हर एक मिनट में तीन बच्चियों की जबरन शादी,21वीं सदी के भारत को शर्मसार कर रहा यह आंकड़ा

हर एक मिनट में तीन बच्चियों की जबरन शादी,21वीं सदी के भारत को शर्मसार कर रहा यह आंकड़ा
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नई दिल्ली। 21वीं सदी के भारत में हर एक मिनट के भीतर तीन मासूम बेटियों की जबरन शादी कर दी जाती है। बाल विवाह का यह आंकड़ा आधुनिक भारत के माथे पर एक धब्बा है। यह आंकड़ा आपको अपराध के डेटा में नहीं मिलेगा,उसमें तो बाल विवाह के कुछ ही मामले दर्ज होते हैं। 2022 में हर दिन सिर्फ तीन बाल विवाद के मामले दर्ज हुए। अधिकतर मामलों में दूल्हे की उम्र 21 साल से ज्यादा थी। एक मिनट में तीन बच्चियों की शादी का आंकड़ा आया है India Child Protection की नई स्टडी से। यह सिविल सोसायटी के संगठनों का एक हिस्सा है। रिपोर्ट में जनगणना 2011, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। पढ़‍िए, बाल विवाह पर हैरान करती रिपोर्ट की बड़ी बातें।

हर साल 16 लाख बाल विवाह: स्टडी
रिपोर्ट के अनुसार, 2018-2022 के लिए NCRB डेटा में 3,863 बाल विवाह दर्ज किए गए हैं। लेकिन,स्टडी में बताया गया है कि जनगणना के अनुमानों के अनुसार, हर साल 16 लाख बाल विवाह होते हैं। इसका मतलब है कि हर दिन 4,000 से ज़्यादा बाल विवाह होते हैं।

23% महिलाओं की शादी 18 से पहले
एनएफएचएस-5 के अनुमान बताते हैं कि 20-24 आयु वर्ग की 23.3% महिलाओं की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो गई थी।

रिपोर्ट में, बाल विवाह पर अंकुश लगाने में असम को एक केस स्टडी की तरह पेश किया गया है। 2021-22 और 2023-24 के बीच,असम के 20 जिलों के 1,132 गांवों में बाल विवाह में 81% की गिरावट आई है। इस अपराध के लिए 3,000 से अधिक गिरफ्तारियां हुई थीं।

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सख्त कानून से आती है कमी
असम के गांवों में किए गए सर्वेक्षण में 98% लोगों का मानना ​था कि राज्य में सख्त कानून लागू होने के कारण बाल विवाह की संख्या में कमी आ रही है। हालांकि, हर जगह की तस्वीर अलग है। रिपोर्ट कहती है कि अदालतों में लंबे समय तक चलने वाले मुकदमे और सजा की खराब दर उन लोगों को प्रोत्साहित करती है जो लड़कियों की शादी करने के इरादे से ऐसा करते हैं।

‘बच्चियों की कमजोरी का फायदा उठाते हैं लोग’
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘2022 में बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत अदालतों में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कुल 3,563 बाल विवाह मामलों में से, केवल 181 मामलों में ही सुनवाई पूरी हो पाई।’ लंबित मामलों की दर 92% है। सजा की दर 11% है।

विभिन्न गैर सरकारी संगठनों (NGOs) द्वारा रोके गए बाल विवाहों के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘बाल विवाह के अधिकांश मामले बालिकाओं की कमजोरी का फायदा उठाने के उदाहरण हैं, जिसमें बड़ी उम्र के पुरुष अपनी स्थिति और बालिकाओं की कमजोरी का फायदा उठाते हैं।


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