म्यांमार की पूर्व काउंसलर आंग सु को तीन साल की कठोर कारावास
म्यांमार की पूर्व स्टेट काउंसलर Aung San Suu Kyi को सैन्य अदालत जुंटा ने वर्ष 2020 के चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली करने का दोषी मानते हुए तीन साल की कठोर कारावास सजा सुनाई है। इस चुनाव में सू की की पार्टी को एक तरफा जीत मिली थी। सू को पहले ही जुंटा की अदालत से भ्रष्टाचार के आरोप में 17 साल की कैद की सजा सुनाई जा चुकी है। फिलहाल 77 वर्षीय सू पूरी तरह से स्वस्थ बताई गई हैं। बता दें कि नोबेल पुरस्कार विजेता सू की सरकार का देश के सैन्य प्रमुख के नेतृत्व में हुए विद्रोह के बाद 1 फरवरी 2021 को तख्तापलट कर दिया गया था। इसके बाद से ही वो जेल में हैं।
उनकी सरकार का तख्तापलट करने के बाद उनके द्वारा सेना प्रमुख बनाए गए मिन आन्ग ह्लेंग सत्ता पर काबिज हैं। उनकी तरफ से सू पर कई तरह के संगीन आरोप लगाए गए हैं। सू की सरकार का तख्तापलट करने के कई महीनों बाद तक देश में बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे। इनमें सैकड़ों लोगों की जान भी गई थी। यूएन समेत अन्य देशों की सरकारों ने जुंटा प्रमुख से अपील की थी कि वो सू को रिहा कर देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहाल करें। लेकिन मिन ने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की आवाज अनसुनी कर दी थी।
शुक्रवार को जब कोर्ट में सू को सजा का ऐलान किया गया तो उसमें पत्रकारों को शामिल नहीं होने दिया गया। ये अदालत सेना द्वारा बनाई गई राजधानी Naypyidaw में लगी थी। इतना ही नहीं सू के वकील को प्रेस से बातचीत तक नहीं करने दी गई। सैन्य शासन का कहना है कि वर्ष 2020 के चुनाव में सू ने बड़े पैमाने पर धांधली कर जीत हासिल की थी। उन्हें सजा मिलने के बाद इसकी पुष्टि भी हो चुकी है। इस चुनव में सू की की पार्टी को नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी को एकतरफा जीत मिली थी। हालांकि सैन्य शासन से उलट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस चुनाव को देश के इतिहास का सबसे साफ-सुथरा चुनाव बताया गया है। सैन्य शासन का कहना है कि इस चुनाव में 1.1 करोड़ से अधिक लोगों को हिस्सा ही नहीं लेने दिया गया था।
पिछले माह ही सैन्य शासन के प्रमुख मिन ने कहा था कि सेना सू की को लेकर काफी लचर रही थी, लेकिन अब उनके खिलाफ कड़े उपाय किए जाएंगे। तख्तापलट के बाद से ही म्यांमार में आर्थिक हालत भी काफी खराब है। देश के ऊपर अमेरिका समेत कई देशों ने आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं। मिन समेत उनके दूसरे अधिकारियों पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसके अलावा उनकी विदेशों में संपत्ति को भी जब्त कर लिया गया है। स्थानीय मानिटरिंग ग्रुप का कहना है कि तख्तापलट के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों में 2200 से अधिक लोगों की जान गई और 15 हजार से अधिक को गिरफ्तार किया गया है