ऐसे चुनावों को प्रभावित और लोकतंत्र को कमजोर कर सकता है AI

ऐसे चुनावों को प्रभावित और लोकतंत्र को कमजोर कर सकता है AI
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नई दिल्ली। क्या राजनीतिक संगठन मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भाषा मॉडल जैसे चैटजीपीटी का उपयोग कर सकते हैं? सेन जोश हॉली ने 16 मई, 2023 को अमेरिकी सीनेट में कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर सुनवाई करते हुए ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन से यह सवाल पूछा। ऑल्टमैन ने उत्तर दिया कि वह वास्तव में इस बात से चिंतित थे कि कुछ लोग मतदाताओं के साथ आमने-सामने के संवाद करने,उन्हें किसी बात के लिए मनाने और उनकी राय बदलने के लिए भाषा मॉडल का उपयोग कर सकते हैं।

ऑल्टमैन ने विस्तार से नहीं बताया,लेकिन हो सकता है कि उनके मन में इस तरह का कुछ परिदृश्य रहा हो। कल्पना कीजिए कि जल्द ही, राजनीतिक प्रौद्योगिकीविद् क्लॉगर नामक एक मशीन विकसित करते हैं-एक ब्लैक बॉक्स में चलाया जाने वाला एक राजनीतिक अभियान।

क्लॉगर लगातार केवल एक उद्देश्य के लिए करता है कि उसकी सेवाएं लेने वाले दल का उम्मीदवार चुनाव में प्रबल रहे। जबकि फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ताओं को अपनी साइटों पर अधिक समय बिताने के लिए एआई के रूपों का उपयोग करते हैं, क्लॉगर के एआई का एक अलग उद्देश्य होगा: लोगों के मतदान व्यवहार को बदलना।

क्लॉगर कैसे काम करेगा
एक राजनीतिक वैज्ञानिक और एक कानूनी विद्वान के रूप में,जो प्रौद्योगिकी और लोकतंत्र के संबंधों का अध्ययन करते हैं, हम मानते हैं कि क्लॉगर जैसी कोई चीज राजनीतिक अभियानों में 2000 के दशक की शुरुआत से उपयोग की जा रही मतदाताओं के व्यवहार में संभावित रूप से हेरफेर और माइक्रोटारगेटिंग तकनीकों की प्रभावशीलता को नाटकीय रूप से बढ़ाने के लिए स्वचालन का उपयोग कर सकती है।

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जिस तरह अब विज्ञापनदाता व्यक्तिगत रूप से व्यावसायिक और राजनीतिक विज्ञापनों को लक्षित करने के लिए आपके ब्राउज़िंग और सोशल मीडिया इतिहास का उपयोग करते हैं,उसी तरह क्लॉगर आप-और करोड़ों अन्य मतदाताओं पर-व्यक्तिगत रूप से ध्यान देगा।

यह वर्तमान अत्याधुनिक एल्गोरिथम व्यवहार हेरफेर पर तीन तरह से काम करेगा। सबसे पहले, इसका भाषा मॉडल संदेश-टेक्स्ट, सोशल मीडिया और ईमेल तैयार करेगा,शायद छवियों और वीडियो सहित-व्यक्तिगत रूप से आपके अनुरूप। जबकि विज्ञापनदाता रणनीतिक रूप से अपेक्षाकृत कम संख्या में विज्ञापन देते हैं, चैटजीपीटी जैसे भाषा मॉडल एक अभियान के दौरान व्यक्तिगत रूप से आपके लिए-और दूसरों के लिए लाखों-अनगिनत अद्वितीय संदेश तैयार कर सकते हैं।

दूसरा, क्लॉगर रीइन्फोर्समेंट लर्निंग नामक एक तकनीक का उपयोग संदेशों के प्रभाव को बढ़ाने के लिए करेगा, जिससे आपके वोट को बदलने की संभावना अधिक हो जाती है। रीइन्फोर्समेंट लर्निंग एक मशीन-लर्निंग, ट्रायल-एंड-एरर तरीका है जिसमें कंप्यूटर एक्शन लेता है और फीडबैक प्राप्त करता है कि कौन सा काम बेहतर है ताकि यह सीख सके कि किसी उद्देश्य को कैसे पूरा किया जाए।

गो,शतरंज और कई वीडियो गेम को इंसानों से बेहतर तरीके से खेल पाने में सक्षम मशीनों का इस्तेमाल इन रीइन्फोर्समेंट लर्निंग तकनीक में किया जाता है। तीसरा, अभियान के दौरान यह पता लगाया जाएगा कि मशीन ने आपको जो संदेश भेजे हैं, उनपर आपकी क्या प्रतिक्रिया है और फिर आपकी प्रतिक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए क्लॉगर यह तय करेगा कि उसने दूसरों के दिमाग को बदलने के बारे में क्या सीखा है।

क्लॉगर आपके साथ-और लाखों अन्य लोगों के साथ-समययानुकूल उपयोगी बातचीत करने में सक्षम होगा। क्लॉगर के संदेश उन विज्ञापनों के समान होंगे जो विभिन्न वेबसाइटों और सोशल मीडिया पर आपके सामने आते रहते हैं।

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एआई की प्रकृति
तीन और विशेषताएं ध्यान देने योग्य हैं। सबसे पहले, क्लॉगर द्वारा भेजे जाने वाले संदेश सामग्री में राजनीतिक हो भी सकते हैं और नहीं भी। मशीन का एकमात्र लक्ष्य अपने उम्मीदवार के हक में वोट शेयर को अधिकतम करना है, और यह संभवतः इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ऐसी रणनीति तैयार करेगा जिसके बारे में किसी मानव प्रचारक ने नहीं सोचा होगा।

एक संभावना यह है कि वह संभावित विरोधी मतदाताओं को गैर-राजनीतिक चीजों के बारे में जानकारी भेजेगा, जो खेल या मनोरंजन से जुड़ी उनकी रूचि पर आधारित हो सकते हैं और उनके पास आने वाले राजनीतिक संदेश से उनका ध्यान हटा सकते हैं.

एक अन्य संभावना ऑफ-पुटिंग संदेश भेजना है – उदाहरण के लिए असंयम विज्ञापन – और इनका समय विरोधियों के संदेश के साथ मेल खाना चाहिए और एक अन्य तरीका मतदाताओं के सोशल मीडिया मित्र समूहों में हेरफेर करना है ताकि यह समझा जा सके कि उनके सामाजिक दायरे उनके उम्मीदवार का समर्थन करते हैं। दूसरा, क्लॉगर को सच्चाई से कोई सरोकार नहीं है। दरअसल, उसके पास यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि क्या सच है और क्या झूठ।


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