इस नक्षत्र के स्वामी होते हैं खुद ब्रह्मा जी,इसमें जन्म लेने वाले होते हैं आकर्षक व रोमांटिक
नई दिल्ली। रोहिणी नक्षत्र को चंद्रमा की अमृत शक्ति का बीज माना जाता है। यह नक्षत्र चार तारों से मिलकर बनता है। ऋषियों ने रोहिणी को विशेष सम्मान दिया है। इन लोगों ने रोहिणी नक्षत्र में प्रजापति ब्रह्मा का वास माना है। उनके तारों की रचना बैलगाड़ी की आकृति की तरह होती हैं और रोहण शब्द का प्रयोग सवारी करने से होता है। रोह शब्द का अर्थ वृद्धि, विकास, उच्चताप पाना होता है। रोहिणी का शाब्दिक अर्थ लाल गाय है और इस नक्षत्र के देवता ब्रह्मा जी हैं। रोहिणी नक्षत्र वृष राशि में होता है, इसलिए वृष राशि वालों का रोहिणी नक्षत्र हो सकता है।
भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का नक्षत्र भी रोहिणी था। इस नक्षत्र के देवता ब्रह्मा जी हैं, जो प्रकृति के क्रियेटर हैं। अब जरा प्रकृति के बारे विचार करें कि वह कितनी सुंदर है तो आप ब्रह्मा जी के गुणों को स्वतः ही समझ जाएंगे। रोहिणी नक्षत्र का संबंध कृषि और सभ्यता के विकास से भी जोड़ा जाता है, जिस तरह बीज का रोपण होने के बाद अंकुर फूटना फिर धीरे-धीरे पौधा बनना और बढ़ते हुए वृक्ष बनकर फल को देना होता है।
आकर्षक और रोमांटिक
रोहिणी नक्षत्र में जन्मा व्यक्ति प्रकृति प्रेमी और प्रकृति का पुजारी होता है। पर्यावरण को लेकर वह बहुत ही संवेदनशील होता है। इस नक्षत्र के लोगों की आंखें बहुत सुंदर होती हैं। रोहिणी नक्षत्र में जन्मे लोग सुंदर होने के साथ ही ऐसा बोलते हैं,मानो मुंह में मिठास घोल ली हो। इसके साथ ही यह थोड़ा रोमांटिक भी होते हैं।
रोहिणी नक्षत्र वाले दिल से काम ज्यादा करते हैं और इसलिए यह बहुत जल्दी लोगों पर विश्वास कर लेते हैं। रोहिणी नक्षत्र वाले कल्पनाशील और सृजनात्मक प्रकृति के होते हैं। नई-नई चीजों को ईजाद करने की क्षमता रखते हैं। रोहिणी नक्षत्र वालों में एक खास बात और होती है कि यह अगर किसी प्रोजेक्ट से जुड़ जाएं तो उसकी कमियों को खोजकर उनका समाधान करते हुए प्रोजेक्ट को बहुत ही नियम और संतुलित होकर अच्छे परिणाम दिलाने की क्षमता रखते हैं। आप घर और कार्य क्षेत्र में व्यवस्थित रहना ही पसंद करते हैं और गंदगी से तो सख्त नफरत करते हैं। स्वभाव से कोमल और सौन्दर्य के प्रति लगाव प्रमुख गुणों में से एक है।