बढ़ती रेल दुर्घटना से सदमे में यात्री,हर दूसरा चिंतित है कि सुरक्षित पहुंच पाएंगे या…
नई दिल्ली। भारतीय रेल भारत की जीवन रेखा है। अभी भी देश की करीब 98 फीसदी आबादी ट्रेन के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकती। लेकिन रेल यात्रा अब डराने लगी है। कम से कम लोकल सर्किल के एक लेटेस्ट सर्वे से यही जानकारी मिल रही है। इसमें बताया गया है कि हर दूसरा पैसेंजर ट्रेन जर्नी में डरा हुआ रहता है। उन्हें भरोसा ही नहीं है कि वह सुरक्षित गंतव्य पर पहुंच जाएंगे। यही नहीं, यात्री ट्रेन के समय पर चलने को लेकर भी चिंतित हैं। उन्हें साफ-सफाई की भी चिंता है। ट्रेन में मिलने वाले भोजन को तो लेकर वह कुछ ज्यादा ही चिंतित हैं। क्योंकि ट्रेन में फूड क्वालिटी चिंताजनक स्थिति में पहुंच गई है।
साफ-सफाई ठेंगे पर
इस सर्वे में सवाल पूछा गया था कि पिछले तीन साल के दौरान आप रेलवे के किस क्षेत्र के प्रति सबसे ज्यादा चिंतित हैं। इस सवाल पर 68 फीसदी लोगों ने साफ-सफाई पर असंतोष व्यक्त किया। उनका कहना था कि सरकार ने निजी क्षेत्र के हाथों साफ-सफाई का जिम्मा सौंप दिया। लेकिन अभी भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इस सर्वे में 13,854 लोगों ने इस सवाल पर एक से ज्यादा क्षेत्रों पर अपनी चिंता व्यक्त की।
कहां रहती है सबसे ज्यादा गंदगी
इस सर्वो में 68 फीसदी लोगों ने बताया कि उन्हें सबसे ज्यादा डर्टी टॉयलेट्स परेशान करता है। इसके बाद डिब्बे की साफ-सफाई भी उनकी चिंता का कारण है। सर्वे में 46 फीसदी लोगों ने बताया कि यात्रा के दौरान डिब्बों की सफाई तो होती ही नहीं है। कभी-कभार वहां सफाई हो जाए तो अलग बात है। लेकिन आमतौर पर वहां गंदगी का ही साम्राज्य होता है।
रेलवे का खाना तो है माशा अल्लाह
इस सर्वे में साफ-सफाई के बाद सबसे ज्यादा लोगों ने रेलवे के खाने को खराब बताया है। इसमें शामिल 61 फीसदी लोगों ने ट्रेन के पेंट्री कार के भोजन या ट्रेन में बिकने वाले भोजन पर असंतोष व्यक्त किया है। इस संवाददाता ने तो एक दिन पहले ही विक्रमशिला एक्सप्रेस से यात्रा कर आए एक पैसेंजर से बात की। उन्होंने बताया कि ट्रेन में पेंट्री कार वाले स्टेंडर्ड कैशरोल मील तो बेचते ही नहीं हैं। वे अला-कार्टा भोजन के नाम पर वेज बिरयानी, अंडा बिरयानी, मटर पनीर चावल और पता नहीं क्या क्या बेचते हैं। सबकी कीमत अनाप-शनाप वसूलते हैं। पेट्री कार के वेटर कोई मेनू कार्ड नहीं देते। सामान पर कोई दाम नहीं लिखा होता है। उनसे खाने का बिल मांग लो तो अगिया बैताल हो जाते हैं।
ट्रेन समय पर चलती ही नहीं है
यदि आप कुछ वीवीआईपी या ज्यादा किराये वाले ट्रेनों को छोड़ दें तो रेलवे में समयपालन बहुत बड़ी बीमारी है। इस सर्वे में शामिल 48 फीसदी लोगों ने भी समयपालन को सबसे बड़ी समस्या माना है। अब रेलवे के सुपरफास्ट ट्रेन 12368, विक्रमशिला एक्सप्रेस को ही देखिए। यह ट्रेन आज यानी 31 जुलाई 2024 को सुबह बक्सर तक राइट टाइम थी। लेकिन केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के गृह स्टेशन बड़हिया पहुंचते पहुंचते साढ़े तीन घंटे लेट हो गई। जब सुपरफास्ट ट्रेन की यह हालत है तो समझ लीजिए कि पैसेंजर ट्रेन की क्या हालत होगी।
कहां हुआ है सर्वे
लोकल सर्वे के फाउंडर सचिन तापाड़िया ने बताया कि इस सर्वे में देश के 378 जिलों के करीब 61 हजार प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इन लोगों से बीते तीन साल के दौरान ट्रेन में यात्रा करने से संबंधित सवाल किया गया। इस सर्वे के मुताबिक ट्रेन में यात्रा करते समय हर 2 में से एक रेल यात्री सुरक्षा को लेकर चिंतित है। सर्वे में पता चला कि हर दो में से एक व्यक्ति ट्रेन में सेफ्टी, सफाई और फूड क्वॉलिटी को लेकर चिंतित रहता है।