मदुरै AIIMS को लेकर DMK सांसदों और स्वास्थ्य मंत्री के बीच तीखी बहस
नई दिल्ली। लोकसभा में शुक्रवार (10 फरवरी) को तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेज और एम्स मदुरै के मुद्दे पर जोरदार हंगामा देखा गया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि विपक्ष एम्स मदुरै के बारे में गलत जानकारी दे। रहा है,क्योंकि उन्होंने उन मेडिकल कॉलेजों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की,जिनके पास फैकल्टी,बुनियादी ढांचा नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के इस बयान के बाद डीएमके और कांग्रेस ने सदन से वॉक आउट किया।
एम्स मदुरै पर एक सप्लीमेंट्री प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि संस्थान के मेडिकल कोर्स चल रहे हैं जबकि बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 1,900 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। जब डीएमके के सदस्यों ने कहा कि एम्स मदुरै तैयार नहीं है तो मांडविया ने उन पर सदन को गलत जानकारी देने और लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मैं ऐसे मेडिकल कॉलेजों को संचालित नहीं होने दूंगा जहां पर्याप्त फैकल्टी और बुनियादी ढांचा नहीं है। एम्स मदुरै की स्थापना पर काम चल रहा है। स्वास्थ्य को राजनीति का मुद्दा न बनाएं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहा?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा,”कुछ लोग हर चीज पर राजनीति करना चाहते हैं। मुझे पता है कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं क्योंकि मैंने उन मेडिकल कॉलेजों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है, जहां फैकल्टी,इंफ्रास्ट्रक्चर और मरीज नहीं हैं। यह उस पर प्रतिक्रिया है।”डीएमके और कांग्रेस सांसदों के कड़े विरोध के बीच उन्होंने कहा,”मोदी सरकार इस तरह की अवैध गतिविधियों की अनुमति नहीं देगी। हम दोषी मेडिकल कॉलेजों के खिलाफ इस तरह की कड़ी कार्रवाई करना जारी रखेंगे।”
गुस्से में नजर आए डीएमके नेता
सत्तारूढ़ बीजेपी के कुछ सांसद भी मांडविया के समर्थन में सामने आए और अपनी सीटों पर खड़े होकर आवाज उठाई। द्रमुक नेता दयानिधि मारन ने गुस्से में कहा,”वह इस तरह की बात करने वाले कौन होते हैं।” उन्होंने आरोप लगाया,”वह हमें ब्लैकमेल कर रहे हैं और धमकी दे रहे हैं।”इसके बाद भी सदन में कुछ समय के लिए बहस जारी रही जिस पर स्पीकर ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों को शांत करने की कोशिश की और कहा कि वह मंत्री की ओर से दिए गए बयान की जांच करेंगे और देखेंगे कि यह उचित है या नहीं।
डीएमके-कांग्रेस ने किया वॉकआउट
इससे नाखुश डीएमके और कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया। इससे पहले स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि मोदी सरकार ने देश में चिकित्सा शिक्षा के विस्तार के लिए कदम उठाए हैं ताकि छात्रों को पढ़ाई के लिए विदेश न जाना पड़े। उन्होंने कहा कि 2014 में देश में कुल मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 थी और अब यह बढ़कर 657 हो गई है। केंद्र सरकार ने मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के नियमों में ढील दी है जो राज्य सरकारों या निजी संस्थाओं की ओर से खोले जा सकते हैं।