जितिया व्रत की पारण कथा,इसलिए भगवान जीमूतवाहन को धारण करना पड़ा अजगर का रूप
जितिया व्रत की पारण कथा
नई दिल्ली। प्राचीन काल में एक मालिन राजा के यहां फूल पहुंचाने का काम करती थी और रोजाना सुबह के वक्त पूजा करने के लिए राजा के यहां फूल देकर आती थी। एक बार की बात है मालिन का जितिया का व्रत था। अगले दिन उसको व्रत का पारण करना था तो उसने सोचा कि सुबह राजा के यहां फूल पहुंचाने में देर हो जाएगी, इसलिए उसने पारण करने के लिए रात को भोजन बनाना आरंभ कर दिया। फिर अगले दिन सुबह हुई और वह राजा के यहां रोजाना की तरह फूल पहुंचाकर आई और उसके बाद भगवान जीमूतवाहन की और फिर व्रत का पारण करने लगी। व्रत का पारण करने के लिए उसने रात के बने भोजन से अपना मुंह जूठा किया और उस भोजन को करने लगी। भगवान अपने स्थान पर बैठकर अपनी दिव्य दृष्टि से यह देख रहे थे कि मालिन वह बासी भोजन से व्रत का पारण कर रही थी। भगवान मालिन को बासी भोजन करता देख उससे नाराज हो गए। इधर मालिन ने अपने बच्चों को खेत में से अनाज लाने भेजा तो उधर भगवान अजगर का रूप धारण करके आ गए। उधर वह खाना खाती गई इधर अजगर का रूप धारण किए भगवान उसके बेटे को निगलते गए।
एक चरवाहा यह सब देख रहा था। उसने आकर मालिन को बताया कि अजगर तुमारे बेटे को खा रहा है। उसे देखकर वह रोती हुई अपने बेटे के लिए भगवान से प्रार्थना करने लगी और बोलने लगी कि हे प्रभु मैंने पुत्र की दीर्घायु के लिए ही यह व्रत किया और अजगर ने उसको ही निगलकर मुझसे मेरा बेटा छीन लिया। तब एक आकाशवाणी हुई और अजगर का रूप धरने वाले में भगवान जीमूतवाहन ने कहा कि तुमने व्रत का पारण करने में बासे भोजन का प्रयोग किया है इसलिए तुमारे साथ यह सब हुआ है। शास्त्रों और मान्यताओं में बताया है कि इस व्रत को बेहद नियमों के साथ विधिपूर्वक रखना चाहिए। साथ ही व्रती को व्रत के दौरान खाना बनाने से बचना चाहिए। किसी प्रकार की चूक होने पर उसको अपनी संतान का वियोग सहना पड़ सकता है। भगवान जीमूतवाहन ने उसको आश्वासन देते हुए कहा कि अब अगले साल तुमको यह व्रत फिर से विधिपूर्वक करना होगा और व्रत की पूजा में बच्चे को पहनानी वाली करधनी रखनी होगी और व्रत को पूर्ण करके अपने बेटे को यह करधनी पहनाई जाती है। अगले साल जब उस मालिन ने विधि विधान से व्रत किया तो भगवान जीमूतवाहन ने सकुशल उसके बेटे को वापस लौटा दिया। इसलिए इस व्रत को करने वाली व्रतियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि व्रत पूरा होने के बाद भूलकर भी बासे खाने को मुंह में नहीं डालना चाहिए और शुद्ध साफ तरीके से विधिपूर्वक व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए।