जानें क्या है नाग नथैया लीला,आज गंगा बनेगी यमुना और तुलसी घाट बनता है गोकुल

जानें क्या है नाग नथैया लीला,आज गंगा बनेगी यमुना और तुलसी घाट बनता है गोकुल
ख़बर को शेयर करे

भगवान राम के अनन्य भक्त संत गोस्वामी तुलसीदास ने शिव की नगरी काशी राम नाम के साथ भगवान कृष्ण को भी लीला के जरिए जन जन तक पहुंचाया। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा भदैनी में लगभग 496 साल पहले कार्तिक माह में श्रीकृष्ण लीला की शुरुआत की थी। यह भक्ति और भाव का ही प्रभाव है कि काशी का तुलसी घाट गोकुल और उत्तरवाहिनी गंगा यमुना में बदल जाती हैं। तुलसीदास द्वारा शुरू की गई इस 22 दिनों की लीला की परंपरा आज भी कायम है।

इसमें भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव से लेकर उनके द्वारा किए गए पूतना वध, कंस वध, गोवर्धन पर्वत सहित कई लीलाओं का मंचन किया जाता है। एक माह पहले कृष्ण बलराम और राधिका चयन किया जाता है।

संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो विश्वंभरनाथ मिश्रा का कहना है कि तुलसीदास ने इस लीला में सभी धर्मों के भेदभाव को मिटा दिया है। सभी कलाकर अस्सी भदैनी के ही होते हैं। सबसे प्रमुख दीपावली के चार दिन बाद होने वाली नागनथैया अपने आप में अनोखी लीला है।

बता दें कि काशी के चार लक्खा मेला प्रसिद्ध हैं। इसमें रथयात्रा का मेला, नाटी इमली का भरत मिलाप, चेतगंज की नक्कटैया और तुलसी घाट की नाग नथैया शामिल है। इसमें से तीन लक्खा मेला तो संपन्न हो गए हैं, जबकि चौथा मेला 29 अक्टूबर को होगा। एक लाख से अधिक भीड़ आने के चलते इन्हें लक्खा मेला कहा जाता है।


ख़बर को शेयर करे
इसे भी पढ़े    वाराणसी में अवैध गैस सिलेंडर बरामद 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *