80 साल के बुजुर्ग ने तड़प-तड़पकर जान दे दी और एयर इंडिया ने कहा-व्हीलचेयर के लिए वेट करना था
मुंबई। मुंबई एयरपोर्ट पर 80 साल के बुजुर्ग की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। मृतक और उनकी पत्नी न्यूयॉर्क से एयर इंडिया की फ्लाइट से मुंबई पहुंचे थे। दोनों का टिकट व्हीलचेयर पैसेंजर के तौर पर बुक कराया गया था। लेकिन जब वे दोनों एयरपोर्ट पहुंचे तो वहां उन्हें एक ही व्हीलचेयर मिली। उन्होंने पत्नी को व्हीलचेयर पर बैठाना ज्यादा मुनासिब समझा और खुद पत्नी के पीछे पैदल-पैदल इमिग्रेशन काउंटर की तरफ चल पड़े। काउंटर पर पहुंचने के बाद वह दिल का दौरा पड़ने से गिर गए। अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस पूरे मामले से यह तो साफ है कि लापरवाही एयरलाइन स्टॉफ की तरफ से की गई।
हर सफर के साथ हरे होंगे घाव!
यह कोई पहला मामला नहीं है जब एयरलाइन स्टॉफ की लापरवाही सामने आई है। इससे पहले भी अलग-अलग एयरलाइन स्टॉफ की तरफ से लापरवाही के मामले सामने आते रहे है। लेकिन इस बार स्टॉफ की लापरवाही के कारण किसी का जान गंवा देना बेहद दुखद है। इस खबर को जिसने भी पढ़ा और सुना, उसने यही कहा कि व्हीलचेयर समय पर मिल जाती तो शायद बुजुर्ग की मौत नहीं होती। कोई भी अपने परिजन की मौत को कभी भुला नहीं पाता, बस यादें ओझल होती हैं। लेकिन बुजुर्ग की मौत के बाद शायद ही उनके परिजनों के बीच उनकी यादें भी ओझल हों। जब-जब उनकी फैमिली का कोई भी मेंबर फ्लाइट से सफर करेगा, तब-तब उनकी मौत से जुड़े घांव हरे होंगे।
किसके खिलाफ होगी कार्रवाई?
व्हीलचेयर का समय से नहीं मिलना और बुजुर्ग की मौत के बाद सवाल यह उठ रहा है कि आखिर हादसे के लिए जिम्मेदारी किसके प्रति तय होगी? इसे नियति मानकर छोड़ दिया जाएगा या जिम्मेदार स्टॉफ पर कोई एक्शन लिया जाएगा। बुजुर्ग ने तो व्हीलचेयर नहीं मिलने पर पत्नी के साथ पैदल चलना मुनासिब समझा। लेकिन उन्हें क्या पता था ये कदम उनके आखिरी होंगे।।।ये सांस उनकी आखिरी है।।।? हादसे के बाद उनके साथ चल रही पत्नी ने भी यही सोचा होगा काश।।।! तमाम ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब आसान नहीं। लेकिन क्या इन सवालों से आगे बढ़कर किसी को जिम्मेदार ठहरया जाएगा और कार्रवाई की जाएगी?
डीजीसीए ने जारी किया नोटिस
डीजीसीए ने बुजुर्ग की मौत के बाद एयर इंडिया को नोटिस जारी किया है। रेग्युलेटर ने एयरलाइन से नोटिस जारी होने के सात दिन के अंदर जवाब मांगा है। विमानन कंपनी को विमान नियम, 1937 के उल्लंघन और प्रावधानों का पालन नहीं करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इस नियम के अनुसार एयरलाइनों की जिम्मेदारी है कि दिव्यांगों या ऐसे व्यक्ति जिन्हें चलने- फिरने में परेशानी हो उन्हें प्लेन से टर्मिनल के एग्जिट तक किसी प्रकार की दिक्कत न हो। साथ ही यह भी आदेश है कि ऐसे यात्रियों के लिए एयरपोर्ट पर पर्याप्त व्हीलचेयर उपलब्ध हों।
जिम्मेदारी किसकी?
मृतक और उनकी पत्नी ने व्हीलचेयर बुक की थी तो वह इसे पाने के हकदार थे। लेकिन इस पूरे मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। डीजीसीए को भविष्य को ध्यान में रखकर ऐसा नियम बनाना चाहिए, जिससे आगे किसी के साथ ऐसा हादसा न हो। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार न्यूयॉर्क से मुंबई आने वाली फ्लाइट में कुल 32 व्हीलचेयर पैसेंजर थे। लेकिन मौके पर 15 व्हीलचेयर ही मौजूद थीं।
पूरा मामला
मृतक और उनकी पत्नी ने रविवार को एयर इंडिया (न्यूयॉर्क से मुंबई) की फ्लाइट संख्या AI-116 ली थी। मुंबई एयरपोर्ट पर पति-पत्नी के लिए दो व्हील चेयर बुक की गई थीं। लेकिन एयरपोर्ट पर एक ही व्हीलचेयर असिस्टेंट मिलने के कारण उन्होंने उस पर पत्नी को बैठा दिया। इसके बाद वह पत्नी के पीछे-पीछे पैदल चल दिए। करीब डेढ़ किमी पैदल चलने के बाद मृतक जब इमीग्रेशन एरिया में पहुंचे तो उन्हें दिल का दौरा पड़ गया और वह गिर गए। मुंबई एयरपोर्ट की मेडिकल इमरजेंसी के बाद उन्हें नानावटी हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
एयर इंडिया का पक्ष
इस पूरे मामले में एयर इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि व्हीलचेयर की भारी मांग के कारण यात्री से व्हीलचेयर का इंतजार करने के लिए कहा गया था। लेकिन यात्री ने अपनी मर्जी से पत्नी के साथ पैदल चलने की इच्छा जाहिर की थी। एयर इंडिया ने इसे दुखद हादसा बताते हुए कहा कि वह ‘शोक संतृप्त परिवार के सदस्यों के साथ संपर्क में हैं और उन्हें जरूरी सहायता दे रहे हैं।’
पहले क्या था नियम
एक एयरलाइन कर्मचारी ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि व्हीलचेयर के लिए गुजारिश करने वाले कई यात्री ऐसे होते हैं जिन्हें चलने में किसी प्रकार की समस्या नहीं होती। करीब 10 से 12 साल पहले एयर इंडिया समेत अलग-अलग एयरलाइंस व्हीलचेयर बुकिंग का चार्ज लेती थी। उस समय केवल मेडिकल सर्टिफिकेट शो करने वालों को ही फ्री व्हीलचेयर की सुविधा दी जाती थी। इसके बाद भारी मांग और दबाव के बाद, सभी एयरलाइंस ने मेडिकल सर्टिफिकेट की जरूरत को खत्म कर दिया।