अमेरिका के कारों में चाइनीज सॉफ्टवेयर पर लगा बैन
अमेरिका। अमेरिका और चीन के तल्ख रिश्ते किसे से छिपे नहीं है। यूएस में हुए क्वाड सम्मेलन को लेकर चीन पहले से ही चिढ़ा हुआ था,अब अमेरिकी सरकार ने जो फैसला लिया है, उसके पास ड्रैगन का बौखलाना तय है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत जापान और ऑस्ट्रेलिया के शीर्ष नेताओं के साछ बैठक के बाद अमेरिका के वाणिज्य विभाग ने बड़ा फैसला किया है। अमेरिका अपने यहां वाहनों में चीनी साफ्टवेयर पर रोक लगाने की तैयारी में है।
अमेरिका के फैसले से टूटेगी ड्रैगन की कमर
रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी बाइडन प्रशासन ने इंटरनेट से जुड़ी कारों में चीन-विकसित साफ्टवेयर, हार्डवेयर पर प्रतिबंध लगाने की बात कही। राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए अमेरिका ने अपनी कारों में चीन निर्मित हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया। दलील दी इन सॉफ्टवेयर की मदद से अमेरिकी ड्राइवरों, नागरिकों की जानकारी हासिल की जा रही है। कहा गया कि इस फैसले का मकसद चीनी खुफिया एजेंसियों को अमेरिकी नागरिकों की निगरानी और वाहनों के इलेक्ट्रानिक्स का उपयोग कर अमेरिकी इलेक्ट्रिक ग्रिड समेत दूसरे महत्वपूर्ण जगहों तक पहुंच बनाने से रोकना है। अमेरिकी सरकार ने कहा कि कारों में लगे चीनी सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर जैसे माइक्रोफोन, कैमरे, जीपीएस ट्रैकर, ब्लूटूथ की मदद से अमेरिकी नागरिकों की संवेदनशील जानकारी लीक हो सकती है।
अमेरिका के बैन का असर
चीनी प्रोडक्ट्स पर अमेरिकी जो बाइडन सरकार की ओर से लगाए गए बैन को राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बताया गया। सरकार ने कहा कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है,राजनीति का नहीं। बता दें कि इससे पहले अमेरिका ने चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर 100 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की थी। अमेरिका के इस फैसले से चीन के निर्यात पर असर पड़ेगा। अमेरिका चीन के लिए बड़ा बाजार है, लेकिन एक के बाद एक प्रतिबंधों से उसके कारोबार और अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। पहले से ही सुस्त पड़ी चीन की अर्थव्यवस्था पर ये बैन सा व्यापक असर पड़ने वाला है।