पटना आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश करने बिहार पहुंची NIA की टीम,ठिकाने पर हो रही छापेमारी
नई दिल्ली। पीएफआई आतंकी मॉड्यूल मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) गुरुवार को बिहार के शंकरपुर गांव पहुंची। एनआईए की दो टीमें आज छापेमारी करने दरभंगा, नालंदा और मोतिहारी पहुंचीं।
सूत्रों के अनुसार एक टीम उर्दू बाजार में किराए के मकान में रहने वाले नूरुद्दीन उर्फ जंगी के परिजनों से पूछताछ कर रही है, जबकि दूसरी टीम ने सिंहवाड़ा के शंकरपुर के सनाउल्लाह उर्फ आकिब व मुस्तकिम के घरों पर छापेमारी की। तीनों आरोपियों के घरों पर एक साथ छापेमारी की जा रही है।
इसके अलावा, एनआईए उत्तर प्रदेश के चंदौली के चकिया के कुवां गांव में पीएफआई महासचिव मोहम्मद रियाज उर्फ बबलू के घर पर भी छापेमारी कर रही है। सूत्रों ने खुलासा किया है कि मामले के सिलसिले में तलाशी लेने के लिए जांच एजेंसी झारखंड भी पहुंच गई है।
पटना आतंकी मॉड्यूल
छापेमारी पटना आतंकी मॉड्यूल के संबंध में आती है, जहां तीन संदिग्ध आतंकवादी, जो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने की साजिश रच रहे थे। उन तीनों को 12 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था। जांच में पता चला है कि संदिग्ध आतंकवादियों को फुलवारी शरीफ,15 में प्रशिक्षित किया जा रहा था। पीएम के दौरे से कुछ दिन पहले उन्हें निशाना बनाने की साजिश रची गई। बिहार पुलिस ने संदिग्ध आतंकवादियों के फुलवारीशरीफ कार्यालय में छापेमारी की, जिसमें उन्हें गिरफ्तार किया गया।
एक दिन बाद, बिहार पुलिस ने पीएफआई के कार्यालयों सहित कई स्थानों पर छापा मारा, क्योंकि उसे संगठन के लिंक ‘इंडिया 2047- भारत में इस्लाम के शासन की ओर’ नामक एक चिलिंग दस्तावेज़ से जुड़े थे। संगठन ने लिंक से इनकार किया है।
‘गजवा-ए-हिंद’ मामले में आरोपी मारगुव अहमद दानिश उर्फ ताहिर से पूछताछ के दौरान पाकिस्तान-आईएसआई का लिंक भी सामने आया। ताहिर ने कबूल किया कि पाकिस्तान और अन्य भारत विरोधी देश मॉड्यूल में शामिल थे। उसके फोन पर दो व्हाट्सएप ग्रुप भी मिले जो 2024 में ‘खिलाफत आंदोलन’ और 2023 में ‘प्रत्यक्ष जिहाद’ के बारे में बात करते थे। ‘मरखोर’ नाम का एक व्हाट्सएप ग्रुप मिला जिसमें केवल कुछ आईएसआई सदस्यों के साथ पाकिस्तानी सदस्य थे।
लोगों को जिहाद के लिए तैयार करने और उन्हें कट्टरपंथी विचारधारा से जोड़ने से संबंधित चैट बरामद की गईं। अल फलाही नाम का एक व्हाट्सएप ग्रुप मिला जो उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के एक मदरसे से संचालित होता था। इसमें भारत-नेपाल सीमा पर स्थित मदरसों के सदस्य शामिल थे, जिनका उद्देश्य सीमा क्षेत्र में गतिविधि पर नजर रखना था।