पूर्व क्रिकेटर के बेटे ने चेंज करवाया अपना जेंडर,मां-बाप बच्‍चों में कैसे पहचान सकते हैं लक्षण?

पूर्व क्रिकेटर के बेटे ने चेंज करवाया अपना जेंडर,मां-बाप बच्‍चों में कैसे पहचान सकते हैं लक्षण?
ख़बर को शेयर करे

नई दिल्ली। हाल ही में खबर आई है कि पूर्व इंडियन क्रिकेटर संजय बांगड़ के बेटे आर्यन बांगड़ ने अपना सेक्‍स चेंज करवा लिया है। अब वो सोशल मीडिया पर आर्यन नहीं बल्कि अनाया के नाम से जाने जाएंगे। उन्‍होंने अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर के यह खबर साझा की है। 23 साल के आर्यन ने हार्मोन रिप्‍लेसमेंट थेरेपी से अपना जेंडर चेंज करवा लिया है।

किसी भी माता-पिता के लिए अपने बच्‍चे का इस तरह का निर्णय आसान नहीं होता है। हालांकि, अब समय बदल रहा है और मां-बाप के साथ-साथ समाज भी इनका सहयोग कर रहा है। आज हम इस आर्टिकल में बात करेंगे कि किस तरह आप कम उम्र में ही बच्‍चों में इस तरह के संकेतों और लक्षणों को पहचान सकते हैं या यह जान सकते हैं कि उनकी पसंद-नापसंद विपरीत लिंग के अनुसार है।

ये संकेत समझें
मायोक्‍लीनिक के अनुसार बच्‍चे के बाथरूम बिहेवियर को देखकर आप इस चीज को पहचान सकते हैं। जैसे कि लड़की का खड़े होकर पेशाब करना। दूसरे लिंग के अंडरवियर पहनने का मन करना। इसके अलावा लड़के का गुडियों से खेलने का मन करना और लड़कियों का लड़कों वाले खिलौनों में रुचि रखना, इसका एक संकेत हो सकता है।

पोलारिस टीन सेंटरकी वेबसाइट में प्रकाशित एक लेख के अनुसार जब बच्‍चा चार से पांच साल का हो जाता है, तब वह अपनी पसंद का हेयर कट और स्‍टाइल बता सकता है। ट्रांसजेंडर बच्‍चे अपने हेयरकट और स्‍टाइल को लेकर काफी सोचते हैं। वे बता सकते हैं कि उन्‍हें कैसा हेयरस्‍टाइल पसंद है। लड़कियों को छोटे बाल रखना पसंद आ सकता है जबकि लड़कों को लंबे बाल अच्‍छे लग सकते हैं।

इसे भी पढ़े   मुरादाबाद में बर्थ डे पार्टी से लौट रहे युवकों पर देशी बम से हमला,तमंचे से भी की फायरिंग

अपना नाम पसंद न आना
आर्यन के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। उन्‍होंने अपना जेंडर चेंज करवाते ही अपना नाम भी अयाना रख लिया है। ट्रांसजेंडर बच्‍चों को अपना नाम भी पसंद नहीं आता है। अगर आप देख रहे हैं कि आपका बच्‍चा अपना नाम बदलने की जिद कर रहा है और दूसरे जेंडर का नाम रखने के लिए कह रहा है, तो आपको इसे गंभीरता से लेना चाहिए।

अलग बात करना
ये बच्‍चे अपने जेंडर से हटकर बात कर सकते हैं जैसे कि लड़कियां कह सकती हैं – मैं ये नहीं खाऊंगा या यहां नहीं जाऊंगा। वहीं लड़के इसका उल्‍टा कर सकते हैं। आप एक बार अपने बच्‍चे से इस बारे में बात कर के देखें।

तनाव होना
बच्‍चे का किसी तरह के स्‍ट्रगल या कंफ्यूजन में रहने का मतलब है कि उसे किसी बात का स्‍ट्रेस हो रहा है। इन बच्‍चों का तनाव स्‍कूल जाने से पहले कपड़ों को लेकर रोज बहस करने के रूप में दिख सकता है। ऐसे और भी तरीके हैं जिनमें इन बच्‍चों का स्‍ट्रेस नजर आ सकता है।

नोट: आप अपने बच्‍चों में इन संकेतों को नजरअंदाज न करें और उनसे इस बारे में खुलकर बात करें। बच्‍चे की काउंसलिंग भी करवा सकते हैं।


ख़बर को शेयर करे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *