स्वरूपानन्द सरस्वती के शिष्य को चुनौती

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 वाराणसी | शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य गोविंदानंद सरस्वती ने काशी के विद्वानों को शंकराचार्य चयन के मुद्दे पर खुली शास्त्रार्थ की चुनौती दी है। काशी विद्वत परिषद पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह लोग फर्जी शंकराचार्य को प्रमाण पत्र जारी करते हैं। काशी विद्वत परिषद के सभी विद्वानों को मैं खुले मंच पर शास्त्रार्थ की चुनौती देता हूं।

शनिवार को कैंटोंमेंट स्थित डाक बंगला में प्रेस वार्ता के दौरान स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अधर्म के मार्ग पर चलकर ज्योतिष पीठ पर अपना कब्जा जमाने की कोशिश की है। आदि शंकराचार्य के मठआमनाय अनुशासन के अनुसार वह शंकराचार्य पद के कतई योग्य नहीं हैं। ना तो वह जाति से ब्राह्मण हैं और ना ही उन्होंने गुरु के आदेशों का पालन किया है।

गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के निधन के दूसरे ही दिन आनन-फानन बिना किसी से परामर्श और बिना किसी से विचार किए उन्होंने स्वयं को शंकराचार्य घोषित कर दिया। मैं अपने गुरु भाई से यह निवेदन करना चाहता हूं कि अभी तक उन्होंने जो भी अधर्म किया है वह इसके लिए ईश्वर से माफी मांगें। उनके आगे का जीवन सरल हो जाएगा। इसके साथ ही स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की तुलना दुर्योधन और काशी विद्वत परिषद की तुलना दुशासन से की।

दंडी स्वामी होने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट में जाकर उन्होंने शंकराचार्य के पद के लिए जो झूठ बोला है यह बहुत बड़ा अधर्म है। उनके इस धार्मिक कृत्य में काशी विद्वत परिषद ने भी सहमति जताई है। यह पहला अवसर नहीं है कि जब काशी विद्वत परिषद ने किसी फर्जी शंकराचार्य को प्रमाण पत्र दिया है।

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इसके पहले भी उन्होंने कई फर्जी शंकराचार्य को अपना प्रमाण पत्र देकर मुहर लगाई है। ऐसे ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं है जब काशी विद्वत परिषद मुसलमान और ईसाई को भी प्रमाणपत्र जारी करने लगे।

समय आ गया है कि काशी विद्वत परिषद का भी प्रक्षालन और शुद्धिकरण किया जाए। स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने काशी विद्वत परिषद के पदाधिकारियों और विद्वानों को शास्त्रार्थ की खुली चुनौती देते हुए कहा कि वह आएं पराक्रम से शास्त्रार्थ करें अन्यथा वह अपने कृत्य के लिए बाबा विश्वनाथ से क्षमा मांग लें।  अगर उन्होंने बाबा विश्वनाथ से क्षमा नहीं मांगी या मुझ से शास्त्रार्थ नहीं किया तो मैं खुद उनके घर जाकर शास्त्रार्थ करूंगा


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