटर कमांड ने कहा कि ‘युद्ध की तैयारियों’ के लिए ‘यूनाइटेड शार्प सोर्ड’ अभ्यास 8 से 10 अप्रैल तक चलाया जाएगा।

ये अभ्यास ताइवानी सीमाओं के आस पास ही चलाया जा रहा है। ताइवानी रक्षा मंत्रालय ने भी कहा है कि चीन द्वीप के चारों ओर 13 विमानों और 3 युद्धपोतों के जरिए ड्रिल जारी रखे है। वहीं खबरों के मुताबिक, करीब 40 हवाई विमानों ने संवेदनशील मध्य रेखा को क्रॉस किया है। ताजा घटनाक्रम ने अमेरिका को भी सचेत कर दिया है।

ड्रैगन क्यों लाल?
पिछले दिनों ताइवानी राष्ट्रपति त्साई इंग वेन ने अमेरिका का दौरा किया। वहां यूनाइटेड स्टेट्स हाउस के स्पीकर केविन मैकार्थी से मिलीं। मंच से चीन को लेकर अपनी राय जाहिर की। बोलीं- “यह कोई रहस्य नहीं है कि आज हमने जो शांति बनाए रखी है और जिस लोकतंत्र को बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है, वो अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रही है।”

ताइवानी राष्ट्रपति ने कहा था कि अमेरिका में दोनों पक्षों के नेताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया, जो दिखाता है कि दुनिया के मंच पर उनका द्वीप अलग-थलग नहीं पड़ा है। इसके बाद से ही चीन बौखला गया था और उसकी ओर से बयान जारी किया गया था।

चेताया था चीन ने
चीन ने चेतावनी दी थी कि अगर ताइवानी राष्ट्रपति, अमेरिकी स्पीकर से मिलीं तो ठीक नहीं होगा। अब उसके सैन्य अभ्यास को अमेरिका के साथ ताइवान की करीबियों का परिणाम बताया जा रहा है। वैसे ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच अदावत पुरानी है। 2022 में ही उस वक्त तनाव अपने चरम पर पहुंच गया था जब पूर्व स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइपे पहुंच गई थीं। चीन ने न सिर्फ पेलोसी दौरे का विरोध किया था, बल्कि आक्रामक रूख भी अपनाया था। विरोध के तौर पर चीन ने ताइवान को घेर पानी में अपना सबसे बड़ा Military Operation भी शुरू किया था।

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ताइवान पर विवाद की वजह!
ताइवान खुद को स्वतंत्र देश मानता है। उसका अपना संविधान है और वहां लोगों की चुनी हुई सरकार का शासन है। वहीं चीन इसके उलट मानता है कि ताइवान उसका ही एक प्रांत है, जो एक न एक दिन फिर से उसका हिस्सा बन जाएगा। ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन से करीब 100 मील दूर स्थित एक द्वीप है।


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