अकेले EVM नहीं, पूरी चुनावी प्रक्रिया को मुद्दा बनाएगी कांग्रेस; CWC में क्यों लिया…

अकेले EVM नहीं, पूरी चुनावी प्रक्रिया को मुद्दा बनाएगी कांग्रेस; CWC में क्यों लिया…
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नई दिल्ल। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में शुक्रवार को ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव’ की मांग करते हुए एक ‘राष्ट्रीय आंदोलन’ शुरू करने का फैसला किया गया। इसके बाद ‘पक्षपातपूर्ण कामकाज’ के आरोपों के साथ चुनाव आयोग पर भी निशाना साधा गया। इसके अलावा, कांग्रेस ने हरियाणा की तरह ही महाराष्ट्र में अपने चुनावी प्रदर्शन की जांच के लिए एक “आंतरिक समिति” गठित करने का फैसला किया है।

हरियाणा और महाराष्ट्र में हार के बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक
बैठक के प्रस्ताव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के मुद्दे पर खामोशी दिखी। हरियाणा और महाराष्ट्र में लगातार दो चुनावी हार की पृष्ठभूमि में आयोजित कार्यसमिति की बैठक में विपक्षी दल कांग्रेस ने अकेले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की अखंडता या मतपत्रों (बैलेट पेपर्स) की वापसी की मांग पर अड़े नहीं रहने का फैसला किया। इसके बजाय अपने आंदोलन के दायरे को पूरी चुनावी प्रक्रिया तक बढ़ाने पर सहमति जताई। जबकि, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कुछ दिनों पहले ही चुनाव में मतपत्रों की वापसी का आह्वान किया था।

कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के प्रस्ताव..
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस कार्यसमिति की साढ़े चार घंटे तक चली बैठक में व्यापक सहमति बनी कि पार्टी सभी स्तरों पर “चुनावी कदाचार” पर ध्यान केंद्रित करेगी। कांग्रेस नेतृत्व के एक वर्ग का मानना ​​है कि हार के लिए ईवीएम को दोष देना समझदारी नहीं है, क्योंकि पार्टी के पास अपने आरोपों को पुख्ता करने के लिए अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं है। इसलिए पार्टी का फोकस व्यापक मुद्दों पर होना चाहिए। नतीजतन, बैठक के आखिर में पास किए गए प्रस्ताव में ईवीएम का जिक्र नहीं किया गया।

कांग्रेस कार्यसमिति बैठक में पास प्रस्ताव में कहा गया है, “सीडब्ल्यूसी का मानना ​​है कि पूरी चुनावी प्रक्रिया की ईमानदारी से समझौता किया जा रहा है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक संवैधानिक जनादेश है, जिस पर चुनाव आयोग की पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण गंभीर सवाल उठ रहे हैं। समाज के कई वर्ग इससे निराश और बेहद आशंकित हो रहे हैं। कांग्रेस इन सार्वजनिक चिंताओं को राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उठाएगी।” सीडब्ल्यूसी ने हरियाणा और महाराष्ट्र में हार के लिए “चुनावी गड़बड़ियों” को जिम्मेदार ठहराया।

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हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनावी हार कांग्रेस की उम्मीदों के विपरीत
प्रस्ताव में आगे लिखा है, “हरियाणा में पार्टी का प्रदर्शन सभी की उम्मीदों के विपरीत रहा है। बहुत सरल शब्दों में कहें तो कांग्रेस को हरियाणा में भारी अंतर से सरकार बनानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लेकिन चुनावी गड़बड़ियों ने राज्य में नतीजों को प्रभावित किया है, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया है। सीडब्ल्यूसी यह भी स्वीकार करती है कि महाराष्ट्र में पार्टी का प्रदर्शन, वास्तव में इसके एमवीए सहयोगियों की तरह, समझ से परे है और वास्तव में चौंकाने वाला है। चुनावी नतीजे सामान्य समझ से परे हैं। यह लक्षित हेरफेर का एक स्पष्ट मामला प्रतीत होता है। “

प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी बैलट पेपर से चुनाव की मांग पर दिया जोर
सूत्रों के मुताबिक, सीडब्ल्यूसी मीटिंग में जिन नेताओं ने दृढ़ता से तर्क दिया कि पार्टी को मतपत्रों की वापसी की मांग करनी चाहिए, उनमें एआईसीसी महासचिव और वायनाड उपचुनाव जीतकर हाल ही में सांसद बनीं प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल थीं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) ने अपने 2018 के सत्र में एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें कहा गया कि “चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए, चुनाव आयोग को बैलट पेपर की पुरानी प्रथा पर वापस लौटना चाहिए जैसा कि प्रमुख लोकतंत्रों ने किया है।”

बैठक में सबसे पहले बोलते हुए, राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पार्टी को एक सुसंगत रुख अपनाना चाहिए और पहली मांग मतपत्रों की चुनाव में वापसी होनी चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि चूंकि सरकार और चुनाव आयोग उस मांग से सहमत नहीं हो सकते हैं। इसलिए पार्टी को यह सुनिश्चित करने के लिए वोटर वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल पर्चियों का 100 प्रतिशत सत्यापन करने की मांग करनी चाहिए कि वोट सही तरीके से दर्ज किए गए हैं। इसके बाद बोलने वाले वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी इस बात पर सहमति जताई।

