शंकराचार्य से बांग्लादेशी हिन्दू मदद की लगाई गुहार, जल्द होगा समस्या का हल,जाएगा प्रतिनिधि मंडल

शंकराचार्य से बांग्लादेशी हिन्दू मदद की लगाई गुहार, जल्द होगा समस्या का हल,जाएगा प्रतिनिधि मंडल
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शंकराचार्य से बांग्लादेशी मदद की लगाई गुहार, जल्द होगा समस्या का हल,जाएगा प्रतिनिधि मंडल

वाराणसी । बांग्लादेश के हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के दर्द को बयां करने बांग्लादेशी हिंदुओं का 12 प्रतिनिधिमंडल सदस्य सोनारपुरा केदार घाट स्थित विद्यामठ पहुँचा। जहाँ उन्होंने अपनी आपबीती ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती के समक्ष रखा गया। जिसको लेकर शंकराचार्य ने एक प्रेसवार्ता आयोजित की। जिसमें उन्होंने 12 बांग्लादेश के हिंदुओं की पहचान छिपाने के लिए उन सबका चेहरा छिपा कर बुलाया और अपनी आपबीती सुनाने के लिए बोला। जिसके बाद उन्होंने अपनी आपबीती सुनाई और आँखें नम हो गई। उसके बाद शंकराचार्य ने बताया कि मेरे पास बांग्लादेश से 12 सदस्यों का प्रतिनिधिमण्डल दिल्ली से विदुषी मधु किश्वर के साथ मुझसे मिला। मधु ने मुझसे पहले बात की थी कि बांग्लादेश के कुछ हिन्दू आपसे मिलकर अपनी व्यथा बताना चाहते हैं। मुझे लगा कि काशी इसके लिए उचित और सबके लिए सुविधाजनक स्थान मिलने के लिए है। कल सायं मधु के साथ आए बांग्लादेशी हिन्दुओं के इस प्रतिनिधिमण्डल से मैं मिला। यह बैठक मंगलवार को भगवान् केदारेश्वर के सान्निध्य में गंगा के मध्यधार में रखी गई। मैंने बांग्लादेश से आए सभी हिन्दुओं से बारी-बारी से बात की, सबने अपनी-अपनी पीड़ा और अनुभव बताए। इस प्रतिनिधिमण्डल में आए हुए लोग समाज के अलग-अलग क्षेत्रों, व्यवसायों से आए हुए लोग थे। जिनमें से कइयों को बहुत मजबूर हालात में बांग्लादेश छोड़कर अन्य देशों में शरणार्थी बनकर जीना पड़ रहा है। इन सब लोगों के बीच जो एक बात समान थी वह थी हिन्दू होने के नाते उनका उत्पीड़न, उनकी सम्पत्ति की लूट, हत्या, आगजनी और उनकी बहन-बेटियों के साथ होने वाला पाशविक व्यवहार। उसके बाद मैंने पूछा कि आपलोग अपना धर्म क्यों नहीं बदल लेते। जिससे आपकी सभी विपत्तियां एक साथ समाप्त हो सकती हैं? इस पर उनका उत्तर था कि जिसने मुस्लिम धर्म के बारे में जान लिया वह मरते दम तक इस्लाम स्वीकार करने के बारे में सोच भी नहीं सकते। उनके इस उत्तर से मेरा मन भर आया, मैंने सोचा कि बांग्लादेश के ये बहादुर हिन्दू भारत के उन कुछ हिन्दुओं से तो बहुत बेहतर हैं जो थोड़े से लालच में अपने पूर्वजों का मान बेच देते हैं, अपना धर्म बदल लेते हैं। बांग्लादेश में जैसा कल मुझे बांग्लादेशी हिन्दुओं ने बताया जो कुछ हो रहा है वह अभूतपूर्व , भयावह, शर्मनाक और हृदय को द्रवित करने वाला है। जब हत्या और लूट की शिकायत करने पर पुलिस कोई करवाई नहीं करती, उल्टे शिकायतकर्ता हिन्दुओं को ही धमकाती है। इस प्रकार हिन्दुओं