दुनिया के सबसे बड़े द्वीप को खरीदना चाहते हैं ट्रंप,80% बर्फ से ढके ग्रीनलैंड का इतिहास
अमेरिका। अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा नहर पर नजरे गड़ाने के बाद अब ग्रीनलैंड खरीदने की बात भी कर दी है। उन्होंने डेनमार्क से ग्रीनलैंड खरीदने की अपनी बात को दोहराया है।अपने पहले कार्यकाल में भी उन्होंने यह बात कही थी लेकिन पिछली बार कामयाबी नहीं मिली थी। इसके साथ उन मित्र देशों की सूची में डेनमार्क भी शामिल हो गया है, जिनके साथ ट्रंप 20 जनवरी को पदभार ग्रहण करने से पहले ही टकराव का रुख अख्तियार कर रहे हैं।
ग्रीनलैंड को लेकर क्या कहा ट्रंप ने?
रविवार को डेनमार्क में अपने राजदूत के नाम का ऐलान करते हुए ट्रंप ने लिखा,’पूरी दुनिया में राष्ट्रीय सुरक्षा और स्वतंत्रता के मकसद से अमेरिका को लगता है कि ग्रीनलैंड का स्वामित्व और कंट्रोल बेहद जरूरती है।’ जवाब में डेनमार्क के शासनाध्यक्ष म्यूटे बोरुप एगेडे ने कहा है कि ग्रीनलैंड पर अमेरिकी कंट्रोल की ट्रंप की ताजा अपील उनके पहले कार्यकाल की तरह ही बेकार रहेगी। उन्होंने कहा,’ग्रीनलैंड हमारा है। हम बेचने के लिए तैयार नहीं हैं और कभी भी बिक्री नहीं करेंगे। हमें स्वतंत्रता के लिए अपनी वर्षों पुरानी लड़ाई नहीं हारनी चाहिए।’
पनामा नहर पर भी टेढ़ी नजर?
इससे पहले उन्होंने सप्ताहांत में सुझाव दिया था कि अगर अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाले पनामा जलमार्ग का इस्तेमाल करने के लिए आवश्यक बढ़ती पोत परिवहन लागत को कम करने के लिए कुछ नहीं किया जाता है, तो उनका देश पनामा नहर पर फिर से हासिल कर सकता है।
क्या है ग्रीनलैंड?
ग्रीनलैंड दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है जो अटलांटिक और आर्कटिक महासागरों के बीच मौजूद है। यह 80 फीसद हिस्से पर बर्फ की चादर रहती है और यहां एक बड़ा अमेरिकी सैन्य अड्डा भी है। इसकी राजधानी नुक है, जो देश का सबसे बड़ा शहर भी है लेकिन इसकी आबादी बहुत कम है। 2023 के मुताबिक ग्रीनलैंड की आबादी सिर्फ 56000 है। ग्रीनलैंड डेनमार्क के अधीन है, 1979 में इसे स्वायत्तता प्राप्त हुई।
डेनामार्क कैसे मिला ग्रीनलैंड?
ग्रीनलैंड की खोज की बात करें तो 10वीं सदी में नॉर्स वाइकिंग्स ने इसकी खोज की थी। इसके बाद एरिक द रेड ने ग्रीनलैंड पर पहली यूरोपीय बस्ती कायम की। यह कब्जा कुछ सदियों तक जारी रहा लेकिन बेहद मुश्किल परिस्थितियों और कठोर जलवायु उन्होंने ये कब्जा छोड़ दिया था। इसके बाद 1397 में डेनमार्क और नॉर्वे का एक संघ बना, जिसे कैलमार यूनियन कहा गया। इस संघ के तहत इन नॉर्वे और डेनामार्क ने संयुक्त रूप से ग्रीनलैंड पर शासन किया। इसके बाद 1814 में कील संधि यानी Treaty of Kiel की वजह से इन दोनों का यह संघ टूट गिया और इसके बाद नॉर्वे स्वीडन के अधीन चला गया। जबकि ग्रीनलैंड, आइसलैंड, और फरो आइलैंड्स पर डेनमार्क ने अपना कंट्रोल बनाए रखा।