बिहार में होगी जातीय गणना,पटना हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार के पक्ष में दिया फैसला
पटना। बिहार में जातीय गणना पर लगी रोक को पटना हाईकोर्ट ने हटा लिया है। मंगलवार (1 अगस्त) को हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि बिहार में जाति आधारित गणना होगी। चार मई को पटना हाईकोर्ट की ओर से अंतरिम रोक लगाई गई थी।
याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कहा कि अब हम सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। बिहार सरकार को जाति गणना कराने का अधिकार नहीं है। जाति आधारित गणना पर रोक की मांग को लेकर कुल छह याचिका दायर की गई थी। सभी याचिका खारिज हो गई है।
अब समझें क्या है पूरा मामला
पटना हाईकोर्ट ने पांच दिनों तक विस्तृत दलीलें सुनने के बाद सात जुलाई को राज्य में जाति-आधारित सर्वे कराने के बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ताओं और बिहार सरकार की दलीलों को सुना गया था।
याचिका में क्या कहा गया था?
याचिका में कहा गया था कि बिहार सरकार के पास इस सर्वे को कराने का अधिकार नहीं है। ऐसा करके सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही है। जातीय गणना में लोगों की जाति के साथ-साथ उनके कामकाज और उनकी योग्यता का भी ब्योरा लिया जा रहा है. ये गोपनीयता के अधिकार का हनन है। जातीय गणना पर खर्च हो रहे 500 करोड़ रुपये भी टैक्स के पैसों की बर्बादी है।
पीके शाही रख रहे थे सरकार का पक्ष
याचिकाकर्ताओं ने जातीय गणना पर रोक की मांग की थी। सरकार का पक्ष महाधिवक्ता पीके शाही कोर्ट में रख रहे थे। हाईकोर्ट की रोक के बाद राज्य सरकार ने पहले हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका डाली थी और फिर सुप्रीम कोर्ट गई थी,लेकिन राहत नहीं मिली थी। केंद्र सरकार के मना करने के बाद बिहार सरकार खुद से बिहार में जातीय आधारित गणना करा रही थी।