बीएचयू के वनस्पति विज्ञान के शोधकर्ताओं ने सायनोबैक्टीरिया की नई प्रजाति की पहचान की
बीएचयू के वनस्पति विज्ञान विभाग के शोधकर्ताओं की टीम ने त्रिपुरा में सायनो बैक्टीरिया (नील हरित शैवाल) की एक नई प्रजाति की पहचान की है। जलवायु परिवर्तन से जूझ रही दुनिया में बीएचयू की यह खोज विविध प्रजातियों के संरक्षण में मददगार होगी। सायनोबैक्टीरिया के नए जीनस (प्रजाति) की यह पहचान भारत की चुनिंदा खोज में मानी जा रही है।
शोधछात्रा और त्रिपुरा की मूल निवासिनी सागरिका पाल ने 2020 में इस अध्ययन की शुरुआत की। वह वनस्पति विज्ञान विभाग के डॉ. प्रशांत सिंह के मार्गदर्शन में पीएचडी कर रही हैं। डॉ. प्रशांत और सागरिका ने बताया कि सायनो बैक्टीरिया वे जीव हैं जो पृथ्वी के ऑक्सीजनीकरण के लिए जिम्मेदार हैं।
सायनो बैक्टीरिया और उनके विविध रूपों के बारे में अधिक जानकारी जुटाने के लिए वैश्विक स्तर पर गहन अध्ययन चल रहे हैं। ऐसे में बीएचयू की तरफ से सायनोबैक्टीरिया की एक नई प्रजाति की खोज अहम है।
अमेरिका के जॉन कैरोल विश्वविद्यालय के जाने-माने फाइकोलॉजिस्ट प्रो. जेफरी आर. जोहानसन के सम्मान में इस नए जीनस का नाम ‘जोहानसेनिएला’ रखा गया है। त्रिपुरा राज्य से शैवाल के नमूने इकह्वे किए गए थे इसलिए इसका नाम ‘त्रिपुरेंसिस’ दिया गया है।
खास बता यह है कि जैव विविधताओं के भंडार के रूप में पहचाने जाने वाले देश के पूर्वोत्तर राज्यों में जोहानसेनिएला त्रिपुरेंसिस एक नए सायनोबैक्टीरियल जीनस की पहली रिपोर्ट है। शोधकर्ताओं का यह भी अनुमान है कि यहां बड़ी संख्या में ऐसे सायनोबैक्टीरिया हो सकते हैं जिनका पता नहीं चल पाया है।
शोध दल में अनिकेत सराफ (आरजे कॉलेज, मुंबई), नरेश कुमार (पीएचडी छात्र, बीएचयू) और आरुष सिंह, उत्कर्ष तालुकदार और नीरज कोहर (एमएससी, वनस्पति विज्ञान, बीएचयू) भी शामिल थे।