क्रिसमस पर रंग-बिरंगी रौशनियों से सजा गिरजाघर

क्रिसमस पर रंग-बिरंगी रौशनियों से सजा गिरजाघर
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वाराणसी | क्रिसमस को लेकर वाराणसी में मसीही समुदाय ने तैयारियां पूरी हो गई हैं। जैसे-जैसे प्रभु यीशु के जन्म की घड़ी नजदीक आ रही है, शहर में उल्लास बढ़ता जा रहा है। सभी चर्च लाइटों की रोशनी से जगमग हो गए हैं। बाजारों में लोग सजावटी सामानों की खरीदारी कर रहे हैं। मसीही समुदाय के सबसे बड़े त्योहार की धूम घर-घर में नजर आने लगी है। गीत-संगीत के साथ ही प्रभु यीशु के जन्मोत्सव की खुशियों को मनाने की तैयारियां हैं। मसीही समुदाय के मोहल्लों और चर्च की रौनक देखते ही बन रही है। कैंटोमेंट स्थित सेंट मेरिज महागिरजाघर चर्च की भव्य सजावट की गई है। यहां सबसे बड़ा क्रिसमस ट्री सजाया गया है।

तेलियाबाग स्थित सीएनआई चर्च, गोदौलिया स्थित सेंट थॉमस चर्च, छावनी स्थित लाल चर्च, सिगरा स्थित सेंट पॉल चर्च समेत शहर के सभी 44 गिरजघरों को सजा जा चुका है। घरों में कोई क्रिसमस ट्री तो कोई सेंटा के अलग-अलग रूपों को तैयार कर रहा है। मसीहा के स्वागत की खुशी में सभी झूमने को तैयार हैं। 

घरों की सजावट के लिए हिरनों वाली बग्घी पर सवार सेंटा लोगों की पहली पसंद हैं। सिगरा स्थित दुकान संचालक अशोक ने बताया कि सुनहरे हिरन पर सवार सेंटा की मांग ज्यादा है। इसकी कीमत एक से 10 हजार तक है। क्रिसमस ट्री 30 से 25 हजार तक बिक रहे हैं।

क्रिसमस पर कैंटोमेंट स्थित महागिरजाघर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की झलक देखने को मिलेगी। कठपुतली नृत्य, प्रार्थना, कैरल गीत के साथ ही बच्चों और युवा कलाकार प्रस्तुतियां देंगे। अंदर किसी भी तरह की खानपान की दुकानें नहीं लगेंगी। 

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बिशप हाउस में धर्म प्रांत के बिशप युजीन जोसेफ ने बताया कि कैरल, ईसा मसीह के जन्म की झांकी (चरनी), चर्च, घर की सजावट के साथ ही क्रिसमस ट्री सज चुका है। हर कोई प्रभु यीशु का जन्मदिन मनाने में लगा है। बताया कि 25-26-27 दिसंबर को चर्च परिसर में लगी प्रदर्शनी सुबह 11 से शाम 7 बजे तक चलेगी। 

दो जनवरी को सेंट जांस डीएलडब्ल्यू में विकलांग दिवस पर इसका समापन होगा। दिव्यांग बच्चे सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। सुबह 9 से शुरू कार्यक्रम में 50 विशिष्ट बच्चों को स्कॉलरशिप दी जाएगी। खेलकूद सहित अन्य प्रतियोगिताएं भी होंगी। विजेताओं को पुरस्कृत भी किया जाएगा। 

बिशप जोसेफ ने बताया कि 24 दिसंबर की मध्य रात्रि में ईसाई समुदाय के लोग गिरजाघर में प्रभु की स्तुति, आराधना के लिए जुटेंगे। विशेष महिमा गान, जयघोष के साथ गिरजा का घंटा बजाया जाता है, जो प्रभु के जन्म का प्रतीक है।  फिर चरनी का अभिषेक होता है। इसके बाद सभी श्रद्धालु ईसा मसीह का दर्शन कर उनकी आराधना और स्तुति करते हैं। गिले शिकवे भूलकर गले मिलते हैं और कैरल गीत गाकर जन्म की खुशियां मनाते हैं।

क्रिसमस और नए साल का त्योहार इस बार रविवार के दिन है। पादरी आदित्य कुमार का कहना है कि मसीही समुदाय में रविवार का खास महत्व है। रविवार न सिर्फ आराधना और प्रार्थना का दिन है बल्कि इसे जीत का दिन भी कहते हैं। पास्टर एंड्रू थॉमस ने बताया कि रविवार यीशु मसीह का दिन है, दुनिया इसे छुट्टी के दिन के नाम से भी जानती है।

 पादरी बेन जॉन का कहना है कि रविवार को प्रभु यीशु मसीह मौत को मात देकर जी उठे थे और तब ईस्टर कि खुशी मनाई गई थी। तभी से रविवार छुट्टी और प्रार्थना का दिन है। पादरी नवीन ज्वॉय और पास्टर दशरथ पवार ने कहा कि लंबे समय के बाद क्रिसमस पर रविवार है। इससे लोगों में काफी उत्साह है।

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