पर दो तरफा मार है। हिन्दुओं के पास ऐसी स्थिति में अपनी दुर्दशा पर सिवाय आँसू बहाने के क्या उपाय है? यही कारण है कि बांग्लादेश में पिछले 25 सालों में कम से कम 30 लाख बांग्लादेशी हिन्दुओं को कत्ल-ए-आम किया गया और करीब करोड़ों हिन्दू पुरुष, स्त्री, बच्चे गायब हो चुके हैं। निर्माण के समय वहाॅ जहाँ हिन्दुओं की कुल आबादी लगभग 23 फीसदी थी वह अब घट कर शायद 7 फीसदी रह गई है। मैने पूरे ध्यान से बांग्लादेशी हिन्दू प्रनिधिमण्डल की बातें गंगाजी की धार के मध्य गंगाजी की गोद में क्योंकि माॅ से बड़ा रक्षक कोई और नहीं होता; पूरे मनोयोग से शान्तिपूर्वक सुना और उनसे ही इस परिस्थिति से निकलने का उपाय पूछा तब उन्होंने कहा कि वह लोग शंकराचार्य पीठ के शरणागत हैं। हम हिन्दू धार्मिक होने के कारण ही सताए जा रहे हैं और हिन्दू धर्म के आप शङ्कराचार्य सर्वोच्च धर्माचार्य हैं। हमारे धार्मिक अभिभावक हैं। आपका जो भी निर्देश होगा वह लोग उसका पालन करेंगे। मेरी सीमाएँ हैं और पीठ की मर्यादायें भी हैं जिस कारण मैं एक सीमा में ही कुछ कह सकता हूँ पर मेरे मन में इनकी पीड़ा से उपजी अकथ व्यथा है। जिसको बता पाना मुश्किल है। उन्होंने शंकराचार्य से कुछ मांगे रखीं है। जिसमेंहिन्दुओं के लिए बांगलादेश में एक अलग राष्ट्र जो भारत की सीमा से लगते हुए क्षेत्र के पास हो या फिर हिन्दुओं के लिए स्वायत्त सेफ जोन, जिसमें बांग्लादेश सरकार का ज्यादा दखल न हो।,भारत और बांग्लादेश के बीच आबादी की अदला बदली हो, जिसने बांग्लादेश की हिन्दू आबादी भारत में और उसी के अनुपात में सुविधाजनक रूप में मुस्लिम आबादी का बांग्लादेश को भेजा जाय।,नागरिकता संशोधन कानून के अधीन नियत तारीख के पूर्व तक भारत में निवास करते रहने की बाध्यता को समाप्त करके इसे सदा के लिए खोल दिया जाए जिससे नियत देशों से कभी भी भारत आने वाला हिन्दू जो भारत की नागरिकता की मंशा जाहिर करे, वह भारत का नागरिक बन सके।,दुनिया में कहीं भी जन्म लेने वाले हिन्दू को स्वाभाविक रूप से भारत का नागरिक माना जाए, जैसा कि इजरायल में होता है।,बांग्लादेश के वह हिन्दू जो 5 अगस्त 2024 के पहले भारत में वीजा पर आए थे और वीजा अवधि खत्म होने के बाद वापस बांग्लादेश लौटने पर विवश हो, उनकी वीजा अवधि को तब तक बढ़ाया जाए जब तक बांग्लादेश में स्थिति सामान्य न हो जाय।सहित अन्य मांगों को शंकराचार्य के समक्ष रखा गया। इस दौरान शंकराचार्य ने कहा कि हम आपकी बातों को शासन तक पहुचाएंगे और मेरे ओर से प्रतिनिधि मंडल बांग्लादेश जाएगा और स्थितियों को समझेगा और आपकी समस्या को हल करने का रास्ता निकलेगा। प्रेसवार्ता में मुख्यरूप से पूर्णाम्बा दीदी,साध्वी शारदाम्बा दीदी,सजंय पाण्डेय मीडिया प्रभारी,ब्रम्हचारी परमात्मानंद, डॉ. गिरीश तिवारी, रमेश उपाध्याय, अनिल शुक्ला, अजय पाण्डेय,सुनील शुक्ला, सदानंद तिवारी सहित अन्य लोग उपस्थित रहें।

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