फांसी देने के मामले में मशीन बना ईरान,एक साल में करीब 600 लोगों को फंदे पर लटकाया
नई दिल्ली। ईरान में पिछले साल एंटी हिजाब मामले को लेकर बहुत बड़ा आंदोलन हुआ था। इस आंदोलन ने देश को हिलाकर रख दिया था। इसके विरोध में शामिल कई लोगों को सरकार ने फांसी की सजा दे दी थी। इस आंदोलन की शुरुआत 22 साल की महसा अमिनी नाम की महिला के मौत के बाद हुई थी,जिसे पुलिस हिरासत में हिजाब न पहनने के आरोप में पीटकर मार डाला गया था।
इसी बीच नॉर्वे स्थित ईरान ह्यूमन राइट्स और पेरिस स्थित टुगेदर अगेंस्ट द डेथ पेनल्टी ने मिलकर एक सर्वे किया। उनके सर्वे रिपोर्ट में ये बात सामने आयी कि ईरान में पिछले साल फांसी की सजा में 75 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
साल 2022 में कुल 582 लोगों को फांसी की सजा
ईरान में साल 2022 में कुल 582 लोगों को फांसी की सजा दी गई, जो साल 2021 में 333 के मुकाबले आंकड़े से काफी ऊपर है। ईरान इस तरह के कदम का इस्तेमाल लोगों के बीच डर फैलाने के लिए करता है। वो आंदोलन में शामिल लोगों को बड़ी ही बेरहमी से फांसी की सजा सुना देता है।
पिछले साल एंटी-हिजाब आंदोलन में कई लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। उन लोगों पर आंदोलन के दौरान पुलिस को मारने का आरोप लगाया गया था। आंदोलन तब और तेज हो गया था,जब आंदोलन के शुरूआत में ही चार लोगों को फांसी पर लटका दिया गया था।
ईरान में विरोध-संबंधी फांसी पर रोक
ईरान ह्यूमन राइट्स के निदेशक महमूद अमीरी मोघद्दाम ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया ने ईरान में विरोध-संबंधी फांसी पर रोक लगा दी है। हालांकि,इसके बावजूद ईरान की सरकार अभी भी प्रदर्शनकारियों को डराने-धमकाने के लिए अन्य आरोपों का इस्तेमाल कर रहा है।
फांसी को लेकर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की रोक ने इस्लामी गणराज्य को फांसी की सजा देने के कानून में आगे बढ़ना मुश्किल हो गया है। ईरान अपने देश में न सिर्फ फांसी की सजा देती है,बल्कि ईरानी सरकार लोगों को नशीली दवाओं से संबंधित मृत्युदंड भी देती है। इस मामले में भी बढ़ोतरी देखी गई, जो बेहद चिंताजनक है।