गंगा जमुना स्कूल में खड़ा किया जा रहा था ‘जिहादी साम्राज्य’? बिना हिजाब के नहीं दिया जाता था प्रवेश

गंगा जमुना स्कूल में खड़ा किया जा रहा था ‘जिहादी साम्राज्य’? बिना हिजाब के नहीं दिया जाता था प्रवेश
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मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश के दमोह में स्थित गंगा जमुना स्कूल में धर्मांतरण के मामले ने सबको चौंका दिया है। इस स्कूल में पहले नाबालिग छात्राओं पर हिजाब पहनने का दबाव बनाया गया,फिर स्कूल की प्रिंसिपल समेत कई अन्य टीचर्स का भी धर्म परिवर्तन कराया गया।

स्कूली बच्चों को हिजाब पहनाने के मामले की जांच करने पहुंची राज्य बाल आयोग टीम को स्कूल में हो रहे धर्मांतरण की जानकारी मिली थी। टीम ने कहा कि स्कूल में कई शिक्षकों ने धर्म परिवर्तन भी किया है। इसके अलावा स्कूल में मुस्लिम प्रार्थना होती थी और बिना हिजाब के स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जाता था। संबोधन में बच्चों को सलाम बोलना भी जरूरी था। आयोग ने स्कूल की दीवारों पर कुरान और आयत के लिखे होने का भी दावा किया है।

धर्मांतरण की तरफ किया जा रहा था प्रेरित
आयोग ने दावा किया है कि स्कूल में ऐसा वातावरण बनाया जा रहा था,जिससे नाबालिग बच्चे धर्मांतरण की तरफ प्रेरित हों और इस्लाम धर्म कबूल कर लें। वहीं, इस मामले में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा है कि स्कूल में जिहादी साम्राज्य स्थापित करने की कोशिश की जा रही थी। उन्होंने कहा-‘दमोह में जिस प्रकार से कुछ चीजें उभर कर आईं और गंगा जमुना स्कूल के अंदर हिजाब को लेकर जो घटनाक्रम हुआ, हमारी बेटियों को और मासूम बच्चों को जिस प्रकार से दबाव डालकर प्रेरित किया गया,उस पर प्रशासन ने कार्रवाई की है। उसकी मान्यता भी रद्द हुई है। आज मैंने देखा कि दो महिला टीचर्स जो खरे थी, वह खान हो गई। ये मात्र लव जिहाद नहीं,जिहादी साम्राज्य खड़ा करने का काम है, जो दमोह के समूह के द्वारा हुआ है। ‘

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उन्होंने कहा- ‘इन्होंने जो जिहादी साम्राज्य खड़ा किया है,हजारों एकड़ जमीन इनके पास कहां से आई? दमोह के अंदर जिहादी साम्राज्य खड़ा करने का अवसर कैसे मिला? इसके पीछे जो इनकी मानसिकता है, उसके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। इनका जो जिहादी साम्राज्य खड़ा हुआ है, उस जिहादी साम्राज्य की जांच होनी चाहिए। मैं बड़ी गंभीरता के साथ कह रहा हूं। ये लोग टेरर फंडिंग के साथ जुड़े हैं। इन लोगों के कनेक्शन कहीं ना कहीं जुड़े हुए हैं। अभी जबलपुर हाई कोर्ट के अंदर एनआईए के द्वारा वकील पकड़े गए हैं, इससे उनका भी संबंध किसी ना किसी रूप से है।’

साल 2012 से चल रहा है स्कूल
जान लें कि अल्पसंख्यक कोटे से इस स्कूल का पंजीयन 2018 में हुआ था, जबकि स्कूल 2012 से चल रहा था। स्कूल संचालक के पास बड़ी संख्या में दस्तावेज मिले हैं,जिसमें से ज्यादातर जमीनें किराएनामे पर बताई जा रही हैं। इसके अलावा,स्कूल में ड्रेस कोड भी 2012 से ही है, जबकि बताया गया है कि इसे 2018 में लागू किया गया था।


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