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वीवीपीएटी की 10 से 20 प्रतिशत पर्चियां सत्यापन के लिए मांगी जाए
एआईसीसी के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने तर्क दिया कि शुरुआत के तौर पर पार्टी को मांग करनी चाहिए कि वीवीपीएटी की 10 से 20 प्रतिशत पर्चियां सत्यापन के लिए मतदाताओं को दी जाएं। लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने तर्क दिया कि पार्टी को ईवीएम पर ही अड़े नहीं रहना चाहिए, जो कि व्यापक चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग के पक्षपातपूर्ण व्यवहार से लेकर मतदाता सूची में छेड़छाड़ और मतदाताओं को दबाने तक में ‘चुनावी कदाचार’ शामिल है।

सूत्रों ने बताया कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी बैठक में गौरव गोगोई के सुझाव से सहमत हैं और उन्होंने तर्क दिया कि ईवीएम स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की व्यापक मांग का हिस्सा होनी चाहिए। उन्होंने सीडब्ल्यूसी से कहा कि पार्टी को स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए और वह जाति जनगणना, अडानी मुद्दे या संविधान और भारत के विचार पर कोई भी रुख अपनाने में कभी नहीं हिचकिचाते।

सुझाव देने वाले पार्टी नेता पहले खुद ही इस पर अमल करें- प्रियंका
वहीं, प्रियंका गांधी वाड्रा ने सुझाव देने वाले पार्टी नेताओं से कहा कि वे पहले खुद ही इस पर अमल करें। उनका स्पष्ट मानना ​​है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए बैलेट पेपर की वापसी ही एकमात्र विकल्प है। बैठक में ईवीएम के मुद्दे पर लोकसभा सांसद शशि थरूर का शायद एकमात्र अलग दृष्टिकोण था। सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी ने उनसे कहा कि ईवीएम का मुद्दा लोगों के बीच काफी गूंज रहा है।

यह पूछे जाने पर कि प्रस्ताव में ईवीएम का जिक्र क्यों नहीं किया गया, संगठन के प्रभारी एआईसीसी महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा, “हमने स्पष्ट रूप से जोर दिया है कि इन चुनावों के दौरान चुनावी गड़बड़ियां हुईं। हमने पहले ही हरियाणा में एक तकनीकी टीम भेजी है और महाराष्ट्र में भी एक टीम भेजने जा रहे हैं। हम बूथ स्तर पर विस्तृत विश्लेषण करेंगे। मतदाता सूची और मतदान संख्या में विसंगतियों के बारे में बहुत सारी शिकायतें हैं। हम गहन विश्लेषण करेंगे। विश्लेषण के दो स्तर होंगे, एक राजनीतिक और दूसरा तकनीकी।”

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मुद्दा सिर्फ ईवीएम नहीं,पूरी चुनावी प्रक्रिया है
एआईसीसी मीडिया विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने इस सवाल पर कहा, “मुद्दा सिर्फ ईवीएम का नहीं है। यह पूरी चुनावी प्रक्रिया का है। हम मतदाता सूची में अवैध रूप से नाम जोड़ने और हटाने की शिकायत करते रहे हैं। लेकिन चुनाव आयोग की ओर से कोई जवाब नहीं आया। हमने हरियाणा चुनाव के बाद बैटरी के मुद्दे को उठाया था, फिर भी कोई जवाब नहीं आया। इसलिए, यह सिर्फ ईवीएम का नहीं है, यह पूरी चुनावी प्रक्रिया का मामला है। इसमें किस तरह से समझौता किया जा रहा है, यह चिंता का विषय है।”

बैठक में कई नेताओं ने विधानसभा चुनाव में हार के बारे में बात की, लेकिन हरियाणा के तीन नेताओं रणदीप सिंह सुरजेवाला, कुमारी शैलजा और दीपेंद्र हुड्डा ने बैठक में इस पर बात नहीं की। हरियाणा का स्पष्ट संदर्भ देते हुए छत्तीसगढ़ के नेता ताम्रध्वज साहू ने तर्क दिया कि पार्टी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक व्यक्ति को पार्टी के प्रचार और उम्मीदवार चयन का पूरा प्रभार न दिया जाए।

खड़गे ने किया एआईसीसी का बचाव..
आखिर में, खड़गे ने कहा कि एआईसीसी को हर चीज के लिए दोषी ठहराया जा रहा है, जबकि प्रदेश कांग्रेस कमेटियों ने सभी निर्णय लिए थे। उन्होंने कहा कि एआईसीसी राज्य इकाइयों की मंजूरी के बिना एक चपरासी की भी नियुक्ति नहीं कर सकती। सीडब्ल्यूसी के प्रस्ताव में अडानी रिश्वत विवाद, मणिपुर में जारी हिंसा और हाल ही में यूपी समेत कई राज्यों में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने की कोशिशों जैसे मुद्दे पर संसद में चर्चा की अनुमति देने से इनकार के लिए सरकार की आलोचना की गई। क्योंकि इसके कारण संसद के शीतकालीन सत्र का पहला सप्ताह बर्बाद हो गया।


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